केक में जहरीली मिठास के कारण हुई थी 10 साल की बच्ची की मौत
पंजाब के पटियाला में बीते महीने एक 10 वर्ष की बच्ची की हुई दुखद मृत्यु ने पूरे राष्ट्र को हिला कर रख दिया था। बच्ची की मृत्यु का कारण उसका जन्मदिन मनाने के लिए औनलाइन मंगवाया गया केक कहा जा रहा है। बच्ची के पूरे परिवार की तबियत बिगड़ गई थी, जब उन्होंने उसके जन्मदिन के लिए औनलाइन ऑर्डर किए गए केक को खाया था। अब इस मुद्दे में सामने आए नए तथ्य खाने की चीजों की क्वालिटी को लेकर कई प्रश्न खड़े कर रहे हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार, उस केक में अत्यधिक मात्रा में सैकरीन पाया गया, जो एक मीठा स्वाद देने वाला मीठा-स्वाद वाला सिंथेटिक कंपाउंड है। आमतौर पर खाने-पीने की चीजों में थोड़ी मात्रा में सैकरीन का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन इसकी अधिक मात्रा तेजी से ब्लड शुगर लेवल बढ़ा सकती है।
टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, जिला स्वास्थ्य अधिकारी (डीएचओ) डाक्टर विजय जिंदल ने कहा कि जांच के लिए केक का एक सैंपल लिया गया था और रिपोर्ट में पाया गया कि केक को बनाने में अत्यधिक मात्रा में सैकरीन नामक मीठा स्वाद देने वाले सिंथेटिक केमिकल का इस्तेमाल किया गया था। ऑफिसरों ने कहा कि बेकरी के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी क्योंकि इसके मालिक के विरुद्ध पहले ही मुकदमा दर्ज कर ली गई है। इस घटना के बाद, फूड ऑर्डरिंग ऐप Zomato ने बेकरी मालिक को बैन कर दिया है और अपनी प्लेटफॉर्म से बेकरी को हटा दिया है।
सैकरीन क्या है?
सैकरीन एक सिंथेटिक स्वीटनर है जिसे 1879 में जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी में काम करने वाले केमिस्ट कॉन्स्टेंटिन फाहलबर्ग द्वारा खोजा गया था। यह सुक्रोज (टेबल शुगर) से करीब 300 से 400 गुना अधिक मीठा होता है, लेकिन इसमें कैलोरी नहीं होती है, यही कारण है कि यह विभिन्न फूड्स और ड्रिंक्स में चीनी के विकल्प के रूप में लोकप्रिय है। 20वीं सदी की आरंभ में चीनी की कमी के दौरान सैकरीन का व्यापक रूप से इस्तेमाल किया गया और यह डाइट सोडा, टेबलटॉप स्वीटनर और अन्य कम कैलोरी वाले प्रोडक्ट्स का एक आम इंग्रेडिएंट बन गया।
सैकरीन का ब्लैडर कैंसर के लिंक
हालांकि कई राष्ट्रों में फूड एडिटिव्स के रूप में इस्तेमाल के लिए सैकरीन को स्वीकृति दी गई है, लेकिन शरीर पर इसके संभावित नुकसानदायक प्रभावों को लेकर चिंता जताई गई है। एक प्रमुख चिंता ब्लैडर कैंसर के साथ इसका लिंक है, खासकर जानवरों पर किए गए अध्ययनों में। हालांकि इन निष्कर्षों को मनुष्यों में लगातार दोहराया नहीं गया है, कुछ शोध अधिक मात्रा में सैकरीन के सेवन और ब्लैडर कैंसर के बढ़ते खतरे के बीच संभावित लिंक का सुझाव देते हैं, खासकर उन लोगों में जो लंबे समय तक अधिक मात्रा में इसका सेवन करते हैं।
पाचन स्वास्थ्य बिगड़ता है
इसके अलावा, सैकरीन आंतों के बैक्टीरिया के बैलेंस को भी बिगाड़ सकता है, जिससे पाचन स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। कुछ अध्ययन बताते हैं कि सैकरीन जैसे सिंथेटिक स्वीटनर आंतों के माइक्रोबायोटा संरचना को बदल सकते हैं, जो संभावित रूप से मोटापा और इंसुलिन रेजिस्टेंस जैसे मेटाबॉलिक डिसऑर्डर में सहयोग देता है।