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आज कोर्ट में होगी विनेश फोगाट के सिल्वर मेडल मामले पर सुनवाई

भारतीय रेसलर विनेश फोगाट के सिल्वर मेडल पर निर्णय आज आ सकता है. यह जानकारी बीते रविवार को न्यायालय ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स (CAS) ने दी थी.पहले बोला जा रहा था कि CAS भारतीय समयानुसार शनिवार को 9:30 बजे अपना निर्णय सुनाएगा, लेकिन न्यायालय ने इसकी समय सीमा बढ़ा दी थी. शुरुआती जानकारी में 11 अगस्त को निर्णय सुनाने की बात सामने आई थी, लेकिन इसे अब फिर 13 अगस्त तक के लिए टाल दिया गया था.

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9 अगस्त को CAS ने 3 घंटे तक इस मुद्दे की सुनवाई की थी. इस दौरान विनेश भी वर्चुअली उपस्थित रहीं. भारतीय ओलिंपिक संघ (IOA) की ओर से सीनियर वकील हरीश साल्वे ने विनेश का पक्ष रखा.फाइनल मैच से पहले विनेश को 100 ग्राम अधिक वजन होने के चलते अयोग्य घोषित कर दिया गया था, जबकि शुरुआती दौर से पहले किए गए वजन में विनेश 50 kg वेट कैटेगरी की तय सीमा से कम थीं. ऐसे में विनेश ने जॉइंट सिल्वर मेडल की मांग की है.

इस मुद्दे पर न्यायालय ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स (CAS) ने कहा, ‘हम विनेश के मुकदमा में प्रक्रियाएं तेजी से कर रहे हैं, लेकिन उनकी अपील पर एक घंटे में निर्णय देना संभव नहीं है. इस मुद्दे में पहले यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग का पक्ष सुना जाना महत्वपूर्ण है. निर्णय चिकित्सक एनाबेल बेनेट को करना है.‘पेरिस के ओलिंपिक विलेज से वापसी के समय विनेश.

वजन का मैनेजमेंट करना ख‍िलाड़ी और कोच की जिम्मेदारी: पीटी उषा
इंडियन ओलिंपिक एसोसिएशन (IOA) की अध्यक्ष पीटी उषा ने कहा- ”वजन का मैनेजमेंट करना ख‍िलाड़ी और कोच की जिम्मेदारी है. खासकर कुश्ती, वेटलिफ्टिंग, बॉक्सिंग और जूडो जैसे खेलों में. इनमें एथलीटों के वजन मैनेजमेंट की जिम्मेदारी प्रत्येक एथलीट और उसके कोच की है, न कि IOA द्वारा नियुक्त चीफ मेड‍िकल अधिकारी डाक्टर दिनशॉ पारदीवाला और उनकी टीम की.

थॉमस बाक ने बोला था- हम न्यायालय का फैसला मानेंगे
विनेश के मुद्दे में इंटरनेशनल ओलिंपिक कमेटी के अध्यक्ष थॉमस बाक ने ‘क्या एक भार वर्ग में दो सिल्वर दिए जा सकते हैं?’ इस प्रश्न पर कहा- ‘नहीं, यदि आप सामान्य रूप से एक वर्ग में दो सिल्वर मेडल दिए जाने के बारे में पूछ रहे हैं.

मुझे लगता है कि इंटरनेशनल फेडरेशन के नियम का पालन किया जाना चाहिए. वेट कट का निर्णय यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग का था. यदि हम 100 ग्राम के साथ अनुमति देते हैं तो 102 ग्राम के साथ क्यों नहीं देंगे. अब यह मुद्दा न्यायालय में है. अब हम CAS के फैसला का पालन करेंगे. फिर भी फेडरेशन को अपने नियमों को लागू करना है. यह उनकी जिम्मेदारी है.

विनेश के पक्ष में यह दलीलें भी रखी गईं
खेल न्यायालय में विनेश के पक्ष में बोला गया कि 100 ग्राम वजन बहुत कम है. यह एथलीट के वजन के 0.1% से 0.2% से अधिक नहीं है. यह गर्मी के मौसम में आदमी के शरीर के फूलने से भी सरलता से बढ़ सकता है क्योंकि गर्मी के कारण आदमी की जीवित रहने की आवश्यकता की वजह से शरीर में अधिक पानी जमा होता है. इसके अतिरिक्त विनेश को एक ही दिन में 3 कॉम्पिटिशन लड़ने पड़े. इस दौरान एनर्जी को मेंटेन करने के लिए भी उन्हें खाना पड़ा.

भारतीय पक्ष ने बोला कि खेल गांव और ओलिंपिक गेम्स के एरीना के बीच की दूरी और पहले दिन फाइट के टाइट शेड्यूल की वजह से विनेश को वजन घटाने का पर्याप्त टाइम नहीं मिला. विनेश का वजन पहले दिन की 3 कुश्तियां लड़ने के बाद 52.7 किलो पहुंच चुका था.

