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परीक्षा पर बहस कार्यक्रम के दौरान एक छात्र के सवाल का जवाब देते हुए पीएम मोदी ने कहा…

मोदी-नीतीश दोस्ती: राम मंदिर और ज्ञानवापी दो ऐसे विषय हैं जो राज्य ही नहीं बल्कि राष्ट्र की राजनीति को बदलने की ताकत रखते हैं ये दोनों विषय भाजपा के बहुत करीब हैं लेकिन पिछले दो-तीन दिनों में एक और बड़ा नेता भाजपा के काफी करीब आ गया है और वो हैं नीतीश कुमार गठबंधन बदलने की आदत से विवश होकर नीतीश कुमार अब इण्डिया गठबंधन तोड़कर एनडीए गठबंधन में शामिल हो गए हैं 6 दिन बाद पीएम मोदी और नीतीश कुमार बिहार में एक मंच पर नजर आएंगे लेकिन परीक्षा की बहस के दौरान दोस्ती और पढ़ाई से जुड़े एक प्रश्न पर पीएम का उत्तर कुछ ऐसा था, शायद नीतीश कुमार के लिए भाजपा का दरवाजा खोलने की वजह उनकी यही सोच नहीं थी

एक तरफ दिल्ली में पीएम मोदी की परीक्षा की चर्चा चल रही थी तो दूसरी तरफ पटना में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली नयी एनडीए गवर्नमेंट की पहली कैबिनेट बैठक हो रही थी इन दोनों कार्यक्रमों का एक-दूसरे से कोई लेना-देना नहीं है लेकिन परीक्षा बहस के दौरान पीएम का एक उत्तर था कि यदि सियासी निष्कर्ष निकाला जाए तो आपको पता चल जाएगा कि उन्होंने नीतीश कुमार की पार्टी के साथ भाजपा के नए गठबंधन पर मुहर क्यों लगाई

पीएम मोदी क्यों चाहते हैं नीतीश कुमार का साथ?
परीक्षा पर बहस कार्यक्रम के दौरान एक विद्यार्थी के प्रश्न का उत्तर देते हुए प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, ”अगर वह भाषा में कमजोर हैं, यदि मैं मजबूत हूं, तो मैं उनकी सहायता करूंगा, फिर उनकी ताकत हम दोनों से जुड़ेगी और हम करेंगे” मज़बूत बनो” इस उत्तर का सियासी निष्कर्ष बिहार को ध्यान में रखकर निकालें तो बात और भी साफ हो जाती है मोदी के समय में भाजपा अब काफी मजबूत है और नीतीश कुमार की पार्टी अकेले होने के कारण थोड़ी कमजोर है लेकिन जब यही नीतीश राजद और कांग्रेस पार्टी के साथ महागठबंधन में होते हैं तो भाजपा कमजोर नजर आती है नीतीश जब भाजपा के साथ आते हैं तो बिहार में एनडीए गठबंधन बहुत शक्तिशाली हो जाता है

ये आंकड़े इस बात का बड़ा सबूत हैं कि
लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा और जेडीयू के बीच गठबंधन था साथ मिलकर चुनाव लड़ने से एनडीए ने बिहार में 97 प्रतिशत सीटें जीतीं 40 में से 39 सीटें एनडीए को मिलीं लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव 2015 में जेडीयू का राजद और कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन था उस समय महागठबंधन ने 74 प्रतिशत सीटें जीती थीं बीजेपी बुरी तरह हार गई नीतीश कुमार से दो बार विश्वासघात मिलने के बावजूद यदि भाजपा ने जेडीयू के साथ जाने का निर्णय किया तो इसके पीछे कहीं न कहीं प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी का भाषाई फॉर्मूला है

