उत्तर प्रदेश

93 बच्चों को बस में भरकर लाने वाले 5 मौलवी धराए, मासूमों ने सुनाई आपबीती

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में शुक्रवार (26 अप्रैल) को मानव स्मग्लिंग की संभावना के कारण पुलिस ने एक बस की तलाशी ली थी. उस वक़्त इस बस में 93 नाबालिग बच्चे भरे हुए मिले थे, जिनकी उम्र 6 से 14 वर्ष के मध्य थी. इसी बस में 5 मौलवी भी उपस्थित थे. सभी बच्चे बिहार के अररिया जिले के निवासी बताए गए. इन्हें इस्लामी शिक्षा देने के नाम पर सहारनपुर जिले के एक मदरसे में ले जाया जा रहा था. गौर करने वाली बात तो ये है कि, ये मदरसे भी दर्ज़ नहीं थे और बच्चों को लाने का तरीका भी गैरकानूनी था.

रिपोर्ट के अनुसार, मौलवियों पर बच्चों को अनाथ बता कर विदेशों से मोटा फंड लेने का आरोप है. बच्चों ने कहा कि उन पर अत्याचार भी किया जा रहा था, फ़िलहाल प्रशासन इस मुद्दे की जाँच कर रहा है. रिपोर्ट्स के अनुसार, शुक्रवार को अयोध्या के देवकाली के निकट पुलिस ने एक डबल डेकर बस रोकी. बस में तकरीबन 100 लोग उपस्थित थे. जिसमे से 93 नाबालिग बच्चे थे, जो बहुत थके और डरे हुए लग रहे थे. बस बिहार के अररिया से उत्तर प्रदेश आ रही थी. पुलिस से हुई प्रारंभिक पूछताछ में बस में सवार 5 मौलवियों ने जानकारी दी कि वो सहारनपुर जा रहे हैं. यहाँ के देवबंद क्षेत्र में उपस्थित 2 मदरसों का उल्लेख किया गया जिनके नाम मदारूल उलूम रफीकिया और दारे अरकम हैं. अनेक बच्चों का दाखिला इसी मदरसे में होने वाला था.

पुलिस ने छानबीन की, तो पता चला कि दोनों मदरसे दर्ज़ भी नहीं थे. साथ ही बस में सवार मौलवी बच्चों के माता-पिता से पैसे लेने के बाद भी उन्हें अनाथ बता कर बाहर से भी पैसे लेते थे. पुलिस ने बच्चों को लखनऊ के राजकीय बाल गृह पहुँचा दिया और उनके माता-पिता को भी सूचित कर दिया. रविवार (28 अप्रैल, 2024) को यहाँ राज्य बाल संरक्षण आयोग की टीम पहुँची. इन्होंने बच्चों का हालचाल लिया, तो उन्होंने मदरसे में होने अत्याचारों को खुल कर बताया. बरामद हुए 95 बच्चों में कई संबंध में सगे भाई हैं, तो कुछ अन्य एक दूसरे के संबंध में जानते तक नहीं हैं.

बच्चों ने कहा कि मदरसे में उन्हें बुरी तरह पीटा जाता था. उनसे शौचालय साफ करवाए थे और किसी को बताने पर बुरे अंजाम की धमकी दी जाती थी. बीमार होने पर भी बच्चों के घर से पैसे आने पर ही उनको दवा दी जाती थी. कई बच्चे सहारनपुर के मदरसे में पहले भी रह चुके हैं. यहाँ रात को गेट बंद हो जाते थे. गेट खोलने के लिए कहने पर बच्चों को गेट पर तैनात गार्डों द्वारा बेरहमी से पीटा जाता था. सर्वाधिक  प्रताड़ना देने वालों में बच्चों ने टीचर शहजाद और जबर का नाम लिया.

पाँचों मौलवियों को फ़िलहाल अरेस्ट कर लिया गया है. उनसे पूछताछ और अन्य कानूनी कार्रवाई की जा रही है. इन बच्चों के अभिभावकों से यहाँ तक लिखवाकर ले लिया गया था कि उनकी संतानों के साथ किसी अनहोनी के उत्तरदायी मौलवी नहीं होंगे. सोमवार (29 अगस्त) तक बच्चों के माता-पिता को लखनऊ आने को बोला गया है. राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की सदस्य डॉ शुचिता चतुर्वेदी के अनुसार, उनसे बात करते हुए बच्चे फूट-फूटकर कर रोने लगे.

कुछ बच्चों ने कहा कि वो चिकित्सक बनना चाहते हैं, तो कुछ ने पुलिस में जाने की ख़्वाहिश जताई, वहीं कुछ ने और कुछ बताया. बच्चों ने यह भी बोला कि मदरसे में पढ़ कर उनके सपनेन पूरे नहीं हो सकते. डॉ सुचिता का बोलना है कि वो आ रहे अभिभावकों से यह लिखित रूप से लेंगी कि दुबारा इन बच्चों का दाखिला मदरसे में नहीं करवाया जाएगा.

Related Articles

Back to top button