मेडल अपील के दूसरे दिन विनेश का संन्यास
​​​​​पेरिस ओलिंपिक फाइनल से पहले अयोग्य ठहराए जाने के बाद विनेश ने गुरुवार को कुश्ती से संन्यास की घोषणा कर दी. उन्होंने गुरुवार सुबह 5.17 बजे X पर एक पोस्ट में लिखा- “मां कुश्ती मेरे से जीत गई, मैं हार गई. माफ करना आपका सपना, मेरी हौसला सब टूट चुके. इससे अधिक ताकत नहीं रही अब. अलविदा कुश्ती 2001-2024, आप सबकी हमेशा ऋणी रहूंगी, माफी.

सोशल मीडिया में विनेश फोगाट की यह तस्वीर वायरल है. बोला जा रहा है कि ओलिंपिक से बाहर किए जाने के बाद विनेश बहुत निराश हो गई थीं.सोशल मीडिया में विनेश फोगाट की यह तस्वीर वायरल है. बोला जा रहा है कि ओलिंपिक से बाहर किए जाने के बाद विनेश बहुत निराश हो गई थीं.

100 ग्राम ने विनेश को गोल्ड नहीं दिलवाया
6 अगस्त को विनेश फोगाट ने पेरिस ओलिंपिक की स्त्री रेसलिंग के 50 किग्रा वर्ग के फाइनल में स्थान बनाई थी. रेसलिंग नियम के अनुसार मैच की सुबह रेसलर का वजन मापा जाता है. विनेश का जब वजन मापा गया, तब वे अपनी कैटेगरी यानी 50 किग्रा से 100 ग्राम अधिक थीं, जिसके बाद उन्हें फाइनल से बाहर कर दिया गया था.

ओलिंपिक खेलों के टकराव की CAS करता है सुनवाई
ओलिंपिक खेलों के दौरान किसी भी टकराव के निवारण के लिए यहां CAS विभाग होता है. सेमीफाइनल में विनेश से हारने वाली क्यूबा की पहलवान युस्नेलिस गुजमेन लोपेज ने फाइनल में उनकी स्थान ली थी. CAS में पहले शुक्रवार को सुनवाई हुई.

क्या है CAS?
कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट यानी CAS पूरे विश्व में खेलों के लिए बनाई गई एक ऑर्गनाइजेशन है. इसका काम खेल से जुड़े कानूनी विवादों को समाप्त करना है. इसकी स्थापना वर्ष 1984 में हुई थी. इसका मुख्यालय स्विटजरलैंड के लॉजेन में स्थित है. वहीं इसके न्यायालय न्यूयॉर्क और सिडनी में भी हैं. वैसे अस्थायी न्यायालय वर्तमान ओलिंपिक शहरों में भी बनाई जाती हैं. इसी वजह से CAS इस बार पेरिस में स्थापित है, जहां विनेश फोगाट मुद्दे की सुनवाई हुई.

हरीश साल्वे से जुड़ी खास बातें…
भारत के पूर्व सॉलिसिटर जनरल और किंग्स काउंसिल साल्वे ने एडवोकेसी में अपने करियर की आरंभ 1975 में अदाकार दिलीप कुमार के मुकदमा से की थी. महाराष्ट्र में जन्मे साल्वे मुख्य रूप से नागपुर के रहने वाले हैं. 1992 में उन्हें उच्चतम न्यायालय ने सीनियर वकील का पद दिया था. इसके बाद 1999 में उन्हें सॉलिसिटर जनरल घोषित किया गया.

कुलभूषण जाधव मुकदमा में 1 रुपए ली थी फीस
साल्वे ने उच्चतम न्यायालय में पहले एंटी-डंपिंग मुद्दे की पैरवी की थी. वर्ष 2015 में हिट और रन मुकदमा मुद्दे में सलमान खान को न्यायालय ने 5 वर्ष की सजा सुनाई थी. इस मुद्दे में हरीश साल्वे ने सलमान खान का पक्ष रखा. जिसके बाद हिट-एंड-रन और ड्रंक-एंड-ड्राइव मुद्दे के सभी आरोपों से उन्हें बरी कर दिया गया. वहीं कुलभूषण जाधव के मुद्दे में उन्होंने हिंदुस्तान गवर्नमेंट से केवल एक रुपए फीस ली थी. योग गुरु रामदेव मुद्दे में दिल्ली पुलिस का पक्ष भी न्यायालय में रख चुके हैं.

ओलिंपिक के फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय स्त्री रेसलर
विनेश 3 मुकाबले जीतकर 50 kg रेसलिंग ओलिंपिक के फाइनल में पहुंचने वालीं पहली भारतीय स्त्री रेसलर बनी थीं. सेमीफाइनल में उन्होंने क्यूबा की पहलवान गुजमान लोपेजी को, क्वार्टरफाइनल में यूक्रेन की ओकसाना लिवाच और प्री-क्वार्टरफाइनल में वर्ल्ड चैंपियन जापान की युई सुसाकी को 3-2 से मात दी थी.

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