उत्तराखण्ड

उत्तराखंड के इन 3 शहरों में तेज़ी से बढ़ रहे हैं प्रदूषण

पहाड़ जहां पहले स्वच्छ वातावरण के लिए जाने जाते थे, वे अब दूषित होने लगे हैं यहां की आबोहवा में तेजी से सल्फर डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है हवा में प्रदूषण की मात्रा में भी बढ़ोत्तरी हो रहा है, जिसे लेकर वैज्ञानिक भी चिंतित नजर आ रहे हैं उत्तराखंड के गढ़वाल केन्द्रीय यूनिवर्सिटी के एटमॉस्फेरिक लैबोरेट्री डिपार्टमेंट ऑफ फिजिक्स के कोर्डिनेटर डॉ आलोक सागर गौतम ने मीडिया से बोला कि उत्तराखंड के हल्द्वानी, हरिद्वार, देहरादून जैसे शहरों में प्रदूषण का तेजी से बढ़ना आम है, क्योंकि वहां कई कारखाने और फैक्ट्रियां संचालित होती हैंउत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में वातावरण को काफी साफ माना जाता था, लेकिन अब तेजी से यहां भी हवा की गुणवत्ता खराब हो रही है ऐसे में अब उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल स्थित एटमॉस्फेरिक लैब रियल टाइम एयर क्वालिटी को मॉनिटर करेगा इसके लिए गढ़वाल यूनिवर्सिटी और हिंदुस्तान गवर्नमेंट के बीच एमओयू साइन हुआ है


डॉ गौतम ने Local 18 से बोला कि पहाड़ों में वायु की गुणवत्ता दिन रोजाना कम होती जा रही है राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक के मुताबिक अब गढ़वाल क्षेत्र के पहाड़ी क्षेत्रों की हवा में प्रदूषण मैदानी इलाकों की तरह बढ़ने लगा है उच्च हिमालयी इलाकों में तेजी से बढ़ रहा प्रदूषण चिंता का विषय है इससे यहां रहने वाले लोगों के साथ हिमालय में पाई जाने वाली दुर्लभ जड़ी-बूटियां, वनस्पति के साथ हिमालय के पारिस्थितिकी तंत्र पर भी असर देखने को मिलेगा

10 वर्षों में स्थिति भयावह?
डॉ गौतम ने बोला कि पर्वतीय क्षेत्रों की वायु गुणवत्ता पर उनके द्वारा अध्ययन किया गया, जिसमें यह साफ हुआ कि यहां कि हवा भी मैदानी इलाकों के करीब पहुंच रही है चारधाम यात्रा के दौरान बड़ी संख्या में वाहनों का अपर हिमालय की ओर आना, बिना मानकों और पॉल्यूशन कंट्रोल के वाहनों का चलना, फॉरेस्ट फायर, खनन, निर्माण आदि के चलते सड़कों पर उड़ते धूल के गुबार इसके कारक हैं यदि जल्द ही कोई ठोस नीति नहीं बनाई गई, तो आने वाले 10 वर्षों में स्थिति भयावह हो सकती है

हवा की रियल टाइम मॉनिटरिंग
गढ़वाल यूनिवर्सिटी की कुलपति प्रोफेसर अन्नपूर्णा नौटियाल ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM), पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय हिंदुस्तान गवर्नमेंट के साथ गढ़वाल यूनिवर्सिटी के एटमॉस्फेरिक लैबोरेट्री भौतिक विज्ञान विभाग के बीच एमओयू साइन किया गया है जिसके बाद अब रियल टाइम एयर क्वालिटी मेजरमेंट किया जाएगा इससे वातावरण में घुलने वाले अमोनिया, मीथेन, नाइट्रो डाक एनालाइजर समेत अन्य तत्वों की रियल टाइम मॉनिटरिंग की जा सकती है उन्होंने बोला कि इससे पहले उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में रियल टाइम एयर क्वालिटी मेजरमेंट नहीं हो पाता था, लेकिन अब उपकरण लगने के बाद यह संभव हो पाएगा

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