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वीरेंद्र सहवाग ने बताया की उनके बेटे को स्कूल में उनकी खराब पारियों की वजह से…

भारत के पूर्व विस्फोटक बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने बोला है कि खिलाड़ियों के ऊपर फैंस के अतिरिक्त दोस्त, परिवार और बच्चों के साथ-साथ संबंधियों का भी काफी प्रेशर रहता है. सहवाग ने एक शो के दौरान अपने करियर के दौरान का एक किस्सा सुनाया है, जिसमें उन्होंने अपने बेटे का मन रखने के लिए शतकीय पारी खेली थी. सहवाग का मानना है कि कभी-कभी आपको अपने परिवार, बच्चे, दोस्त और उनकी इज्जत बढ़ाने के लिए आपको रन बनाने महत्वपूर्ण हो जाता है.

वीरेंद्र सहवाग फीवर एमएम ऑफिशयल से टेलीफोन पर वार्ता के दौरान अपने करियर से जुड़े कई दिलचस्प किस्से शेयर किए हैं. सहवाग ने साक्षात्कार के दौरान कहा कि कैसे उनके बेटे को विद्यालय में उनकी खराब पारियों की वजह से काफी ताने सुनने पड़ते थे और उनके बेटे ने उनसे कहा कि पापा आप इंडियन प्रीमियर लीग खेलते हो लेकिन अच्छा नहीं खेलते और इस वजह से मेरी तिरस्कार होती है. जिसके बाद सहवाग ने बेटे का मन रखने के लिए इंडियन प्रीमियर लीग में बड़ी पारी खेली.

वीरेंद्र सहवाग ने शरत से टेलीफोन पर कहा, ”मेरा बेटा आर्यवीर, वो मुझसे कहता था कि पापा आप इंडियन प्रीमियर लीग खेलते हो लेकिन आप रन तो बनाते नहीं. मेरे सारे दोस्त कहते हैं कि आपके पिता जी अच्छे खिलाड़ी नहीं हैं, वो केवल मैच में हिस्सा लेते हैं और आ जाते हैं, तो मेरी विद्यालय में बहुत तिरस्कार हो रही है. सहवाग ने कहा, ”ठीक है बेटा मैं प्रयास करूंगा कि मैं रन बनाऊं.

उन्होंने आगे कहा, ”मैं चेन्नई के विरुद्ध नॉकआउट खेलने गया तो मैंने 58 गेंद में 122 रन बनाए. हर गेंद खेलते हुए मैं यही सोच रहा था कि मुझे अपने बेटे के लिए रन बनाने हैं, जिससे इतनी अच्छी पारी हो जाए, जिससे क्लास में उसकी इज्जत बढ़ जाए. 122 बनाने के बाद मैच के बाद मैंने अपनी पत्नी को टेलीफोन किया और अपने बेटे से पूछा कि मैच देखा? उसने बोला हां पापा मजा आ गया कल मैं अपने दोस्तों को सताऊंगा. तो कभी-कभी आपको रन इसलिए भी बनाने महत्वपूर्ण हो जाते हैं क्योंकि आपके यार, फैमिली और दोस्त देख रहे होते हैं और उनकी इज्जत बढ़ाने के लिए आपको रन बनाने महत्वपूर्ण हो जाते हैं.

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