उत्तर प्रदेश

संतकबीरनगर में 2 प्रतिशत कम हुई वोटिंग, ये हो सकती है वजह

संतकबीरनगर में छठवें चरण में वोटिंग परसेंटेज हांफते हुए दिखा. वर्तमान लोकसभा में दस सालों में सबसे कम वोटिंग हुई. ऐसा बताया जा रहा था कि इस बार का एवरेज वोटिंग परसेंटज का ग्राफ ऊपर जाएगा, लेकिन वोटिंग के ग्राफ बढ़ा नहीं.

2019 में इस सीट पर 54.09 फीसदी मत पड़ा था. यदि इस लोकसभा की बात करें तो सबसे अधिक आलापुर विधानसभा और सबसे कम खजनी विधानसभा में मतदान हुआ. आलापुर विधानसभा में 58.6 प्रतिशत, धनघटा में 53.72, खजनी में 48.14, खलीलाबाद 52.09, मेंहदावल में 51.52 फीसदी मत पड़ा.

वोटिंग कम होने का पॉलिटिकल एक्सपर्ट दो कारण बता रहे

पहला : भीषण गर्मी दोपहर के समय में चलने वाली गर्म हवा और चुनाव आयोग की तरफ से की गई लापरवाही. इसके कारण लोग वोट देने के लिए घर से नहीं निकले.

दूसरा : कैंडिडेट के प्रति उदासीनता : कैंडिडेट के प्रति लोगों में उदासीनता. एक्सपर्ट कहते हैं कि एनडीए की तरफ से इस सीट पर कैंडिडेट को दोबारा रिपीट किया गया है. मौजूदा प्रत्याशी के प्रति लोगों में नाराजगी थी और विपक्ष की तरफ से ऐसा कोई उम्मीदवार उतारा नहीं गया जो उन्हें आकर्षित कर सके. हालांकि लोकल प्रत्याशी होने के कारण समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार को इसका लाभ खूब मिला है. लेकिन तभी भी वोटरों को बूथ तक लाने में एजेंटों को पसीना आ गया.

इस वोटिंग ट्रेंड से समाजवादी पार्टी को मिल सकती है बढ़त

दैनिक मीडिया की टीम ने इस वोटिंग ट्रेंड के लिए भिन्न भिन्न पॉलिटिकल एक्सपर्ट से बात की और इस ट्रेंड को समझने की प्रयास की, उन्होंने कहा कि यह ट्रेंड समाजवादी पार्टी के पक्ष में जाता हुआ दिखाई दे रहा है, इसके दो कारण बताते हैं.

पहला : पॉलिटिकल एक्सपर्ट की माने तो वोटिंग परसेंटेज का कम होना या स्थिर रहना, हमेशा सत्ताधारी के विपक्ष में जाता है . यदि पक्ष के प्रति वोटर्स में उत्साह होता है , तो उसका सीधा असर वोटिंग परसेंटेज में पड़ता है, जो दिखाई नहीं दे रहा है.

दूसरा : इस वोटिंग परसेंटेज में एक बड़ी किरदार दलित और निषाद मतदाताओं की है जिन्होंने बढ़ – चढ़कर मतदान में हिस्सा लिया है. सुबह से लेकर शाम तक बूथों पर लंबी कतार दिखी. इन वोटरों ने आखरी समय तक अपना पत्ता नहीं खोला यह साइलेंट वोटर हर चुनाव में अलग – अलग पार्टियों का रुख कर लेते है.

एंटी कंबेंसी का भी दिखा असर

जिले 2% कम वोटिंग हुई है. पॉलिटिकल एक्सपर्ट से इसे दो नजर से देख रहे है. पहला यह कि सांसद से नाराजगी के कारण बड़ी संख्या में वोटर्स वोट देने नही निकले , जिसका सीधा असर वोटिंग परसेंटेज पर पड़ा. दूसरा यह कि समाजवादी पार्टी उम्मीदवार पप्पू निषाद को भी लोगो ने उनके मंत्री कार्यकाल को देखा है. इसलिए उन्होंने भी अधिक सुन्दर नही कर पाए.

लोकसभा के वोटिंग ट्रेंड ने बरकरार रखा सस्पेंस : वरिष्ठ पत्रकार विश्वदेव शर्मा बताते है कि यदि वोटर की बात करें तो आखरी समय तक लोगों ने संस्पेंस बनाए रखा. खुलकर नहीं बता रहे हैं. ऐसे में यह कह पाना की अंतिम समय मे किसे लाभ होगा, यह कह पाना कठिन है. दोनों उम्मीदवार जोड़ घटाव में जरूर लगे होंगे.

यह है मतदाताओं की संख्या

कुल वोटर – 20, 71,966

महिला वोटर- 9,68,603

पुरुष वोटर, 11,03,319

थर्ड जेंडर – 44

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