इस जगह के लड़कों को नहीं मिल रही शादी के लिए लड़कियां, जानें वजह
उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में शादियों के लिए सरकारी जॉब और प्रॉपर्टी लड़कियों की पहली शर्त बनते जा रहा है। जिसके चलते कई ऐसे पुरुष भी हैं, जिन्हें संबंध के लिए लड़कियां ही नहीं मिल रही हैं। बात यदि पिथौरागढ़ जिले की करें तो रोजगार के साधन यहां कम ही हैं। अधिकांश युवा रोजगार के लिए अन्य शहरों में निजी क्षेत्र में काम कर रहे हैं। युवाओं की उम्र बढ़ते जा रही है और विवाह के लिए आजकल सरकारी जॉब को अहमियत मिलने के चलते कई लड़के कुंवारे ही रह गए हैं। जिस कारण अब कुमाऊं भर के लोग पिथौरागढ़ से सटे पड़ोसी राष्ट्र नेपाल तक भी संबंध ढूंढने जा रहे हैं। वहां इन लड़कों को विवाह के लिए लड़कियां भी मिल जा रही हैं।
कुमाऊं भर से नेपाल में संबंध की तलाश
पिथौरागढ़ जिले की सीमा नेपाल से लगी हुई है। यहां सीमा के आरपार तो रोटी-बेटी का संबंध सदियों से है लेकिन अब शहरी इलाकों के साथ ही कुमाऊं के अन्य जिलों के लोग भी संबंध के लिए नेपाल का रुख कर रहे हैं। वैसे नेपाल के ज्यादातर इलाकों के लोग अभी भी गरीबी के स्तर से उठ नहीं पाए हैं, ऐसे में शादी-दहेज आदि के खर्च को ध्यान में रखते हुए वे अपनी लड़की की विवाह करने के लिए राजी हो जाते हैं। इसलिए यहां के कुंवारे युवकों की आशा भी अब नेपाल बना हुआ है।
बेरोजगारी बन रहा सबसे बड़ा कारण
पिथौरागढ़ के क्षेत्रीय निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप थापा ने जानकारी देते हुए कहा कि महंगाई के इस दौर में बेरोजगारी भी बढ़ रही है। कोई भी मां-बाप अपनी लड़की की विवाह ऐसी स्थान कराना चाहेगा, जहां उसका भविष्य सुरक्षित हो और आजकल सरकारी जॉब ही इसका विकल्प बनकर सामने आई है। इस वजह से बेरोजगार या निजी क्षेत्र में काम करने वाले युवकों से किनारा किया जा रहा है। उन्होंने आगे बोला कि यही कारण भी है कि लड़कों की विवाह की उम्र निकल रही है, लेकिन उनकी विवाह नहीं हो रही। जिसके चलते अब उनका परिवार पड़ोसी राष्ट्र नेपाल में भी विवाह के लिए संबंध ढूंढे जा रहा है।
नेपाल जाकर की बेटे की शादी
पिथौरागढ़ निवासी गोविंद पुनेठा (बदला हुआ नाम) ने बोला कि उनका बेटा यहीं शहर में रहकर काम करता है। उसकी आमदनी इतनी नहीं है। उसके संबंध के लिए कई स्थान बात की लेकिन कहीं लड़की वालों को सरकारी दामाद चाहिए होता था, तो कहीं प्रॉपर्टी आदि की डिमांड रहती थी। इस वजह से कहीं बात नहीं बन रही थी और लड़के की उम्र भी निकली जा रही थी। उन्होंने आगे बोला कि किसी परिचित के माध्यम से उन्हें नेपाल के दार्चुला में एक संबंध की जानकारी मिली और फिर वे लोग वहां गए और बात बन गई। गोविंद कहते हैं कि लड़कियों या उनके माता-पिता की इस तरह की डिमांड के चलते लड़कियों की विवाह की उम्र भी निकल रही है। वे सुयोग्य जीवनसाथी के बजाय भौतिक सुख-सुविधाओं की ओर ध्यान दे रहे हैं। यही वजह है कि आज के समय में 30 वर्ष की उम्र बीत जाने के बाद भी लड़कियां अपने घर पर बैठी हैं।