मिशन 40 के लिए भाजपा को चाहिए नीतीश का साथ
पीएम मोदी हमेशा मुश्किल चुनौतियों का सामना करते हैं उनका लक्ष्य हमेशा बड़ा होता है इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा मिशन 400 पर काम कर रही है एक-एक सीट के लिए समीकरण तैयार किये जा रहे हैं सूत्रों के मुताबिक, भाजपा ने कुछ समय पहले बिहार में आंतरिक सर्वे कराया था इस सर्वे में जेडीयू के नहीं रहने पर एनडीए गठबंधन को 20-25 सीटें मिलेंगी जबकि मिशन 40 का लक्ष्य 40 सीटें है नीतीश के एनडीए में आने से यह मिशन पूरा हो सकता है

एनडीए में आने के बाद नीतीश कुमार ने बोला कि मैं जहां था वहीं वापस आ गया अब आने-जाने का कोई प्रश्न ही नहीं है अब जब नीतीश दोबारा एनडीए गठबंधन में शामिल हो गए हैं तो भाजपा और जेडीयू दोनों दलों के नेता बिहार की 40 की 40 सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं जेडीयू सांसदों के साथ बैठक में नीतीश कुमार ने स्वयं मिशन 40 की तैयारी का आदेश दिया

एक साथ दिखेंगे प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी और नीतीश कुमार
एनडीए के साथ नयी गवर्नमेंट बनाने के बाद नीतीश कुमार और प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी 4 फरवरी को पहली बार एक मंच पर नजर आएंगे पीएम बिहार के बेतिया में 20 हजार करोड़ के विकास कार्यों का शिलान्यास और उद्घाटन करेंगे फिर वह चुनावी रैली को भी संबोधित करेंगे झारखंड के बाद धनबाद में चुनावी रैली के बाद वह दोपहर में बेतिया पहुंचेंगे यानी 4 फरवरी को प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी का बिहार और झारखंड दोनों राज्यों में चुनाव प्रचार प्रारम्भ होगा

बिहार में मोदी के लिए नीतीश कुमार का समर्थन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि नीतीश कुमार जिस जाति से आते हैं उसके बिहार में 3 प्रतिशत वोट हैं इसके अतिरिक्त नीतीश कुमार का पिछड़ी जातियों में भी जनाधार है जिसका लाभ भाजपा को वोट के रूप में भी मिलेगा गठबंधन में भाजपा बड़े भाई की किरदार निभाएगी नीतीश की साफ-सुथरी छवि और स्त्री हितैषी नीतियों से भी एनडीए को लाभ होगा नीतीश ने उस विपक्ष का भी नेतृत्व किया जिसने जाति गणना के मामले पर भाजपा को घेरने की प्रयास की अब जब नीतीश भाजपा के साथ हैं तो एनडीए गठबंधन जाति गणना के निर्णय में भी उनका साथ देना चाहेगा

विपक्ष में मचा घमासान
कल तक मोदी के विरुद्ध भारतीय गठबंधन को मजबूत कर रहे नीतीश कुमार के अचानक एनडीए में चले जाने से मानो विपक्ष में घमासान मच गया है राहुल गांधी की हिंदुस्तान जोड़ो इन्साफ यात्रा बिहार पहुंच चुकी है लेकिन एनडीए गवर्नमेंट और नीतीशकुमार लगातार चर्चा में हैं नीतीश कुमार के एनडीए में जाने से अरविंद केजरीवाल और अखिलेश यादव जैसे नेता भी दुखी हैं हालाँकि, यह निश्चित नहीं है कि उनकी पार्टियाँ कब तक हिंदुस्तान गठबंधन में रहेंगी क्योंकि सीटों को लेकर कांग्रेस पार्टी के साथ उनकी खींचतान अभी भी उलझी हुई है

नीतीश कुमार का दोबारा भाजपा में शामिल होना और भाजपा की नीतीश के साथ दोबारा गठबंधन न करने की कसम तोड़ना मीडिया में वायरल हो रहा है लेकिन प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए अब सबसे अहम बात 400 का लक्ष्य हासिल करना है इसके लिए उनका लक्ष्य बिहार की सभी 40 सीटें जीतना है साथ ही 2024 के चुनाव से पहले हिंदुस्तान गठबंधन को पूरी तरह से समाप्त करना है

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