NASA के टेलीस्कोप ने खोजा ये अनोखा ग्रह, सबसे विचित्र है वातावरण
नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) ने एक और अहम खोज की है। उसने पृथ्वी से 212 प्रकाश साल (Light Year) दूर रेत से बने बादलों के साथ एक अनोखे ग्रह की खोज की है, जिसे एक्सोप्लैनेट WASP-107b नाम दिया गया है, जिसके एटमॉस्फेयर की स्टडी एस्ट्रोनॉमर्स की एक टीम ने की है, जिसमें उनको न सिर्फ़ जल वाष्प और सल्फर डाइऑक्साइड बल्कि सिलिकेट रेत के बादल भी मिले।
विचित्र है इस ग्रह का एटमॉस्फेयर: डेलीमेल की रिपोर्ट के अनुसार, अपने विचित्र एटमॉस्फेयर और रेत से बने बादलों के साथ WASP-107b एक्सोप्लैनेट एक साइंस फिक्शन मूवी जैसा लगता है, जो बृहस्पति (Jupiter) के आकार का है, जिस पर अब तक खोजे गए सबसे विचित्र वातावरणों (atmospheres) में से एक है। जिसके बारे में जानकर एस्ट्रोनॉमर्स दंग थे।
WASP-107b एक्सोप्लैनेट के एटमॉस्फेयर में न सिर्फ़ सिलिकेट रेत के बादल और जलवाष्प हैं, बल्कि सल्फर डाइऑक्साइड भी उपस्थित है, जो पृथ्वी पर एसिड रेन (Acid Rain) पैदा कर सकता है। वैज्ञानिक इसके हल्के वजन और बनावट के कारण इसे ‘फल्फी’ (fluffy) बताते हैं।
नहीं मिली ग्रीनहाउस गैस मीथेन
एक्सपर्ट्स ने कहा, इससे भी अधिक आश्चर्यजनक बात यह है कि नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) ने इस ग्रह पर ग्रीनहाउस गैस मीथेन (Greenhouse Gas Methane) का कोई निशान नहीं पाया। यह जरूरी है, क्योंकि इससे पता चलता है कि WASP-107b में एक गतिशील वातावरण (Dynamic Atmosphere) के चारों ओर गर्मी स्थानांतरित करने के लिए एक दिलचस्प अभी तक अज्ञात तंत्र (Unknown Mechanism) है।
रेत से बनते हैं इस ग्रह के बादल
हॉलैंड की केयू ल्यूवेन (KU Leuven) में इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोनॉमी के रिसर्चर्स के अनुसार, WASP-107b पर बादल बनने के प्रक्रिया पृथ्वी के समान है। हालांकि, फर्क बस इतना है कि ये बादल रेत से बनते हैं। हालांकि पहले भी एक्सोप्लैनेट पर बादलों का पता लगाया गया है, यह पहली बार है कि एस्ट्रोनॉमर्स ने उसके केमिकल कंपोजिशन का एनालिसिस किया है।
WASP-107b एक गर्म गैस जाइंट है, जो हमारे सूर्य की तुलना में थोड़े ठंडे और कम विशाल सूरज की परिक्रमा करता है। इसका द्रव्यमान नेप्च्यून (Neptune) के समान है। रिसर्चर्स का बोलना है कि आशा यह है कि वेब के साथ वे ‘नई दुनिया को खुलासा करना’ जारी रख सकते हैं, और इन दूर के ग्रहों की आंतरिक संरचना के बारे में नयी खोज कर सकते हैं। WASP-107b एक्सोप्लैनेट को लेकर नयी स्टडी नेचर जर्नल (Nature journal) में पब्लिश हुई है।