देवी-देवताओं की इस धरती में हजारों मंदिर अपनी अलग ही कहानी समेटे

।उत्तराखंड को यूं ही देवभूमि नहीं बोला जाता है। यहां कण कण में देवों का वास है। यहां उपस्थित कई देवस्थान यह साबित करने के लिए काफी हैं कि आस्था से इस धरती के लोगों का सदियों पुराना नाता है। देवी-देवताओं की इस धरती में हजारों मंदिर अपनी अलग ही कहानी समेटे हुए हैं। ऐसा ही एक मंदिर नैनीताल के चिड़ियाघर की पहाड़ी में सबसे ऊपर स्थापित है। आस्था के इस केंद्र गंगनाथ मंदिर की स्थापना 1815 में अंग्रेजों के नैनीताल आने से पहले ही हो गई थी। इस मंदिर को स्नोव्यू से रातीघाट-गरमपानी जाने के पैदल रास्ते में ग्रामीणों द्वारा स्थापित किया गया था।
200 वर्ष से अधिक पुराने इस मंदिर के बारे में लोगों को काफी कम जानकारी है। हालांकि अब धीरे-धीरे चिड़ियाघर आ रहे पर्यटक इस मंदिर के बारे में जानकर यहां दर्शन करने के लिए आने लगे हैं। मान्यता है कि इस मंदिर की परिक्रमा कर मन्नत मांगने पर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
मंदिर के पुजारी संतोष पांडे बताते हैं कि शुरूआत में यह सिर्फ एक घंटी वाला मंदिर हुआ करता था, लेकिन धीरे-धीरे यहां घंटियों की संख्या बढ़ने लगी और आज यहां अनगिनत घंटियां उपस्थित हैं।आगे बताया कि शेर का डांडा पहाड़ी पर स्थित इस गंगनाथ जी के मंदिर की परिक्रमा करके जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से मन्नत मांगता है, न्याय के देवता गंगनाथ उसकी सभी इच्छा पूरी करते हैं।
वहीं इच्छा पूरी होने के बाद भक्त मंदिर में घंटी चढ़ाने और भगवान का शुक्रिया अदा करने जरूर आते हैं। इसके अतिरिक्त इस मंदिर में रुमाल या फिर चुन्नी से गांठ बांध कर मन्नत भी मांगी जाती है। क्योंकि गंगनाथ जी न्याय के देवता हैं, तो वह इस मंदिर में आने वाले सभी श्रद्धालुओं की मन्नतें पूरी करते हैं।संतोष पांडे ने आगे बताया कि वैसे तो चिड़ियाघर में हजारों पर्यटक आते हैं लेकिन जिसका बुलावा आता है, केवल वही इस मंदिर तक पहुंच पाता है। उन्होंने बताया कि इस मंदिर में गोविंद बल्लभ पंत, केसी पंत समेत कई नेता और अधिकारी भी दर्शन के लिए आ चुके हैं।