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बीकानेर की अनसुलझी छतरी का क्या है रहस्य, जानिए

बीकानेर:- बीकानेर अपनी कला संस्कृति और हवेलियों से पूरी दुनिया में जाना जाता है यहां इनके अतिरिक्त सागर की छतरिया भी हैं, जो बीकानेर की पहचान बनी हुई हैं इन छतरियों को देखने के लिए राष्ट्र और विदेश से लोग आते हैं यहां एक ऐसी छतरी है, जो सबसे अलग और अनोखी है हम सागर की छतरियों में से एक महाराजा गंगा सिंह की धर्मपत्नी बल्लभ कुंवर जी की छतरी की बात कर रहे हैं इस छतरी से पहले दूध निकलता था, लेकिन अब नहीं निकलता है ऐसे में इस छतरी पर दूध की धार के निशान आज भी देखे जा सकते हैं

अंत्येष्टि के बाद होता है छतरी का निर्माण
बीकानेर रियासत के राजपरिवार सदस्यों के आखिरी आराम स्थल के रूप में देवीकुंड सागर की पहचान है इस मोक्ष धाम में राज परिवार के किसी भी सदस्य के मृत्यु के बाद उनकी अंत्येष्टि यहीं की जाती रही है अंत्येष्टि के बाद उसी जगह पर एक छतरी का निर्माण करवाया जाता है पिछले तीन दशक से बड़ी संख्या में देशी और विदेशी पर्यटक इन छतरियों को देखने के लिए आते हैं साथ ही दूध वाली छतरी को लेकर भी पर्यटकों में उत्सुकता देखने को मिलती है

महाराजा गंगा सिंह की पत्नी का है ये छतरी
मोक्षधाम से जुड़े जयकिशन पुरोहित ने मीडिया को कहा कि महाराजा गंगा सिंह की पत्नी बल्लभ कुंवर का मृत्यु 19 अगस्त 1906 को हुआ उनके बुजुर्गों ने यहां से दूध को टपकते हुए अपनी आंखों से देखा है और अब यहां इसके निशान हैं, जो इस बात का प्रमाण हैं वे बताते हैं कि महारानी बल्लभ कुंवर की संतान का जन्म होने के बाद उनका मृत्यु शीघ्र हो गया और महारानी उन्हें दूध नहीं पिला पाई

निश्चित रूप से इस बात का कोई ऐतिहासिक और वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है लेकिन यह सच है कि इस मोक्षधाम में जितने भी संगमरमर और मुगलकालीन छतरियां हैं, उनमें से सिर्फ़ एक ही ऐसी छतरी है, जहां दूध टपकने की बात सामने आई है यहां इस ढंग गुंबद से लेकर नीचे तक मटमैला सफेद तरल पदार्थ टपकता रहा है और इसके निशान आज भी यहां कायम हैं कई बार धीरे-धीरे रिसाव के रूप में यह नजर आताबीकानेर के इस छतरी से निकलता था दूध, महाराजा की धर्मपत्नी का हुआ था आखिरी संस्कार

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