गैंगवॉर के लिए बदनाम पूर्वांचल आज योगीराज में ले रहा है राहत की सांस
लखनऊ। एक समय था जब पूर्वांचल माफिया राज के लिए जाना जाता था। हफ्ता वसूली, गुंडा टैक्स, ठेकेदारी के लिए खुलेआम हत्याएं, गैंगवॉर के लिए बदनाम पूर्वांचल आज योगीराज में राहत की सांस ले रहा है। गोरखपुर से लेकर प्रयागराज तक कहीं हरिशंकर तिवारी का बोलबाला था, तो कहीं मुख्तार अंसारी का, कहीं पर अतीक अहमद के गुर्गे हावी थे। धनंजय सिंह, बृजेश सिंह, त्रिभुवन सिंह भी माफिया राज में पीछे नहीं थे। यह भी अपना दमखम दिखाते थे और पूर्वांचल के लोग सहम जाते थे। कभी-कभी तो बिहार के सिवान का बाहुबली मृतक शहाबुद्दीन भी अपना माफिया गिरी चमकाने के लिए देवरिया, कुशीनगर की तरफ रुख कर देता था। इनमें से कई माफिया सफेदपोश भी बने और हजारों करोड़ के मालिक बन गए। आज इन सभी नेताओं से हम आपको रू-ब-रू कराएंगे.
हरिशंकर तिवारी: पूर्वांचल की राजनीति में हाता का नाम काफी मशहूर था। हरिशंकर तिवारी का घर हाता में था। बोला जाता है जो भी आदेश हाता से जारी होता था उसका पालन तुरंत किया जाता था। हिंदुस्तान की राजनीति में हरिशंकर तिवारी एक ऐसा नाम है जो पहले माफिया था और फिर सफेदपोश बना। हरिशंकर तिवारी कई बार चुनाव जीते और मुलायम सिंह यादव की गवर्नमेंट में कैबिनेट मंत्री भी बने। बाद में इन्होंने अपनी एक अलग पार्टी बनाई. एक समय में इनका खौफ इतना अधिक था कि इन्हीं के लोगों को रेलवे में ठेके, राज्य गवर्नमेंट के सरकारी टेंडर अधिकारी देते थे। उनके काफिले में इनके गुर्गे खुलेआम हथियार लहराते हुए चलते थे। किसी अधिकारी की मजाल नहीं थी कि उनके काफीले को रोक दें। पूर्वांचल में कई हत्याएं हुई और इन हत्याओं का इल्जाम सीधे हरिशंकर तिवारी पर लगा, लेकिन धाक इनकी इतनी थी कि पुलिस प्रशासन इनके सामने नत मस्तक रहता था। योगी आदित्यनाथ जब सांसद बने थे उस दौरान गोरखपुर में हरिशंकर तिवारी के माफिया राज के विरुद्ध डट कर खड़े हुए और अदावत की। 2017 में योगीराज आने के बाद हरिशंकर तिवारी के विरुद्ध प्रशासन ने एक्शन लेने प्रारम्भ किए थे। हरिशंकर तिवारी द्वारा अर्जित की गई बेनामी संपत्तियों पर बुलडोजर भी चले।
मुख्तार अंसारी: भले ही 1980 के दौर में मुख्तार अंसारी ने अपराध की दुनिया में कदम रख दिया था, लेकिन, 1990 से 2005 वर्ष तक पूर्वांचल वासियों ने मुख्तार अंसारी के उस काफिले को देखा है जिसमें उसके गुर्गे खुलेआम हथियार लहराते हुए, फायरिंग करते हुए जाते थे। हथियार से डर और आतंक लोगों की बीच पैदा करने का शौकीन था मुख्तार अंसारी। तत्कालीन विधायक कृष्णानंद राय की मर्डर का मास्टरमाइंड था मुख्तार अंसारी। मुख्तार अंसारी से यदि किसी ने सीधे अदावत या भिड़न्त पूर्वांचल में ली तो वो था माफिया बृजेश सिंह। कई बार सरकारी टेंडर को लेकर पूर्वांचल की सड़कों पर गैंगवॉर देखा गया। 2005 में मुख्तार अंसारी कृष्णानंद राय हत्याकांड में कारावास के सलाखों के पीछे गया और तब से लेकर अंतिम सांस तक कारावास से बाहर नहीं निकल पाया, क्योंकि 2017 में योगीराज आ गया और पूर्वांचल वासियों ने मुख्तार अंसारी के प्रॉपर्टी पर बुलडोजर चलता हुआ देखा। मुख्तार अंसारी का कई 100 करोड़ की प्रॉपर्टी योगीराज में बरामद हुआ।
