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दुनियाभर में ग्रेन अल्कोहल की डिमांड, अब यूपी में हो रहा उत्पादन

लखनऊ : उत्तर प्रदेश गवर्नमेंट ने नयी आबकारी नीति 2024-25 को स्वीकृति दे दी है. इससे शराब सस्ती हो जाएगी. कारोबार में बड़ा परिवर्तन होगा. दुनिया की कई शराब कंपनियां उत्तर प्रदेश में अपनी फ्रेंचाइजी देकर इसका उत्पादन करा सकेंगी. ग्रेन अल्कोहल और यूपीएमल की शराब की 42.8 डिग्री वाली मदिरा (शराब)90 रुपए की स्थान 85 रुपए में मिलेगी. यूपीएमएल की शराब में 36 डिग्री वाली मदिरा की नयी श्रेणी जोड़ी गई है. यह इसकी मूल्य को 75 रुपए रखी गई है. इसके अतिरिक्त शीरे वाली शराब को भी सिर्फ़ दो कैटेगरी में रखा गया है. इसमें 25 डिग्री की मूल्य 50 रुपए और 36 डिग्री की मूल्य 70 रुपए रखी गयी है. इसके साथ ही पहली बार यूपीएमएल की शराबों को ग्लास के साथ साथ टेट्रा पैक में भी मौजूद कराया जाएगा. आबकारी आयुक्त सेंथिल पांडियन सी ने नयी आबकारी नीति को साफ करते हुए बोला कि राज्य में कंट्री मेड शराब की विभिन्न कैटेगरीज को संक्षिप्त करते हुए इन्हें अब सिर्फ़ चार हिस्सों में बांटा गया है. पहले ये नौ श्रेणियों में होती थीं और इनके मूल्य भी भिन्न भिन्न होते थे. शराब की कीमतों में कमी लाने का सबसे बड़ा कारण उत्तर प्रदेश में ग्रेन अल्कोहल को बढ़ावा देने की नीति है. इससे प्रदेश की दूसरे राज्यों पर निर्भरता समाप्त हुई है और राजस्व को भी लाभ मिल रहा है.

दुनियाभर में ग्रेन अल्कोहल की डिमांड, अब उत्तर प्रदेश में हो रहा उत्पादन

आबकारी आयुक्त के मुताबिक गवर्नमेंट शीरे वाली शराब की स्थान ग्रेन (अनाज) वाली शराब को बढ़ावा दे रही है. पूरे विश्व में ग्रेन अल्कोहल को सबसे अधिक क्वालिटी युक्त माना जाता है. पहले हमें ग्रेन अल्कोहल को पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों से इम्पोर्ट करना पड़ता था, वहीं अब इनका निर्माण प्रदेश में ही हो रहा है. ऐसे में इम्पोर्ट ड्यूटी तो बच ही रही है, GST में भी कमी आई है, साथ ही लाइसेंस फीस का भी 254 रुपए प्रति बल्क लीटर निर्धारण करने से गवर्नमेंट के राजस्व में वृद्धि होगी.इसके अतिरिक्त मिनिमम गारंटी कोटा और मिनिमम गारंटी रेवेन्यू में 10 फीसदी का बढ़ोत्तरी करने से 2024-25 में 50 हजार करोड़ से अधिक का राजस्व प्राप्त करने का लक्ष्य है.

दुनियाभर के टॉप ब्रांड स्थापित कर सकेंगे उत्तर प्रदेश में फ्रेंचाइजी

आबकारी आयुक्त सेंथिल पांडियन सी ने कहा कि राजस्व वृद्धि के लिए पहली बार हम फ्रेंचाइजी फी भी लेकर आए हैं, जिससे पूरे विश्व के टॉप ब्रांड उत्तर प्रदेश की डिस्टलरीज के साथ फ्रेंचाइजी स्थापित कर सकें. आबकारी आयुक्त के मुताबिक प्रदेश में यदि किसी ब्रांड की डिमांड बढ़ती है एवं आसवानियों की कैपेसिटी समाप्त हो गई हो तब एक वर्ष के लिए उन्हें दोगुना लाइसेंस फीस के साथ बाहर से मदिरा खरीद कर बॉटलिंग बढ़ाने की अनुमति दी जाएग. इससे प्रदेश का राजस्व तो बढ़ेगा ही, बॉटलर्स/आस्वकों को भी नयी डिस्टलरी लगाने के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा. बियर एक्सपोर्ट फीस को भी 50 पैसे प्रतिलीटर कम किया गया है, जिससे यूपी को बियर एक्सपोर्ट के मुद्दे में और मजबूत स्थिति में लाया जा सके.

सड़क पर नहीं, अब परमिट रूम में पी सकेंगे बियर

इसके साथ ही प्रचलित प्रबंध के प्राविधानों में दुरुपयोग रोकने के भी अनेक कोशिश किये गये हैं. इनमें बीयर की दुकानों के पास 100 स्क्वायर फीट के जगह को परमिट रूम के तौर पर डेवलप किया जा सकेगा. इसकी परमिशन लेने 5 हजार रुपए सालाना शुल्क होगी.परमिट रूम का सबसे बड़ा लाभ ये होगा कि ठंडी बियर को बियर की दुकानों के पास ही पीने की सुविधा मिल सकेगी. इससे सड़क पर या कहीं कोने में गैरकानूनी रूप से बीयर पीने से होने वाली परेशानी और कई बार सड़क पर छेड़खानी, हाथापाई जैसे अपराधों और अन्य असुविधाजनक स्थिति से बचा जा सकेगा.

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