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Yogi Adityanath News: मालेगांव धमाके के आरोपी का हुआ बड़ा खुलासा

Yogi Adityanath News: मालेगांव ब्लास्ट 2008 के आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित ने कई बड़े खुलासे किए हैं. पुरोहित का बोलना है कि मुद्दे की जांच कर रहे ऑफिसरों ने उन्हें यूपी के तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ का नाम लेने के लिए विवश किया गया. उसने यह भी दावा किया है कि तब अविभाजित राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी पार्टी यानी NCP के प्रमुख शरद पवार ने पहली बार ‘हिंदू आतंक’ का जिक्र किया था. 29 सितंबर 2008 को हुए धामके में मालेगांव में 6 लोगों की मृत्यु हो गई थी और 100 लोग घायल हुए थे.

पुरोहित का बोलना है कि मुंबई में अरैस्ट किए जाने के बाद उन्हें खंडाला के एक बंगले में ले जाया गया, जहां तत्कालीन एटीएस प्रमुख दिवंगत हेमंत करकरे और तब एटीएस के ज्वाइंट कमिश्नर रहे परमबीर सिंह समेत कई लोग पूछताछ कर रहे थे.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, पुरोहित ने बयान दिया है, ‘करकरे और परमबीर सिंह खुफिया नेटवर्क और मेरे सोर्सेज और एसेट्स की लिस्ट देने के लिए विवश कर रहे थे, जिन्होंने SIMI और ISI और चिकित्सक जाकिर नाइक की गतिविधियों की मैपिंग में मेरी सहायता की थी. मैंने अपने सोर्स नेटवर्क की जानकारी देने से इंकार कर दिया था.‘ पुरोहित का दावा है कि उन्हें 29 अक्टूबर 2008 को अरैस्ट किया गया था, लेकिन एटीएस ने उन्हें अरैस्ट नहीं कहा था.

खास बात है कि उन्होंने बयान में कर्नल पीके श्रीवास्तव का भी जिक्र किया है. पुरोहित का बोलना है कि श्रीवास्तव ने उन्हें ‘धोखा’ दिया और एटीएस को सौंप दिया. रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस कस्टडी में पुरोहित को सबसे पहले मारने वाले श्रीवास्तव थे और बाद में जब 6 कॉन्स्टेबलों ने उन्हें बांधा, तो परमबीर सिंह ने भी धावा किया.

रिपोर्ट के अनुसार, पुरोहित ने बयान दिया है, ‘मेरे साथ जो बर्ताव हुआ, वो किसी जानवर ने भी महसूस नहीं किया होगा और ऐसा सलूक किया गया, जैसा कोई शत्रु राष्ट्र युद्ध बंदी के साथ भी नहीं करता है. करकरे, परमबीर और कर्नल श्रीवास्तव लगातार दबाव डाल रहे थे कि मुझे मालेगांव बम ब्लास्ट की जिम्मेदारी ले लेनी चाहिए और मुझे आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद के वरिष्ठ दक्षिणपंथी नेताओं और उत्तर प्रदेश से तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ का नाम ले लेना चाहिए. यातना 3 नवंबर 2008 तक जारी रही.

पुरोहिता का दावा है कि यातना के चलते उनका घुटना टूट गया है और वह चल भी नहीं सकते हैं. उन्होंने यह भी दावा किया है कि उन्हें गोली मारे जाने की भी योजना बनाई जा रही थी. 5 नवंबर 2008 को पुरोहित को आधिकारिक रूप से अरैस्ट कहा गया. इसपर पुरोहित ने का कि एटीएस ने ‘ऐसे लोगों की जांच की एक कहानी बनाई, जिन्हें वो हमेशा से अरैस्ट करना चाहती थी, शायद ऐसे निर्देश उन्हें सियासी आकाओं ने दिए थे और निशाने पर रहे लोगों के विरुद्ध मुकदमा बन गया, जो अब आरोपी हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, पुरोहित का दावा है कि मालेगांव धमाके के एक महीने से भी अधिक समय से पहले ‘अचानक एनसीपी अध्यक्ष (शरद पवार) ने अलीबाग में रैली के दौरान बयान दिया कि इस्लामिक आतंकी ही नहीं, बल्कि हिंदू आतंकी भी हैं. यह पहली बार था, जब हिंदू आतंक की बात कही गई.

पुरोहित ने वकील विरल बाबर के जरिए स्पेशल न्यायालय को बयान भेजा है. स्पेशल न्यायालय में सभी आरोपियों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं, जिनके विरुद्ध धमाके में कथित किरदार के चलते केस चलाया जा रहा है.

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