उत्तर प्रदेश

फसलों के लिए क्यों जरूरी है कॉपर और जिंक, कैसे किसान हो सकते हैं मालामाल?

सौरभ वर्मा/रायबरेली खेतों से फसलों की अच्छी उपज के लिए उपयुक्त मिट्टी के साथ जलवायु और सिंचाई का होना बहुत महत्वपूर्ण होता है साथ ही समय पर खेतों में ठीक उर्वरक भी देना चाहिए जिससे फसल की ग्रोथ अच्छी हो और पैदावार में भी बढ़ोतरी हो सके साथ ही अच्छी पैदावार के लिए उन्हें भरपूर मात्रा में पोषक तत्व मिलना भी महत्वपूर्ण होता है लेकिन अधिक रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करने के कारण हमारे खेत की उर्वरा शक्ति कम होती जा रही है उत्पादन पर भी असर पड़ रहा हैखेत में मिट्टी की उर्वरा शक्ति में कमी न हो इसीलिए किसानों को कृषि जानकार कि यह राय जानना बहुत महत्वपूर्ण है

कृषि के क्षेत्र में 15 सालों का अनुभव रखने वाले खुशहाली कृषि संस्थान रायबरेली के पूर्व प्रबंधक अनूप शंकर मिश्रा (Msc Ag) बताते हैं कि किसान को अपने खेत से फसलों के अधिक उत्पादन के लिए जिंक के साथ कॉपर की भरपूर मात्रा देना चाहिए वह बताते हैं कि इसके लिए समय-समय पर खेत की मिट्टी का परीक्षण भी करते रहना चाहिए जिससे पता चल सके की हमारे खेत की मिट्टी में कौन से पोषक तत्वों की कमी है क्योंकि लगातार खेतों में फसल उत्पादन से मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी आ जाती है जिसकी वजह से मिट्टी पाए जाने वाले पोषक तत्वों का संतुलन बिगड़ जाता है और इसका असर हमारे फसल की पैदावार पर देखने को मिलता है इसीलिए हमें अपने खेत के सूक्ष्म पोषक तत्वों का संतुलन बनाए रखने के लिए जिंक और कॉपर का प्रयोग करते रहना चाहिए

मिट्टी में जिंक की कमी के ये है लक्षण और बचाव
वह बताते हैं कि यदि खेत की मिट्टी में जिंक की कमी है तो खेत में लगी फसल के पौधे की पत्तियां पीली पड़ने के साथ सफेद भूरे रंग की होने लगते हैं यह नए निकलने वाले पत्तियों पर भी असर डालते हैं इससे बचाव के लिए किसान मिट्टी परीक्षण के बाद जिंक का इस्तेमाल करें जिसमें जिंक सल्फेट का इस्तेमाल करके खेतों में जिंक की कमी को दूर कर सकते हैं

मिट्टी में कॉपर की कमी के लक्षण एवं बचाव
कॉपर की कमी होने पर पौधा धीमी रफ्तार से बढ़ता है पत्तियां छोटी होने के साथ ही सूखने लगती हैं साथ ही कॉपर की अधिक मात्रा होने पर भी यह फसल को हानि पहुंचता है इसकी कमी को दूर करना मिट्टी के पीएच मान पर निर्भर होता है सामान्य तौर पर कॉपर की कमी को दूर करने के लिए मिट्टी का पीएच मान 6.0 से लेकर 7.0 तक का होना चाहिए खेत में कॉपर की कमी को दूर करने के लिए ई डी टी ए (एथिलीन डाय मिने टेट्राएसिटिक एसिड) का इस्तेमाल कर सकते हैं साथ ही मिट्टी से कॉपर की कमी को दूर करने के लिए खुबानी बीज को भी इस्तेमाल में लिया जा सकता है

 

समय समय पर कराएं मिट्टी का परीक्षण
 Local 18 से बात करते हुए कृषि जानकार अनूप शंकर मिश्रा बताते हैं कि मिट्टी में कॉपर और जिंक की ठीक मात्रा का पता लगाने के लिए समय-समय पर परीक्षण कराते रहना चाहिए जिससे उसमें उपस्थित प्राकृतिक गुणों और खनिज तत्वों के बारे में जानकारी मिलती रहेगी

Tags: Agriculture, Local18

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