कैराना में प्रचार में भी रोचक मुकाबला
कैराना लोकसभा सीट पर मुकाबला हमेशा से दिलचस्प रहा है. 17 लाख से अधिक मतदाता और 5 विधानसभा शामली, कैराना, नकुड़, गंगोह और थानाभवन को जोड़कर पहली बार 1962 में ये सीट अस्तित्व में आई. अब तक यहां पर 16 बार लोकसभा चुनाव हुए हैं. देखना होगा कि अब 17वां सांसद कौन होता है.
इस सीट पर अब तक 03 बार भाजपा, 02 बार कांग्रेस पार्टी और 03 बार रालोद ने जीत दर्ज कराई है तो वहीं एक-एक बार समाजवादी पार्टी और बीएसपी का दबदबा कायम रहा है. जनता दल और जनता पार्टी ने भी इस सीट पर दो-दो बार परचम लहराया है. वर्तमान में बीजेपी से प्रदीप चौधरी सांसद हैं और लोकसभा चुनाव में अब उनका सीधा मुकाबला गठबंधन की प्रत्याशी इकरा हसन से है.
अब तक चुने गए सांसद
इस सीट के सबसे पहले सांसद यशपाल रहे, जो निर्दलीय चुनाव लड़े. 1967 में गयूर अली संयुक्त स्पेशलिस्ट पार्टी से चुनाव जीते.1971 में कांग्रेस पार्टी ने शफक्क्त जंग को टिकट दिया, वो चुनाव जीते. इस दौरान चौधरी चरण सिंह ने कांग्रेस पार्टी के विरुद्ध मोर्चा खड़ा कर दिया और 1980 में उनकी पत्नी गायत्री देवी जनता पार्टी का टिकट लेकर सांसद बनीं. 1984 में कांग्रेस पार्टी पार्टी प्रत्याशी अख्तर हसन संसद पहुंचे. 1989-91 में हरपाल पंवार ने जीत दर्ज कराई. 1996 में समाजवादी पार्टी के मुन्नवर हसन, 1998 में बीजेपी के वीरेन्द्र वर्मा, 1999 में रालोद के अमीर आलम, 2004 में रालोद समाजवादी पार्टी गठबंधन की अनुराधा , 2009 में बीएसपी की तबस्सुम हसन, 2014 में बीजेपी से हुकुम सिंह और 2019 में प्रदीप चौधरी सांसद चुने गए.
इकरा का आईडिया
सपा ने इस बार इकरा हसन को टिकट दिया है. उनके सामने भाजपा से प्रदीप चौधरी प्रत्याशी हैं. हालांकि जाट और मुसलमान बाहुल्य इस सीट पर मुकाबला इसलिए और रोचक हो गया है कि इकरा हसन हिंदू बाहुल्य गांवों में जाकर रोजे खोल रही हैं. हालांकि भाजपा ने जयंत चौधरी जैसे नेताओं को इस सीट की नज़र का जिम्मा सौंपा है.