उत्तर प्रदेश

होली पर भद्रा का साया, जानें कब होगा होलिका दहन

भाईचारे में प्रेम की मिठास घोलने वाला होली का पर्व आज और कल यानी रविवार, सोमवार को धूमधाम के साथ मनाया जाएगा. होलिका दहन पूर्णिमा तिथि के प्रदोष काल और रात्रि काल में करने का विधान है. वहीं होली चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि में खेली जाती है. ज्योतिषाचार्य पंडित मुकेश मिश्रा के मुताबिक इस वर्ष फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह नौ बजकर 54 मिनट से प्रारम्भ होगी और पूर्णिमा तिथि का समाप्ति अगले दिन 25 मार्च को दोपहर 12.29 मिनट पर होगा. इस बार होलिका दहन 24 मार्च रविवार को होगा. वहीं अगले दिन 25 मार्च सोमवार को होली यानी रंगोत्सव होगा. रविवार को दिन में भद्रा काल का साया भी रहेगा. इसलिए होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त देर रात 11.13 मिनट से लेकर 12.27 मिनट तक है. वहीं वर्ष का पहला पड़ने वाला चंद्रग्रहण का हिंदुस्तान में इस बार कोई असर नहीं होगा.

छह सिद्ध योगों का रहेगा संयोग

ज्योतिषाचार्य मुकेश मिश्रा के मुताबिक होलिका दहन के दिन छह शुभ योगों का निर्माण हो रहा है. जो अत्यंत मंगलकारी और लाभदायक रहेंगे. सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, वृद्धि योग, धन शक्ति योग, त्रिग्रही योग और बुधादित्य योग. इन योगों का ज्योतिष शास्त्र में विशेष महत्व कहा गया है. जहां एक ओर सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 7.34 मिनट से अगले दिन 25 मार्च को सुबह 6.19 मिनट तक रहेगा.

वहीं रवि योग सुबह 6.20 मिनट से सुबह 7.34 मिनट तक रहेगा. वृद्धि योग रात 8.34 मिनट से प्रारम्भ होगा और अगले दिन 25 मार्च को रात 9.30 मिनट तक रहेगा. वहीं, धन शक्ति योग होली के दिन कुंभ राशि में मंगल और शुक्र की युति से उत्पन्न होगा. इसके अलावा, सूर्य-बुध की युति से बुधादित्य योग भी बन रहा है. यह सभी योग धन-ऐश्वर्य को बढ़ाने का काम करते हैं. इसलिए इस बार की होली बहुत खास रहेगी और पूजन अचन से साल साल संपन्नता और सकारात्मक ऊर्जा का संचार बना रहेगा.

होलिका जलाने को बढ़ी उपले की मांग

होली पर शहर से देहात तक होलिका जलाने की तैयारी पूर हो गई है. सभी चयनित स्थानों पर क्षेत्रीय लोगों ने उपले लकड़ी आदि के ढेर लगाने प्रारम्भ कर दिए हैं. लकड़ी महंगी होने से इस बार होलिका दहन में उपलों की अधिकता दिख रही है. रंगों का त्योहार होली 25 मार्च को है. इससे एक दिन पहले होलिका दहन की जाती है. इसकी तैयारियां करीब 15 दिन पहले से प्रारम्भ हो जाती है. जिले में इस बार 2,577 स्थानों पर होलिका दहन की जाएगी. होलिका दहन करने वाले कुछ समाजिक संगठनों ने कहा कि पहले इसमें लकड़ी का इस्तेमाल अधिक होता था, लेकिन अब पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में देखते हुए पेड़ और उसकी डालियों के काटने पर प्रतिबंध है. बाजार में बिक रही लकड़ी की मूल्य भी अधिक है. ऐसे में अब होलिका दहन में उपले की अधिकता हो गई है. इसके लिए गोशालाओं से संपर्क किया जा रहा है.

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