यहाँ जमीन की खुदाई कर खजाना निकालते हैं मर्द और महिलाएं करती हैं ये गंदा काम
दुनियाभर में कई ऐसी जगहें हैं, जहां पर अरबों-खरबों का खजाना छुपा हुआ है। इनमें से कुछ खजानों को सैकड़ों वर्ष पहले इंसानों ने छुपा रखे थे, तो कुछ ऐसी प्राकृतिक जगहें हैं, जहां सोने-हीरे जैसी अनमोल रत्न मिलते रहते हैं। आज हम आपको एक ऐसी ही स्थान के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पर यूं तो सोने से भरा खजाना उपस्थित है। इस स्थान का नाम ला रिनकोनाडा है, जो पेरु के एंडीज पहाड़ों में 5 किलोमीटर ऊपर बसा है। आपको जानकर हैरत होगी कि इस सोने के खादान के ठीक ऊपर 30 हजार से अधिक लोग रहते हैं।
खजाना पर बसे होने के बावजूद इन लोगों की जीवन नर्क सी बदहाल है। ये लोग टीन-टप्पर से बने हल्की घरों में बरसों से रहते आ रहे हैं। यूं तो इसे एक शहर का दर्जा प्राप्त है, लेकिन असल में ये एक बस्ती से अधिक कुछ भी नहीं है। आपको जानकर हैरत होगी कि ये दुनिया की सबसे ऊंची बसावटों में से एक है, जहां पर लोग 51,00 मीटर की ऊंचाई पर रहते हैं। हालांकि, ‘सोने के ढेर पर बसे’ होने के बावजूद इस शहर में लोगों को कई बुनियादी सुविधाएं भी मौजूद नहीं हो पाती हैं, यहां पर न तो सड़कें हैं और ना ही कोई ड्रैनेज सिस्टम।
पूरे राष्ट्र में गर्मी, लेकिन यहां रहती है ठंड
दक्षिण अमेरिका में यूं तो खूब गर्मी पड़ती है, लेकिन ये शहर इतनी ऊंचाई पर है कि यहां पर हमेशा ग्रीनलैंड जैसी ठंड पड़ती रहती है। यहां का सामान्य टेम्परेचर 1.2 डिग्री सेल्सियस होता है। इतना ही नहीं, गर्मी में जहां झमाझम बारिश होती है, वहीं ठंड में एकदम सूखे जैसे हालात हो जाते हैं। दिन में बहुत ठंड रहती है तो रात बर्फ की तरह जमा देने वाली। आपको जानकर आश्चर्य होगी कि यहां पर सोने के खादान की खुदाई का काम न तो गवर्नमेंट करती है और ना ही गवर्नमेंट द्वारा अधिकृत कोई कंपनी। ये सारा खेल गैरकानूनी रुप से चलता है। यहां रहने वाले लोग बंधुआ मजदूर की तरह होते हैं, जिन्हें हल्की सा पैसा दिया जाता है। बदले में यहां के मर्द जमीन की खुदाई कर सोना निकालते हैं और महिलाएं चट्टानों में फैले सोने के टुकड़ों को बटोरती हैं।
फिर भी गरीबी हालत में कटती है जिंदगी
सोने के खादान में काम करने के बावजूद इन लोगों की जीवन नर्क जैसी बदतर है। ऐसे में पैसे कमाने के लिए महिलाएं भिन्न-भिन्न सामान बेचती हैं, साथ ही साथ गलत काम भी करने को विवश हैं। यहां सबकुछ अवैध ढंग से चलता है, ऐसे में न तो कोई टैक्स लगता है और न ही क्षेत्रीय गवर्नमेंट का कोई हस्तक्षेप होता है। ऐसे में यहां पर न सड़कें हैं, ना नल लगे हैं और ना ही कोई सीवेज सिस्टम है। सोने के खादान की खुदाई में लगी सारी कंपनियों का काम इलिगल रूप से चलता है। ऐसे में श्रमिकों को सैलरी तक नहीं मिलती। इन श्रमिकों को मेहनताना के रुप में 31वें दिन खादान में मिले मैटेरियल को भरकर ले जाने की बस इजाजत होती है। ऐसे में किस्मत की बात होती है कि उनमें कितना सोना है और कितना पत्थर