उत्तर प्रदेश

मुड्डे… बिना मशीन के 24 घंटे में होते हैं तैयार,ये है  मुड्डों की कीमत

हापुड़ जिले के मुड्डों की देशभर में अपनी अलग ही पहचान है पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो रहे तीर्थनगरी गढ़मुक्तेश्वर में दूर-दूर से आने वाले पर्यटक यहां के मुड्डों को खरीद कर ले जाते हैं मुड्डों से न केवल घर की शोभा बढ़ती है, बल्कि वह सस्ते होने के साथ-साथ मजबूत और टिकाऊ भी होते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि एक मुड्डा बनाने में कितनी मेहनत लगती है और कितनी लागत आती है यदि नहीं, तो आज हम आपको बताएंगे कि दिखने में स्टाइलिश यह मुड्डे कितनी मेहनत के बाद तैयार होते हैं

मुड्डा बनाने वाले कामगारों का बोलना है कि दशकों से इनके यहां मुड्डा बनाने का काम होता आ रहा है पिछली तीन-चार पीढ़ियां भी यही मूड्डा कारोबार को करती रही हैं बड़े-बुजुर्गों से सीखकर वह भी इस काम में जुट गये हैं कामगार विजयपाल सिंह बताते हैं कि मुड्डा बनाने में बहुत ही मेहनत लगती है पहले बांस की लकड़ियों को लाया जाता है फिर उन्हें एकत्रित करके काटा और छांटा जाता है इसके बाद रस्सी और फूस की सहायता से उन्हें बांधकर तैयार किया जाता है एक मुड्डा बनाने में पूरा-पूरा दिन लग जाता है

ये है  मुड्डों की कीमत
अगर बात की जाए लागत की, तो बाजार में मिलने वाले 800 रुपये के मुड्डे में ट्रांसपोर्ट सहित करीब 500 से 600 रुपये तक की लागत आती है जबकि पूरे दिन की मजदूरी में उन्हें केवल 200 से 250 रुपये ही मिल पाते हैं विजयपाल ने कहा कि मुड्डा बनाने के इस काम में उनके परिवार के सभी सदस्य पूरे दिन जुटे रहते हैं उनके चार भाई हैं वह भी मुड्डा बनाने का काम कर रहे हैं

हाथों से तैयार होते हैं मुड्डे
मुड्डा बना रहे एक कामगार ने कहा कि पूरे दिन की मेहनत के बाद केवल एक ही मुड्डा तैयार हो पाता है इसकी बड़ी वजह ये है कि आज भी इन मुड्डों को बिना किसी मशीन की सहायता के केवल और केवल हाथों से ही तैयार किया जाता है हाथों से मुड्डा बनाते-बनाते सुबह से शाम हो जाती है, तब कहीं जाकर एक मुड्डा बड़ी कठिन से तैयार हो पाता है

सड़क किनारे करोड़ों कारोबार
आपको बता दें कि हापुड़ के गढ़मुक्तेश्वर में मुड्डे का बड़ा कारोबार है बोला जाता है कि ब्रजघाट आने वाले श्रद्धालु गंगा का प्रसाद मानकर इन मुड्डों को यहां से खरीदकर ले जाते हैं जिसकी वजह से वर्ष भर में करीब करोड़ों रूपये के मुड्डों की बिक्री हो जाती है, लेकिन महंगाई के चलते कामगारों को पूरे दिन की मजदूरी के बाद मात्र 200-250 रुपये ही मिल पाते हैं जिससे वह अपना और अपने परिवार का गुजारा करते हैं

Tags: Hapur News, Local18, Uttar pradesh news

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