उत्तराखण्ड

पहाड़ों में भूले बिसरे मोटे अनाज की खेती की सुगबुगाहट फिर शुरू

बदलते समय में अब स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ रही है और लोग अपने परम्परागत खानपान की ओर लौट रहे हैंमिलेट्स यानी जिस मोटे अनाज बोला जाता है जिससे लोगों ने दूरी बना ली थी, लेकिन अब वही मोटा अनाज अब उनकी थाली का अहम हिस्सा होता जा रहा है वजह है मोटे अनाजों में पाए जाने वाले भरपूर पोषक तत्व जो आपके शरीर को अनेक रोगों से बचाने का काम करते हैं यहीं वजह भी है कि इस वर्ष अंतराष्ट्रीय मिलेट्स साल को पूरे राष्ट्र मे लोगों को सतर्क करने के लिए मनाया जा रहा है

पहाड़ों की बात करे तो यहां सदियों से लोग मोटे अनाजों का की इस्तेमाल करते आये हैं जिसका उत्पादन अब कम होने से इसकी उपयोगिता भी कम हो रही है मोटे अनाज के लाभ और उसकी खेती को बढ़ावा देने के विषय मे जानने के लिए हमने बात की पिथौरागढ़ के कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों से जो आजकल ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर मोटे अनाजों की खेती को बढ़ावा देने के लिए लोगों को सतर्क कर रहे हैं

पर्वतीय क्षेत्रों में अनुकूल स्थिति
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ अलंकार सिंह ने जानकारी देते हुए कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में मोटे अनाजों की अच्छी पैदावार हो सकती है क्योंकि मोटे अनाजों के लिए सिंचाई की जरूरत कम हैसाथ ही इसमें ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो शरीर के लिए काफी लाभ वाला होते है उन्होंने बोला कि अब मोटे अनाजों की डिमांड बढ़ रही है ऐसे में यदि किसान बंधु इसकी खेती पर अधिक ध्यान दे तो वह अपनी आमदनी को बढ़ा सकते है

किसानों को दिया जा रहा प्रशिक्षण
वहीं कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डाक्टर अभिषेक बहुगुणा ने कहा कि वह गांव-गांव जाकर लोगों को मोटे अनाज जैसे मड़वा और बाजरा के उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण भी दे रहे हैं जिसमें बिस्किट और इडली बनाना लोगों को सिखाया जा रहा है

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