उत्तर प्रदेश

तकनीकी खेती से लाखों रुपए कमाने की जुगत लगाते किसान

  1.  समय के साथ किसानों ने भी खेती किसानी का तरीका बदल दिया है अब यह अधिक लागत नहीं बल्कि तकनीकी खेती से लाखों रुपए कमाने की जुगत लगा रहे हैं यदि आप मेहनत और योजनाबद्ध ढंग से खेती करते हैं तो चार बीघा में भी लाखों रुपए की कमाई कर सकते है ऐसी ही कामयाबी की अनोखी कहानी है फर्रुखाबाद के प्रगतिशील किसान संतराम की अमानाबाद के एक किसान संतराम ने कुछ ऐसा ही करके दिखाया है पुश्तैनी और मौसम के उल्टा सब्जियों कि खेती प्रारम्भ की है इससे इन्हें लाखों रुपए की आमदनी हो रही है

मूली, शलजम, मेथी और पालक के साथ ही धनिया की मिश्रित खेती जो सब्जियों के रूप में लगभग सभी लोग खाने में पसंद करते हैं इससे कई प्रकार के टेस्टी रेसिपी भी बनाए जाते हैं वही क्षेत्र के जो किसान अगैती खेती करते हैं वह अच्छा फायदा भी कमाते हैं ऐसा ही उदाहरण यहां के किसान ने पेश किया है

कैसे होती है धनिया की खेती?
फर्रुखाबाद के अमानाबाद निवासी किसान संतराम ने कहा कि वह सब्जियों की खेती पिछले 25 साल से कर रहे हैं सबसे पहले खेत को समतल करते हैं जैविक खाद डालकर तैयार हो जाने के बाद खेत में समतलीकरण करके सब्जियों की बुआई कर देते है जब खेत में बीज की बुआई हो जाती है और पर्याप्त नमी बनाए रखने के लिए उसमें पानी दिया जाता है नमी कम होने पर पौधे झुलस जाते हैं ऐसे में धनिया के पौधों को पर्याप्त नमी में रखा जाता है इसमें अधिक सिंचाई नहीं की जाती है बल्कि यह फसल कम पानी में सरलता तैयार हो जाती है पांच से छह कटिंग हों के बाद इन पौधों को बढ़ने देते हैं कुछ ही दिनों बाद इन पौधों से बीज भी मिल जाते है जो आगे फसल के रूप में बुआई के लिए काम आते है

सालाना लाखों में हो रही है कमाई
चार बीघा में धनिया की खेती में बीस हजार रुपए कि आमतौर पर लागत आ जाती है यदि बाजार में इसके अच्छे दर मिल जाते हैं तो एक से डेढ़ लाख रुपए की आमतौर पर फायदा हो जाता है सब्जियों की फसल तैयार करने में 35 से 60 दिन लग जाते हैं अगैती फसल करने से इस समय पर बाजार में इसकी डिमांड अच्छी आ रही है सब्जियों की फसल हाथों हाथ बिक जाती हैं इस समय पर फर्रुखाबाद के कमालगंज क्षेत्र में सब्जियों की डिमांड भी है ऐसे समय पर यहां के किसानों को प्रति महीने 70 हजार से 1 लाख रुपए की बचत हो रही है

 

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