उत्तर प्रदेश

HC ने भगवान शिव पर आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए ओवैस खान को राहत देने से किया इनकार

सोशल मीडिया पर ईश्वर महादेव का अपमान करने वाला क्रिमिनल ओवैस खान इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुँच गया. उसे कोर्ट से अपील की कि उसके खिलाफ दर्ज आपराधिक मुद्दा खारिज किया जाए, किन्तु 19 अप्रैल 2024 को मुद्दे की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उसे कोई राहत देने से इंकार कर दिया तथा बोला कि उसने ‘जान बूझकर धार्मिक अपमान किया’, इसलिए उसे कोई राहत नहीं जा सकती. प्राप्त एक रिपोर्ट के मुताबिक, इलाहाबाद हाई कोर्ट में जस्टिस प्रशांत कुमार की बेंच ने विविध समुदायों की धार्मिक मान्यताओं की गरिमा को बनाए रखने के महत्व पर बल दिया. उन्होंने कहा, “न्यायपालिका द्वारा यह साफ संदेश भेजना जरूरी है कि इस प्रकार के आचरण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. ऐसा करने वालों को मुनासिब कानूनी रिज़ल्ट भुगतने होंगे.हाई कोर्ट ने बोला कि धार्मिक विश्वास सभी नागरिकों के लिए जरूरी है. किन्तु यदि कोई आदमी दूसरे धर्म को अपमानित करता है, तो ये धर्मनिरपेक्षता एवं सहिष्णुता का “गंभीर अपमान” है.

न्यायालय ने बोला कि आरोपित ओवैस खान ने ‘धार्मिक मान्यताओं’ की उपेक्षा की, जो हमारे बहुधर्मी समाज के हिसाब से गलत है. इसे किसी भी प्रकार से ठीक नहीं ठहराया जा सकता. कोर्ट ने कहा, “अपमानजनक बयान पोस्ट करके आवेदक का आचरण न SIRFप्रभावित समुदाय की धार्मिक भावनाओं का अपमान है, बल्कि हमारे लोकतंत्र के मूलभूत सिद्धांतों को भी कमजोर करता है. एक समुदाय की मान्यताओं का मज़ाक उड़ाकर एवं उनकी तुलना सांसारिक वस्तुओं से करके, क्रिमिनल ने लाखों लोगों की गहरी आस्थाओं और भावनाओं को अनदेखा किया.” बता दें कि ओवैस खान ने सोशल मीडिया पर हिंदू समाज, ईश्वर महादेव का मजाक उड़ाया था एवं अपमान जनक शब्दों का इस्तेमाल किया था. उसने सड़क के डिवाइडर की तुलना शिवलिंग से की थी तथा हिंदुओं का मजाक उड़ाया था.

इस मुद्दे में उसके विरुद्ध 2 सितंबर 2022 को चार्जशीट दाखिल की गई थी. 13 जनवरी 2023 को उसे ट्रायल न्यायालय ने समन भेजा था, तत्पश्चात, उसने हाई कोर्ट में अपील की थी तथा अपने विरुद्ध दर्ज मुद्दे को खारिज करने की अपील की थी. उसके अधिवक्ता ने बहाना बनाया तथा बोला कि उसका सोशल मीडिया एकाउंट हैक हो गया था, ऐसे में किसी अन्य ने वो आपत्तिजनक पोस्ट किए. यही नहीं, उसकी ओर से दलील दिया गया कि वो पोस्ट किसी की धार्मिक भावनाओं को हानि नहीं पहुँचाते. वही इस मुद्दे में न्यायालय ने बोला कि ओवैस खान द्वारा जानबूझकर शिवलिंग की अपमानजनक तस्वीर प्रकाशित करना तथा अपमानजनक भाषा के लहजे से पता चलता है कि उसका उद्देश्य एक विशिष्ट समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाना था. न्यायालय ने कहा, “इस प्रकार की कार्रवाइयों को केवल राय की अभिव्यक्ति के रूप में माफ नहीं किया जा सकता है, बल्कि उन्हें इस रूप में पहचाना जाना चाहिए कि वे क्या हैं.” इस मुद्दे में उसके खिलाफ IPC की धारा 153-ए, 295-ए एवं सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम की धारा 6 के अनुसार केस दर्ज किया गया है.

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