दलित महिला की अर्थी बनाने से बढ़ई का इंकार

संभल में एक दलित स्त्री की मृत्यु हाे गई. परिजनों ने आखिरी संस्कार के लिये बढ़ई को बुलाया तो बढ़ई ने दलित स्त्री की अर्थी बनाने से इंकार कर दिया. बताया जा रहा है कि एक-एक तीन बढ़इयों ने अर्थी बनाने से इन्कार कर दिया तो गांव के लोग उग्र हो गए. इसके बाद पुलिस की सहायता से दूसरे गांव से बढ़ई को बुलाकर अर्थी बनवाई गई, तब स्त्री का आखिरी संस्कार हो सका. मामला ऐचौड़ा कंबोह क्षेत्र के गांव बाबूखेड़ा का है.
गांव के निवासी धर्मपाल की पत्नी 60 वर्षीय इंद्रेश की रोग के चलते रविवार सुबह मृत्यु हो गई. सूचना पाकर ग्रामीणों के अतिरिक्त मृतका के सम्बन्धी भी आखिरी संस्कार में शामिल होने के लिए गांव पहुंच गए.
देवर बोले- 3 बढ़इयों ने मना कर दिया
महिला के देवर सुभाष ने बताया ,” भाभी की मृत्यु के बाद गांव के रहने वाले बढ़ई से अर्थी बनाने को बोला गया तो उसने अर्थी तैयार करने को मना कर दिया. इसके बाद एक-एक कर तीन बढ़इयों से बात की गई लेकिन कोई अर्थी बनाने को तैयार नहीं हुआ.”
ये मृतक स्त्री के देवर सुभाष हैं, इनका बोलना है कि पहले गांव के बढ़ई ही अर्थी बनाते थे.
ग्रामीण बोले- पहले गांव के बढ़ई ही बनाते थे अर्थी
ग्रामीणों के अनुसार, बढ़ईयों को समझाने का कोशिश किया गया. लेकिन उन्होंने दलित होने के कारण अर्थी नहीं बनाई. सभी ने समय और काम अधिक बताकर अर्थी तैयार करने से मना कर दिया. जबकि पहले यही लोग अर्थी बनाते थे. गांव में इस घटनाक्रम की जानकारी थाना पुलिस को मिल गई और पुलिस सतपाल गांव पहुंची.
दलित स्त्री अर्थी बनाने से मना करने की सूचना पर पुलिस गांव पहुंची.
पुलिस ने दूसरे गांव से बढ़ई बुलवाया
पुलिस ने मृतकों के परिजनों और बढ़ईयों से वार्ता की. लेकिन गांव के बढ़ई अर्थी बनाने को तैयार नहीं हुए. गांव में गम का माहौल होने की वजह से पुलिस ने मृतक परिजनों को समझाया. इसके बाद तय हुआ कि किसी अन्य गांव से बढ़ई को बुलाकर अर्थी को तैयार कराया जाए. इसके बाद पुलिस के साथ जाकर दूसरे गांव से बढ़ई को बुलाया गया. दूसरे बढ़ई ने अर्थी को तैयार किया. जिसके बाद परिजन दोपहर बाद करीब 3 बजे दलित स्त्री का आखिरी संस्कार कर सके.
दूसरे गांव के बुजुर्ग बढ़ई ने गांव आकर अर्थी तैयार की, उसके बाद दलित स्त्री का आखिरी संस्कार हो सका
गांव में चल रही पार्टीबंदी
घटना के बाद दलित परिवारों में गांव के बढ़ईयों के प्रति नाराजगी है. बताया जा रहा है कि गांव में पार्टीबंदी चल रही है. जिस वजह से बढ़ईयों ने दलित परिवार की अर्थी को बनाने से मना किया है.
अर्थी तैयार होने के बाद स्त्री का आखिरी संस्कार दोपहर बाद करीब 3 बजे हो सका.
इस बारे में जब अपर पुलिस अधीक्षक श्रीश्चंद्र से जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि ऐसा मामला उनके संज्ञान में नहीं आया है. थाना पुलिस से जानकारी की जा रही है. यदि ऐसे भेदभाव का मामला है तो गलत है.