सुप्रीम न्यायालय ने आधुनिक दवाओं और टीकाकरण के विरुद्ध पतंजलि आयुर्वेद के विज्ञापनों पर नाराजगी जताई है। न्यायालय ने पतंजलि से बोला कि वह कोई भ्रामक विज्ञापन या गलत दावा न करे। न्यायालय ने पतंजलि को चेतावनी देते हुए बोला कि भारी जुर्माना लगाया जाएगा।
इतना ही नहीं उच्चतम न्यायालय ने केंद्र गवर्नमेंट से भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों से निपटने के लिए एक प्रस्ताव देने को बोला है। आपको बता दें कि भारतीय मेडिकल एसोसिएशन ने पतंजलि विज्ञापनों के विरुद्ध उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल की है।
आपको बता दें कि 9 अक्टूबर को उच्चतम न्यायालय ने योगगुरु और पतंजलि के संस्थापक बाबा रामदेव की रिट याचिका पर सुनवाई की, जिसमें उन्होंने Covid-19 के एलोपैथिक इलाज के विरुद्ध विवादास्पद टिप्पणियों को लेकर कई राज्यों में उनके विरुद्ध दर्ज आपराधिक एफआईआर से सुरक्षा की मांग की गई। बाबा रामदेव की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ दवे ने दलील दी कि उनकी टिप्पणियां भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) या किसी अन्य अधिनियम के अनुसार किसी क्राइम के दायरे में नहीं आतीं।
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यह कहते हुए कि रामदेव ने अगले दिन अपनी टिप्पणियां वापस ले लीं, दवे ने आगे बोला कि रामदेव ने चिकित्सा के एक विशेष रूप में विश्वास नहीं कर सकते … इससे चिकित्सा के इस रूप का अभ्यास करने वाले डॉक्टरों को भी ठेस पहुंच सकती है, लेकिन कोई क्राइम नहीं बनता है। न्यायमूर्ति ए।एस। बोपन्ना और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की पीठ ने केंद्र, भारतीय मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए), बिहार और छत्तीसगढ़ सरकारों को नोटिस जारी किया और मुद्दे में उनकी प्रतिक्रिया मांगी है।
रामदेव की याचिका में उनके विरुद्ध सभी प्राथमिकियों को एक साथ जोड़ने और उन्हें दिल्ली स्थानांतरित करने की मांग की गई है। उन्होंने अपने विरुद्ध दाखिल कई मामलों की कार्यवाही पर रोक लगाने और दंडात्मक कार्रवाई से सुरक्षा देने का भी निवेदन किया। रामदेव ने Covid-19 महामारी के दौरान एक बड़ा टकराव खड़ा कर दिया था, जब उनका एक वीडियो सामने आया था, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि रेमडेसिविर और फैबिफ्लू जैसी दवाएं, जिन्हें हिंदुस्तान के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) द्वारा अनुमोदित किया गया था, Covid-19 मरीजों के उपचार में विफल रही हैं।
रामदेव ने वीडियो में बोला कि मेडिकल ऑक्सीजन की कमी या बिस्तरों की कमी से अधिक लोग एलोपैथिक दवाओं के कारण मरे हैं। जैसे ही वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, डॉक्टरों आक्रोश फैल गया, आईएमए ने रामदेव को कानूनी नोटिस जारी किया। इसके बाद रायपुर और पटना की आईएमए शाखाओं द्वारा उनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज की गईं।