उत्तर प्रदेश

अयोध्या में निर्माणाधीन श्री राम जन्मभूमि मंदिर की विशेषताओं के बारे में जानें

अयोध्या न्यूज डेस्क !!! अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर में ईश्वर रामलला के बहुप्रतीक्षित ‘प्राण प्रतिष्ठा’ कार्यक्रम की तैयारियां जोरों पर हैं 22 जनवरी को भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी इस दौरान ईश्वर राम के 5 वर्ष के बाल रूप को दर्शाने वाली मूर्ति रखी जाएगी 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए एक लाख से अधिक भक्तों के अयोध्या आने की आशा है, जिसमें हिंदुस्तान और विदेश से 7,000 से अधिक अतिथियों के शामिल होने की आशा है

इस कार्यक्रम में पीएम मोदी शामिल होंगे इतना ही नहीं रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान गर्भ गृह में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ चार अन्य लोग भी उपस्थित रहेंगे दोपहर 12:20 बजे आखिरी संस्कार किया जाएगा पारंपरिक नागर शैली में बनने वाले राम मंदिर परिसर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फीट और चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट होगी मंदिर की प्रत्येक मंजिल 20 फीट ऊंची होगी और इसमें कुल 392 स्तंभ और 44 द्वार होंगे तो आइए जानते हैं अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर की खासियतें

 विशेषताएं:

1. मंदिर का निर्माण पारंपरिक नागर शैली में किया जा रहा है
2. मंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट होगी
3. मंदिर तीन मंजिल का होगा प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट होगी मंदिर में कुल 392 स्तंभ और 44 द्वार होंगे

4. मुख्य गर्भगृह में ईश्वर श्रीराम की प्रतिमा (श्रीरामलाला गवर्नमेंट का विग्रह) होगी और पहली मंजिल पर श्रीराम दरबार होगा
5. मंदिर में 5 मंडप होंगे: नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप
6. खंभों और दीवारों में देवी-देवताओं की मूर्तियां उकेरी जा रही हैं
7. मंदिर में प्रवेश सिंहद्वार से 32 सीढ़ियां चढ़कर पूर्व दिशा से होगा

8. मंदिर में दिव्यांगों और बुजुर्गों के लिए रैंप और लिफ्ट की प्रबंध होगी
9. मंदिर के चारों ओर आयताकार परकोटा होगा चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर और चौड़ाई 14 फीट होगी
10. परकोटा के चारों कोनों पर सूर्यदेव, मां भगवती, गणपति और ईश्वर शिव को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण किया जाएगा उत्तर दिशा में मां अन्नपूर्णा और दक्षिण दिशा में हनुमान जी का मंदिर होगा

11. मंदिर के पास पौराणिक काल का सीताकूप अस्तित्व में रहेगा
12. मंदिर परिसर में प्रस्तावित अन्य मंदिर महर्षि वाल्मिकी, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी और ऋषिपत्नी देवी अहिल्या को समर्पित होंगे
13. दक्षिण पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीला पर ईश्वर शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार कर वहां जटायु की प्रतिमा स्थापित की गयी है

14. मंदिर में लोहे का प्रयोग नहीं किया जाएगा जमीन के ऊपर एकदम भी कंक्रीट नहीं है
15. मंदिर के नीचे 14 मीटर मोटा रोलर कॉम्पैक्ट कंक्रीट (आरसीसी) बिछाया गया है इसे कृत्रिम चट्टान का रूप दिया गया है

16. मंदिर को मिट्टी की नमी से बचाने के लिए 21 फीट ऊंचा चबूतरा ग्रेनाइट से बनाया गया है
17. मंदिर परिसर में स्वतंत्र रूप से सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, जल इलाज संयंत्र, अग्निशमन के लिए जल प्रबंध और स्वतंत्र बिजली स्टेशन का निर्माण किया गया है ताकि बाहरी संसाधनों पर निर्भरता कम से कम हो
18. 25,000 की क्षमता वाले तीर्थयात्री सुविधा केंद्र का निर्माण किया जा रहा है, जहां तीर्थयात्रियों के सामान रखने के लिए लॉकर और चिकित्सा सुविधाएं होंगी19. मंदिर परिसर में स्नानघर, शौचालय, वॉशबेसिन, खुले नल आदि की सुविधाएं भी होंगी
20. मंदिर का निर्माण पूरी तरह से भारतीय परंपराओं और स्वदेशी तकनीक से किया जा रहा है पर्यावरण-जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है कुल 70 एकड़ क्षेत्रफल का 70% हिस्सा सदाबहार होगा

Related Articles

Back to top button