राष्ट्रीय

महिला ने पहले शख़्स पर रेप का लगाया आरोप,महिला ने खुद माना- आरोप झूठे थे

एक स्त्री ने पहले शख़्स पर बलात्कार का इल्जाम लगाया बाद में अपने इल्जाम से मुकर गई और बॉम्बे उच्च न्यायालय में हलफनामा देकर बोला कि सबकुछ उसकी मर्जी से हुआ था उसने आरोपी पर दर्ज FIR रद्द करने की मांग की  उच्च न्यायालय ने स्त्री पर जुर्माना लगा दिया और दो सप्ताह के अंदर जुर्माने की राशि टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल में जमा करने का आदेश दिया है

क्या है पूरा मामला?
मामला वर्ष 2017 का है महाराष्ट्र (Maharashtra) की रहने वाली स्त्री ने संदीप पाटिल नाम के शख्स पर बलात्कार का इल्जाम लगाया था स्त्री ने दावा किया था कि बलात्कार के बाद वह प्रेग्नेंट हो गई इसके बाद आरोपी के परिजनों ने उसपर अबॉर्शन का दबाव बनाया स्त्री के अनुसार जिस समय घटना हुई, उस समय वह पहले से शादीशुदा थी लेकिन अपने पति से तलाक के लिए अर्जी दाखिल कर रखी थी आरोपी ने उससे विवाह का वादा किया था इसके बाद दोनों के बीच शारीरिक संबंध बने थे

कहा था- दो बारा कराना पड़ा अबॉर्शन
शिकायतकर्ता स्त्री के अनुसार शारीरिक संबंध बनने के बाद जब वह प्रेग्नेंट हुई तो पाटिल और उसके परिवार वाले उसे प्रताड़ित करने लगे और प्रेगनेंसी अबॉर्ट करने का दबाव बनाने लग स्त्री के अनुसार उसे दो बार अबॉर्शन कराना पड़ा था पहली बार महाराष्ट्र और दूसरी बार कर्नाटक में इसके बाद स्त्री ने पाटिल, उसके परिवार और अबॉर्शन कराने वाले चिकित्सक के विरुद्ध विभिन्न धाराओं में केस दर्ज करा दिया

हाईकोर्ट में क्या हुआ?
Bar&Bench के अनुसार FIR के बाद आरोपी ने बॉम्बे उच्च न्यायालय का रुख किया था और प्राथमिकी रद्द करने की गुहार लगाई थी बॉम्बे उच्च न्यायालय में जस्टिस अनुजा प्रभु देसाई और जस्टिस एन आर बोरकर की बेंच ने सुनवाई के दौरान इस बात का संज्ञान लिया कि जिस तरह के तथ्य और डॉक्यूमेंट्स न्यायालय के सामने रखे गए, उससे प्रतीत होता है कि दोनों के बीच संबंध आपसी सहमति से बने थे

महिला ने स्वयं माना- इल्जाम झूठे थे
हाई न्यायालय में सुनवाई के दौरान स्त्री ने एक शपथ पत्र दिया और माना कि उसके इल्जाम झूठे थे उसके और आरोपी के बीच संबंध आपसी सहमति से बने थे और अबॉर्शन भी सहमति से कराया था स्त्री ने बोला कि उसे पाटिल के विरुद्ध दर्ज FIR रद्द करने से कोई विरोध नहीं है

25 हजार का जुर्माना लगाया
बॉम्बे उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने बोला कि शिकायतकर्ता ने हलफनामा दाखिल कर बोला है कि आरोपी के साथ संबंध सहमति से बने थे और उसने गर्भपात कराने का निर्णय सोच समझ कर लिया था, क्योंकि वह कानूनी रूप से शादीशुदा नहीं थी स्त्री का दावा है कि उसकी पहले से ही किसी अन्य आदमी से विवाह हो चुकी है और उसका एक बच्चा भी है अब शांतिपूर्ण जीवन जी रही है और सभी कार्यवाही को रद्द करना चाहती है इसलिये FIR रद्द कर दिया जाए

बॉम्बे उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने बोला कि इस दौरान मुकदमे की जो लागत आई है, वह स्त्री को देनी होगी न्यायालय ने स्त्री पर 25000 रुपये का जुर्माना लगाते हुए दो सप्ताह में टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल में जमा करने को बोला है

 

Related Articles

Back to top button