देहरादून में है स्वामी रामतीर्थ जी का प्राचीन आश्रम
राजधानी देहरादून में स्वामी रामतीर्थ आश्रम 1948 से स्थित है यह प्राचीन आश्रम स्वामी रामतीर्थ जी के देश उत्थान के कार्यों का व्याख्यान करता है। स्वामी रामतीर्थ जी ने उत्तराखंड के कई स्थानों पर तप किया जिनमें ब्यासी की वशिष्ठ गुफा मुख्य रूप से शामिल है। तत्कालीन टिहरी के राजा ने उनकी विद्वानता को देखते हुए सिमलासु गोल कोठी में उन्हें जगह दिया था।
लोकल 18 से वार्ता करते हुए स्वामी रामतीर्थ आश्रम के प्रबंधक राजेश पैन्यूली बताते हैं कि स्वामी रामतीर्थ ने पूरे विश्व में वेदांत का प्रचार प्रसार किया है। उन्होंने अंग्रेजों की गुलामी में भी देश उत्थान के कार्यों के लिए लोगों में जागरूकता फैलाई। स्वामी विवेकानंद से मुलाकात करने के बाद स्वामी रामतीर्थ संन्यास लेकर हरिद्वार पहुंचे। उन्होंने ऋषिकेश के कैलाश आश्रम में अपना काफी समय व्यतीत किया।
वशिष्ठ गुफा में बिताए 6 महीने
इसके बाद वह ब्यासी में स्थित वशिष्ठ गुफा में 6 महीने तक रहे। उनकी यात्रा का सिलसिला लंबा है लेकिन उनके शिष्य स्वामी हरिओम ने सन् 1948 में इस आश्रम की स्थापना की और स्वामी रामतीर्थ के उपदेशानुसार यह आश्रम समाज सेवा के कार्य कर रहा है। आश्रम में एक होमियोपैथी हॉस्पिटल है जिसमें रोगियों का मुफ़्त उपचार किया जाता है। वहीं एक गौशाला, सत्संग भवन और एक शिव मंदिर स्थित है।
ऐसे पहुंते स्वामी रामतीर्थ आश्रम
राजधानी देहरादून से तकरीबन 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है कुठालगेट। आपको मसूरी रोड पकड़ना होगा, मसूरी रोड पर जाने के देहरादून के घंटाघर से दो रास्ते हैं। एक रास्ता ओल्ड राजपुर रोड से होते हुए जाता है और दूसरा रास्ता मसूरी डायवर्जन से मसूरी रोड पर चलते हुए कुठालगेट पहुंचा जा सकता है। स्वामी रामतीर्थ आश्रम कुथल गेट से ओल्ड राजपुर रोड की ओर जाते हुए ऊंची दूरी पर स्थित है। मैन रोड पर ही इस प्राचीन आश्रम का गेट है और आश्रम में कोई भी आदमी आत्म चिंतन और स्वामी रामतीर्थ जी के वेदांतों का अनुसरण करने के लिए शरण ले सकता है।