साढ़े चार फिट ऊंचा बनेगा राम दरबार का श्रीविग्रह, चल रही है निर्माण प्रक्रिया
राम मंदिर में प्रथम तल का निर्माण लगभग पूरा हो गया है और द्वितीय तल के साथ शिखर के निर्माण की प्रक्रिया चल रही है. इस दौरान राम मंदिर के प्रथम तल पर राम दरबार के श्रीविग्रह के निर्माण का काम भी चल रहा है. यह निर्माण राजस्थान के जयपुर में श्वेत संगमरमर से किया जा रहा है. जानकारी के मुताबिक राम दरबार के लिए बनाए जा रहे विग्रह की ऊंचाई साढ़े चार फिट निर्धारित की गई है. कहा गया कि सिंहासन पर विराजमान भगवान राम और माता सीता का श्रीविग्रह श्वेत संगमरमर की एक शिलाखंड पर ही निर्मित हो रहा है जबकि हनुमान जी के अतिरिक्त तीनों भाईयों (भरत-शत्रुघ्न और लक्ष्मण) के विग्रह का निर्माण भिन्न-भिन्न शिलाखंड में हो रहा है.
नौ को अयोध्या आएंगे मूर्तियों का निर्माण करने वाले मूर्तिकार
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने राजस्थान से रामलला के श्रीविग्रह के निर्माण का प्रस्ताव लेकर आए उन प्रतिष्ठित मूर्तिकारों की टोली को ही यह जिम्मेदारी दी है जिन्हें तब अवसर नहीं मिल पाया था और वह निराश हुए थे. फिलहाल उनकी निराशा दूर कर दी गयी है, जिससे वह अत्यधिक प्रसन्न हैं और राम मंदिर में सहयोग के लिए उत्साहित भी है. इन्हीं में एक प्रतिष्ठित मूर्तिकार ने नाम की गोपनीयता की शर्त पर कहा कि सभी मूर्तियों के निर्माण के लिए नवम्बर 2024 का समय तीर्थ क्षेत्र की ओर से दिया गया है.
हमारी प्रयास है कि समय के पहले निर्माण पूरा हो जाए. फिर भी निर्माण का काम बड़ी एकाग्रता और सरेंडर की आवश्यकता होती है, तभी मूर्ति में ऊर्जा का संचार होता है और उसका आकर्षण अलग दिखता है. कहा गया कि जयपुर में परकोटा के छह मंदिरों के अतिरिक्त सप्त मंडपम की सात एवं गोस्वामी तुलसीदास समेत करीब दो दर्जन मूर्तियों का निर्माण कार्य प्रगति पर है. कहा गया कि इन मूर्तिकारों की टोली नौ सितम्बर को अयोध्या आएगी.
श्रीरामजन्मभूमि परिसर के आडीटोरियम में रामलला के शेष दो मूर्तियों को मिलेगा स्थान
राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा से पहले तीन मूर्तिकारों के जरिए बनवाए गए भगवान के श्रीविग्रहों में से शेष दो विग्रहों को लेकर कोई फैसला नहीं लिया गया है. तीर्थ क्षेत्र के अधिकृत सूत्रों के मुताबिक इन दो मूर्तियों को श्रीराम जन्मभूमि परिसर में प्रस्तावित ऑडिटोरियम में जगह दिए जाने पर मंथन किया जा रहा है. तीर्थ क्षेत्र में दो विग्रहों का निर्माण दक्षिण हिंदुस्तान से लाई गई भिन्न-भिन्न दो श्याम वर्षीय शिलाओं से कराया था.
इन विग्रहों का निर्माण क्रमशः मूर्तिकार अरुण योगीराज और प्रो। गणेश भट्ट ने किया था. यह दोनों मूर्तिकार कर्नाटक के थे. वहीं श्वेत संगमरमर की शिला पर एक विग्रह का निर्माण राजस्थान के मूर्तिकार सत्य नारायण पाण्डेय ने किया था. तीर्थ क्षेत्र ने इन तीनों मूर्तिकारों को 75-75 लाख की रकम पारिश्रमिक के रूप में प्रदान की है. मूर्तिकार श्री पाण्डेय ने कहा कि रकम का भुगतान प्राप्तहोगयाहै.