रोक के बावजूद डीएवी इंटर कॉलेज मीरापुर में दो बाबुओं की हुई नियुक्ति
मामले का खुलासा तब हुआ जब अनियमित ढंग से नियुक्त एक कनिष्ठ लिपिक रितेश जायसवाल वेतन जारी करने की मांग लेकर उच्च न्यायालय पहुंच गया। मजे की बात है कि नियुक्ति के बाद से अब तक दोनों बाबू विद्यालय झांकने तक नहीं गए और 24 में वेतन के लिए न्यायालय पहुंच गए। उच्च न्यायालय ने तीन को डीआईओएस पीएन सिंह को इस मुद्दे में उत्तर दाखिल करने के आदेश दिए थे। जब यह बात 23 से कॉलेज के प्रबंधक बने पंकज जायसवाल तक पहुंची तो उन्होंने विरोध की। पंकज का बोलना है कि इस मुद्दे में वह एफआईआर कराएंगे।
इसी तरह सरदार पटेल इंटर कॉलेज सिकारो कोरांव, शिवाजी इंटर कॉलेज सहसों और इंदिरा गांधी इंटर कॉलेज जामहा सोरांव में भी बाबुओं की फर्जी नियुक्ति के इल्जाम लगे हैं। शासन ने चार सितंबर 13 से एडेड कॉलेजों में लिपिकों की सीधी नियुक्ति पर रोक लगा दी थी। दो वर्ष पहले नियुक्ति से रोक तो हटी लेकिन उसके लिए मुश्किल चयन प्रक्रिया और पीईटी सफल अभ्यर्थियों को ही अर्ह किया गया था।
प्रयागराज। सर्वोदय शिक्षा सदन इंटर कॉलेज भीरपुर करछना में भी माध्यमिक शिक्षा निदेशक से अनुमति लिए बगैर अनियमित ढंग से सहायक लिपिक अर्पित कुमार सिंह की नियुक्ति कर दी गई। वैसे तो अर्पित की नियुक्ति 26 फरवरी 18 को दिखाई गई है लेकिन वेतन जनवरी 24 में जारी हुआ है।
हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में डीएवी कॉलेज में बाबुओं की नियुक्ति प्रकरण की जांच की गई। नियुक्तियां नियमानुसार नहीं होने के कारण खारिज कर दी गई हैं।