अतीक अहमद और अशरफ अहमद: 1980 से लेकर 2015 तक अतीक और अशरफ का खौफ पूर्वांचल में बरकरार था। लेकिन 2017 में योगीराज आने के बाद यह खौफ लगातार गिरता गया। अतीक और अशरफ दोनों की मर्डर पुलिस कस्टडी में हुई थी। पुलिस की मौजूदगी में शूटरों ने अतीक और अशरफ पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी थी। जिससे उनकी मौके पर ही मृत्यु हो गई। अतीक और अशरफ का काफिला जब प्रयागराज और पूर्वांचल के दूसरे जिलों से निकलता था तब लोग खौफ अधिक हो जाते थे। पता नहीं आज किसकी शामत आने वाली है। विधायक राजू पाल हत्याकांड में सभी ने देखा किस ढंग से राजू पाल की मर्डर हुई। बोला जाता है जिस जमीन या घर अतीक और अशरफ को पसंद आ जाते थे उस पर वह कब्जा कर लेते थे। माफिया से सफेदपोश बने दोनों भाई गैरकानूनी उपायों से हजारों करोड़ के मालिक भी बन गए। पूर्वांचल की राजनीति में गद्दी शब्द का इस्तेमाल जहां होता था लोग गौर करते थे कोई नजरअंदाज नहीं कर सकता था, क्योंकि गद्दी समाज से अतिक और अशरफ आते थे।
धनंजय सिंह: रेलवे के ठेके और सरकारी टेंडर लेने के लिए गैंगवॉर की कहानी काफी फेमस है। इसी माफिया राज में एक नाम धनंजय सिंह का आता है। धनंजय सिंह के काफिले में भी कई गाड़ियां गुजरती थी। सभी गाड़ियां एक ही रंग की हुआ करती थी। धनंजय सिंह सांसद बने, विधायक बने लेकिन अभी आज योगीराज में सलाखों के पीछे हैं।
बृजेश सिंह: पूर्वांचल के माफिया राज में मुख्तार अंसारी से यदि किसी ने अदावत ली तो वह था बृजेश सिंह. इनकी अदावत भी ऐसी थी कि इन पर वेब सीरीज बना दिया गया। गांव में, गली में, मोहल्ले में हर स्थान उनकी अदावत की चर्चाएं एक समय में हुआ करती थी। बोला जाता है कि बृजेश सिंह ने मुख्तार अंसारी को मारने के लिए कई अटेम्प्ट लिए। यहां तक कि पुलिस की पोशाक पहनकर कारावास में दाखिल हो गया, जिस दौरान मुख्तार अंसारी कारावास के अंदर बंद था। मुख्तार अंसारी ने भी अपने कई अहम शूटर और गुर्गों को बृजेश सिंह की मर्डर में लगा दिया था। लेकिन, आज मुख्तार अंसारी इस दुनिया में नहीं है, लेकिन बृजेश सिंह पर कई मुकदमे दर्ज है। कई वर्ष कारावास में रहने के बाद बृजेश सिंह आज बाहर है, लेकिन आम आदमी के तौर पर जीवन काट रहे हैं। न्यायालय में जाकर हाजिरी देते हैं। हर सुनवाई पर न्यायालय में पेश होते हैं क्योंकि बृजेश सिंह को मालूम है कि योगीराज में माफिया राज नहीं चलेगा। योगीराज में सिर्फ़ आम जनता की सुनी जाएगी।