लिव-इन रिलेशनशिप होंगे पंजीकृत, सामान्य नागरिक संहिता लागू करने की बनी ये योजना
उत्तराखंड में दाखिल सामान्य नागरिक संहिता विधेयक के मुताबिक, जो लोग बिना विवाह किए साथ रहते हैं उन्हें इसका पंजीकरण कराना होगा। केंद्र गवर्नमेंट पूरे राष्ट्र में सामान्य नागरिक संहिता लागू करने की योजना बना रही है। इसके लिए विधि आयोग कार्य कर रहा है। इस संदर्भ में, उत्तराखंड स्वतंत्र हिंदुस्तान में अपनी विधान सभा में सामान्य नागरिक संहिता विधेयक पेश करने वाला पहला राज्य बन गया।
इसी को ध्यान में रखते हुए आज सुबह विधानसभा पहुंचे सीएम पुष्कर सिंह थामी अपने हाथों में हिंदुस्तान के संविधान की प्रति लेकर पहुंचे। इसके बाद, सामान्य नागरिक विधेयक विधान सभा में पेश किया गया। फिर, सत्ता पक्ष के विधायकों ने अपना समर्थन दिखाने के लिए मेजें थपथपाईं और ‘जय श्री राम’ और ‘वंदे मातरम’ के नारे लगाए। गवर्नमेंट ने जानकारी दी है कि इस बिल पर बाद में चर्चा कर इसे पारित कराया जाएगा।
देश की आजादी के पहले से ही गोवा में सामान्य नागरिक संहिता लागू है। वहां पुर्तगाली शासन के दौरान प्रारम्भ हुई सामान्य नागरिक कानून प्रबंध अब भी लागू है। आजादी के बाद पहली बार उत्तराखंड में सामान्य नागरिक संहिता विधेयक पेश किया गया है। विधेयक का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि विवाह, तलाक, भूमि स्वामित्व, विरासत और गोद लेने से संबंधित कानून सभी धर्मों के लिए समान हैं।
साथ ही इस बिल में बिना विवाह के साथ रहने वालों को भी इस बारे में रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है। कहा गया है कि बिना विवाह के साथ रहने वालों को एक महीने के भीतर इसका पंजीकरण कराना होगा और ऐसा न करने पर तीन महीने की सजा का प्रावधान इस बिल में किया गया है। यह भी बोला गया है कि ऐसे शादी के बिना सहवासियों से पैदा हुए बच्चे वैध माने जाएंगे। इससे पहले पिछले वर्ष हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने सत्ता में आने पर यूनिवर्सल सिविल कोड लागू करने का वादा किया था।
इसके बाद, लगातार दूसरी बार सत्ता में आई बीजेपी ने सामान्य नागरिक संहिता विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए उच्चतम न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया। समिति ने पिछले शुक्रवार को अपनी 800 पन्नों की रिपोर्ट सीएम पुष्कर सिंह धामी को सौंपी। इसके बाद पिछले रविवार को हुई कैबिनेट बैठक में इस बिल को स्वीकृति दे दी गई।