उत्तर प्रदेश

भाजपा का टिकट मिलने पर नीरज शेखर हुए भावुक, कही ये बात

पूर्व पीएम चन्द्रशेखर की परंपरागत संसदीय सीट से बीजेपी का टिकट मिलने पर नीरज शेखर भावुक हो गए. उन्होंने गुरूवार को ”हिन्दुस्थान समाचार” से दूरभाष पर बोला कि बलिया से उनके परिवार का भावनात्मक रिश्ता है. बीजेपी नेतृत्व मेरे पिता का सम्मान करता है.

1977 से अब तक केवल 2019 का ही वह लोकसभा चुनाव रहा, जब बलिया लोकसभा सीट पर चन्द्रशेखर या उनके परिवार का कोई चुनावी मैदान में नहीं था. 1977 से 2004 तक स्वयं चन्द्रशेखर इस सीट से चुनाव लड़ते रहे. उनके मृत्यु के बाद 2007, 2009 और 2014 में उनके छोटे पुत्र नीरज शेखर ने बतौर सपा उम्मीदवार चुनाव लड़ा. 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा ने पूर्व पीएम चन्द्रशेखर के पुत्र नीरज शेखर का टिकट काट कर सनातन पाण्डेय को लड़ाया था. नाराज नीरज शेखर ने सपा और राज्यसभा की सदस्यता दोनों छोड़ दी थी. पूर्व पीएम चन्द्रशेखर से पीएम नरेन्द्र मोदी के संबंध सहज रहे हैं. लिहाजा नीरज शेखर को बीजेपी का दामन थामने में कोई परेशानी नहीं हुई. बीजेपी ने भी उन्हें राज्यसभा में भेज दिया था. इस लोकसभा चुनाव में वीरेन्द्र सिंह मस्त का टिकट काटकर नीरज शेखर को उम्मीदवार बनाए जाने के पीछे इस संसदीय सीट से चन्द्रशेखर का जुड़ाव भी अहम बताया जा रहा है. टिकट मिलने के बाद अपनी भावनाओं को व्यक्त करते समय नीरज शेखर भावुक नजर आए.

उन्होंने बोला कि 1977 से इस सीट से उनके पिता जी चुनाव लड़ते रहे. पिछले पंद्रह वर्षों से मैं कोशिश करता रहा हूं कि पिता जी के नाम पर कोई आंच न आए. पीएम मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृहमंत्री अमित शाह और सीएम योगी आभार जताते हुए उन्होंने बोला कि इन सभी नेताओं का विश्वास मुझ पर रहा है. धन्यवाद शीर्ष नेतृत्व का कि उन्होंने इस लायक समझा कि मैं फिर से बलिया से लोकसभा चुनाव लड़ सकूं. मेरे लिए यह एक ऐसा अनुभव है, जिसका शब्दों में वर्णन नहीं कर सकता. जब 2014 में लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाया था तो पर्सनल रूप से बड़ी ग्लानि हुई थी, क्योंकि 1977 से पिता जी या मैं चुनाव लड़ते रहे. अब फिर से यह अवसर मिला है कि मैं चुनाव लड़ रहा हूं. इसके लिए पीएम मोदी समेत सभी शीर्ष नेतृत्व का आभार व्यक्त करता हूं. ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे और पूर्वांचल एक्सप्रेस वे जैसे बड़े विकास कार्यों का जिक्र करते हुए नीरज शेखर ने बोला कि अगले पांच वर्ष में मेरा कोशिश रहेगा कि कुछ उद्योग ला सकूं.

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