मौनी अमावस्या पर संगम में दो करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी
प्रयागराज में मौनी अमावस्या पर माघ मेले का सबसे बड़ा स्नान पर्व शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गया। 54-दिवसीय माघ मेले मेले में मौनी अमावस्या के दिन करीब दो करोड़ से अधिक तीर्थयात्रियों ने संगम में पवित्र डुबकी लगाई। माघ मेला अधिकारी दयानंद प्रसाद ने कहा कि योगी गवर्नमेंट की ओर से मौनी अमावस्या पर संगम में आए श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से फूलों की वर्षा करवाई गई।
उन्होंने कहा कि मौनी अमावस्या पर संगम क्षेत्र में तड़के श्रद्धालु पहुंच गए। सुबह 8 बजे तक 90 लाख लोग डुबकी लगा चुके थे। सुबह 10 बजे तक, 1.15 करोड़ लोगों ने डुबकी लगाई थी और दोपहर 12 बजे तक यह संख्या बढ़कर 1.40 करोड़ और दोपहर 2 बजे तक 1.70 करोड़ हो गई।
माघ मेला अधिकारी दयानंद प्रसाद ने कहा, शाम 4 बजे तक 1.95 करोड़ और शाम तक 2 करोड़ से अधिक तीर्थयात्रियों और संतों ने स्नान पर्व के लिए स्थापित विभिन्न स्नान घाटों पर डुबकी लगाई। जिला प्रशासन और प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने इस अवसर पर सभी भक्तों को स्वच्छ वातावरण के बीच कड़ी सुरक्षा प्रदान करके व्यापक प्रबंध की। संगम के तट पर 8000 फीट के 12 अस्थायी स्नान घाट बनाए गए थे। सुबह से ही श्रद्धालुओं ने स्नान कर विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान किये।
हवा में ठंडक के बावजूद, शुक्रवार को दिन भर चमकती धूप के कारण श्रद्धालु अपने धार्मिक कार्य के लिए साफ आकाश का भरपूर इस्तेमाल कर रहे थे। संगम तट पर 750 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले माघ मेले के प्रबंधन के लिए 5,000 से अधिक पुलिस और सुरक्षा कर्मियों के अतिरिक्त मजिस्ट्रेट और सेक्टर ऑफिसरों को तैनात किया गया था। डुबकी लगाने वाले प्रमुख संतों में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती, शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती और बड़े हनुमान मंदिर के महंत बलबीर गिरि शामिल थे।मौनी अमावस्या शुक्रवार को धूमधाम से मनाई गई। श्रद्धालुओं ने सुबह रामगंगा पहुंचकर स्नान किया। स्नान के बाद दान पुण्य फायदा अर्जित किया। मंदिरों में भी सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। मौनी अमावस्या पर मकर राशि में सूर्य, चंद्रमा, मंगल और बुध ग्रह एक साथ विराजमान रहे। शुक्रवार को श्रद्धालुओं ने रामगंगा पहुंचकर स्नान किया। सूरज को अर्घ्य देकर विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर सुख शांति और समृद्धि का आशीर्वाद मांगा। मौनी अमवस्या पर मौन रहकर स्नान करना पुण्यकारी माना जाता है। साधु महात्मा और संतों को मौन रहकर स्नान करते देखा गया जबकि गृहस्थ एवं कल्पवासियों ने हर-हर गंगे का उद्घोष करते हुए आस्था की डुबकी लगाई। स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दिया। स्त्रियों ने रामगंगा किनारे फूल, धूप और दीप से मां गंगा से परिवार के लोगों की मंगल कामना की प्रार्थना की। पूजा अर्चना के बाद गृहस्थों ने स्नान कर घाटों पर बैठे पुरोहितों, ब्राह्मण और जरूरतमंदों को आटा, चावल, नमक, तिल, दाल आदि का वितरण किया।