उत्तर प्रदेश

यूपी के इस शहर में मिलती है मूर्ति बनाने वाली ये दुर्लभ मिट्टी,विदेशों में भी है इसकी मांग

विंध्याचल क्षेत्र के मिर्जापुर के अहरौरा में मिलने वाली दुर्लभ करेली मिट्टी से बनी मूर्तियों की विदेशों में भी खासी मांग है विंध्यपर्वत क्षेत्र के मां भंडारी देवी के पूरब में ही मिलती है यह खास मिट्टी, इससे निर्मित खिलौने और बर्तन के ऑर्डर इस वर्ष बढ़े हैं विदेशों के साथ ही राष्ट्र में भी इससे निर्मित खिलौने और बर्तन के आर्डर भी पिछले वर्ष के मुकाबले बढ़े हैं करेली मिट्टी से बनी मूर्तियां और बर्तन पर्यावरण फ्रैंडली होती हैं कारण है कि इसे शेप देने के लिए प्लास्टर ऑफ पेरिस का तनिक भी प्रयोग नहीं किया जाता है

अहरौरा क्षेत्र में स्थित मां भंडारी देवी मंदिर के पूरब में ही यह खास मिट्टी मिलती है इसकी विशेषता है कि यह बहुत साफ्ट होती है, जो पकने के बाद काफी मजबूत हो जाती है इस पर रंग भी काफी चटख चढ़ता है, जिसके कारण मूर्तियां सजीव सी दिखती हैं करेली मिट्टी से बनी मूर्तियों की पूरे राष्ट्र में खासी मांग है इसके अतिरिक्त नेपाल, श्रीलंका और इंडोनेशिया में भी यहां की मूर्तियां जाती हैं नेपाल और इंडोनेशिया में ईश्वर गणेश के मुखौटे की डिमांड अधिक है

प्रदूषण की गुंजाइश नहीं
करेली मिट्टी पूरी तरह प्राकृतिक है जब इसे भट्टी में पकाते हैं तो यह धुआं नहीं छोड़ती है मूर्तियां जब कलर होने के बाद सामने आती हैं तो अलग ही नजर आती हैं इसकी न सिर्फ़ फिनशिंग अच्छी होती है बल्कि पर्यावरण को किसी प्रकार से हानि भी नहीं पहुंचाती हैं

कुम्हारों ने काला होने के कारण करेली नाम रखा
बेहद सॉफ्ट और सरलता से शेप लेने वाली करेली मिट्टी का रंग काला है क्षेत्र के कुम्हारों का बोलना है कि काला रंग होने के कारण ही हमारे दादा-परदादा के जमाने से ही इसे करेली मिट्टी बोला जा रहा है

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