आज हम आपको बताएंगे इस चारधाम मंदिर की विशेषता

उत्तराखंड के हल्द्वानी के लामाचौड़ में बने श्री चारधाम मंदिर में लोगों का अटूट विश्वास और आस्था है। इस मंदिर में विराजते हैं देवों के देव महादेव। आज हम आपको बताएंगे इस चारधाम मंदिर की विशेषता। आखिर क्यों है इस मंदिर पर लोगों का अटूट विश्वास और क्या है इस मंदिर की मान्यता। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, उत्तराखंड को कई देवी-देवताओं का निवास स्थल बताया जाता है। यही वजह है कि उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से भी पुकारा जाता है। मान्यता है कि श्री चारधाम मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को चारों धाम के दर्शन के बराबर का पुण्य प्राप्त होता है।
कुमाऊं के द्वार हल्द्वानी में लामाचौड़ क्षेत्र में स्थित ऐसा ही एक सिद्धपीठ श्री चारधाम मंदिर है। माना जाता है कि यह मंदिर करीब 450 वर्ष पुराना है। यही वजह है कि इस मंदिर में वर्ष भर श्रद्धालु हाजिरी लगाने पहुंचते हैं। माना जाता है कि सच्चे मन से मांगी गई मुराद चारधाम मंदिर में आकर जरूर पूरी होती है। भगवान शिव के केदारनाथ रूप के दर्शन हों या फिर कैलाश पर्वत पर बसा भगवान शिव का परिवार, इस मंदिर में देवों के देव महादेव की कृपा बरसती है।
राधा कृष्ण, भगवान बदरीनाथ, शनिदेव, कुबेर समेत कई देवी-देवताओं के मंदिर भी यहां हैं। यहां शनिदेव मंदिर के पास पीपल के पेड़ पर बनी पांच अंगुलियों की आकृति श्रद्धालुओं को बरबस ही अपनी ओर खींचती है।
मंदिर के पुजारी चंद्रशेखर जोशी बताते हैं कि अटूट आस्था के केंद्र श्री चारधाम मंदिर में महाशिवरात्रि पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है। इसके साथ ही वर्ष भर मंदिर परिसर में श्रीमद्भागवत कथा समेत अन्य धार्मिक कार्यक्रमों से वातावरण भक्तिमय रहता है। इस मंदिर में आकर चार धामों के दर्शन के बराबर पुण्य फायदा होता है। यही वजह है कि इस मंदिर की महिमा दूर-दूर तक फैली हुई है।