यूपी में आरओ एआरओ परीक्षा भी रद्द, कुल 334 पदों के लिए हुई थी परीक्षा
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आरओ एआरओ (RO ARO Exam) परीक्षा भी रद्द कर दी है। अभ्यर्थियों के धरना प्रदर्शन के बाद मुख्यमंत्री ने ये निर्णय लिया है। परीक्षा में गड़बड़ी की जांच एसटीएफ कराने के निर्देश भी दिए गए हैं। छह महीने में परीक्षा को दोबारा कराने के लिए बोला गया है।
पहले दिए गए थे जांच के आदेश
सीएम योगी आदित्यनाथ ने 24 फरवरी को सिपाही भर्ती परीक्षा रद्द करने के साथ ही यूपीपीएससी की आरओ/एआरओ परीक्षा की परीक्षा में गड़बड़ी और पेपर लीक से संबंधित शिकायतों के जांच के निर्देश दिए थे। इस संबंध में अभ्यर्थियों से साक्ष्य भी मांगे गए थे। लेकिन अभ्यर्थी लगातार दोबारा परीक्षा कराने की मांग कर रहे थे। विपक्षी दल भी उत्तर प्रदेश में लगातार पेपर लीक के प्रकरण को मीडिया के माध्यम से उछाल रहे थे। इसी को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी ने शनिवार को आरओ एआरओ परीक्षा को भी रद्द करने के निर्देश दिए हैं।
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) ने 11 फरवरी को समीक्षा अधिकारी/ सहायक समीक्षा अधिकारी (प्रारंभिक) परीक्षा-2023 कराई थी। इसमें समीक्षा अधिकारी के 334 और सहायक समीक्षा अधिकारी के 77 पदों के लिए 1076004 अभ्यर्थी परीक्षा में बैठे थे। 58 जिलों में परीक्षा का आयोजन किया गया था। इस परीक्षा में भी गड़बड़ी की शिकायतों को री एग्जाम कराने की मांग की जा रही है।इसके बाद ठीक इसमें गड़बड़ी और पेपर लीक की सूचनाएं वायरल हो रही थीं। अभ्यर्थियों ने प्रयागराज में परीक्षा दोबारा कराने की मांग को लेकर अयोग के ऑफिस के बाहर प्रदर्शन भी किया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने परीक्षा को रद्द करने के साथ ही निर्देश दिए हैं कि इस प्रकार के आपराधिक कृत्य में सम्मिलित व्यक्तियों को चिन्हित कर उनके विरुद्ध कड़ी वैधानिक और दंडात्मक कार्रवाई की जाए। एसटीएफ इस मुद्दे की जांच करेगी।
यूपी पुलिस सिपाही भर्ती भी हुई थी रद्द
इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ ने 17 और 18 फरवरी को हुई उत्तर प्रदेश पुलिस सिपाही भर्ती परीक्षा को रद्द कर दिया था। मुख्यमंत्री ने छह माह के अंदर सिपाही भर्ती परीक्षा दोबारा आयोजित कराने के निर्देश दिए थे। सीएम ने बोला था कि युवाओं की मेहनत से खिलवाड़ और परीक्षा की शुचिता से समझौता स्वीकार नहीं किया जा सकता। ऐसे अराजक तत्वों के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई की जाए। इसी के साथ ही शासन ने उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती बोर्ड को निर्देश दिए थे कि जिस भी स्तर पर ढिलाई बरती गई है, उनके खिलाफ एफआईआर कराई जाए। छह माह बाद होने वाली परीक्षा में यूपी परिवहन निगम की सेवा से अभ्यर्थियों को मुफ़्त आने-जाने की प्रबंध करने के निर्देश दिए गए हैं।