सपा के बाबू सिंह ने जौनपुर में बिगाड़ा खेल
अब यहां के राजनीतिक खेल को समझा जाए तो सपा के उम्मीदवार बाबू सिंह कुशवाहा हैं, जो पिछड़ी जाति से आते हैं. देखा जाए तो जौनपुर सीट पर पिछड़ी जाति के मतदाताओं की संख्या भी काफी है. जिसका लाभ समाजवादी पार्टी को मिलता दिख रहा है. दूसरी ओर, बीएसपी के प्रत्याशी श्रीकला सिंह और बीजेपी प्रत्याशी कृपाशंकर सिंह राजपूत जाति पर असर डाल सकते हैं. ऐसे में इन दोनों के बीच वोट बंटने के आसार लगाए जा रहे हैं. ऐसे में इसका लाभ बाबू सिंह को मिल सकता है इस बात को भी नाकारा नहीं जा सकता है. क्योंकि जहां तक समाजवादी पार्टी उम्मीदवार का प्रश्न है तो उन्हें क्षेत्र के पिछड़े वोटरों से आशा है. स्वयं बाबू सिंह कुशवाहा भी उन्हें रुझाने में अपना पुरा दमखम लगा रहे हैं.
अब यदि श्रीकला की बात करें तो उनसे पहले हमे धनंजय का जौनपुर में कितना दबदबा है उसको जानना पड़ेगा :
दरअसल, उत्तर प्रदेश की राजनीति में पूर्व सांसद धनंजय सिंह की पैठ बहुत ही मजबूत मानी जाती है. कारण है राजपूत मतदाता और उनके बीच धनंजय की अच्छी पकड़. जौनपुर लोकसभा क्षेत्र धनंजय सिंह की कर्मभूमि है. यहां के लोगों में धनंजय की छवि बड़े समाजसेवी और गरीबों के मददगार के रूप में विख्यात है. उड़ती खरे तो ये भी थी कि वे स्वयं यहां से लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे, मगर किडनैपिंग – रंगदारी के मुकदमा मे 7 साल की सजा होने के बाद कारावास जाने से उनके इस सपने पर पानी फिर गया. यही कारण है कि उन्हें अपनी पत्नी श्रीकला को आगे करना पड़ा. ऐसे में श्रीकला को बीएसपी के कोर वोटर का भी लाभ मिल सकता है.
यहां एक और बात ध्यान देने वाली है इस सीट पर ब्राह्मणों की संख्या भी सबसे अधिक है, मगर इस बार किसी भी पार्टी का उम्मीदवार ब्राह्मण नहीं है. ऐसे में ब्राह्मणों का रुख किस ओर होगा ये भी देखना दिलचस्प होगा. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस बार जिस तरह से बीजेपी ने जिस तरह राम मंदिर निर्माण को मामला बनाया है तो हो सकता है कि ब्राह्मणों का वोट भी बीजेपी के झोली में चला जाए. मगर होगा क्या ये तो चुनाव रिज़ल्ट ही बताएगा हम तो बस यहां के राजनीतिक खेल का अनुमान ही लगा सकते हैं.