सुप्रीम न्यायालय ने बिहार में हुई जाति आधारित सर्वे के मुद्दे को लेकर नीतीश गवर्नमेंट को बड़ा आदेश दिया है। न्यायालय ने इस सर्वे का पूरा विवरण सार्वजनिक करने को बोला है। न्यायालय ने बोला कि सर्वे का पूरा विवरण सार्वजनिक डोमेन में डाला जाना चाहिए ताकि उसके निष्कर्षों को कोई चाहे तो चुनौती दे सके। वैसे इसके साथ ही न्यायालय ने मुद्दे में किसी तरह का अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया है। मुद्दे में न्यायालय अगले पांच फरवरी को फिर सुनवाई करेगा। कई गैर सरकारी संगठनों द्वारा उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल कर पटना उच्च न्यायालय के बिहार में जाति आधारित सर्वे को स्वीकृति देने के आदेश को चुनौती दी गई है।
सुप्रीम न्यायालय पहले भी मुद्दे में अंतरिम रोक का आदेश देने से मना कर चुका है। मंगलवार को मुद्दे पर न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ द्वारा सुनवाई की गई। याचिकाकर्ता संगठनों की ओर से जब अंतरिम राहत पर सुनवाई की मांग की गई तब पीठ ने बोला कि अब अंतरिम आदेश का क्या मतलब है ? वैसे उच्च न्यायालय का आदेश राज्य गवर्नमेंट के पक्ष में है और आंकड़े भी पब्लिक डोमेन में हैं। अब सिर्फ़ दो तीन पहलू ही विचार के लिए बचे हैं।
जैसे कानूनी मुद्दा, उच्च न्यायालय का आदेश ठीक है कि नहीं सर्वे की पूरी प्रक्रिया ठीक है या कि नहीं। याचिककर्ता के वकील ने बोला कि जबकि सर्वे का डाटा सार्वजनिक है और आज गवर्नमेंट ने अंतरिम तौर पर उसे लागू करना भी प्रारम्भ कर दिया है। आरक्षण की सीमा 50 से बढ़कर 75 प्रतिशत हो गई है वैसे आरक्षण की सीमा बढ़ाने को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है लेकिन उच्च न्यायालय के मुख्य आदेश के विरुद्ध इस न्यायालय में मुद्दा लंबित है।राज्य गवर्नमेंट इसे लागू कर रही है।
ऐसे में न्यायालय को अगले हफ्ते अंतरिम राहत पर सुनवाई करनी चाहिए क्योंकि उन्होंने पूरी प्रक्रिया को चुनौती दी है। पीठ द्वारा बोला गया है कि इस मुद्दे में सुनवाई की आवश्यकता है और न्यायालय सुनवाई करेगा लेकिन अगले हफ्ते सुनवाई कठिन है। बिहार गवर्नमेंट की तरफ से वरिष्ठ वकील ने बोला कि डाटा और विवरण एक निश्चित वेबसाइट पर सार्वजनिक है। कोई भी उसे देख सकता है। राज्य गवर्नमेंट के उत्तर पर पीठ ने पूछा कि क्या पूरा राष्ट्र सार्वजनिक डोमन में है।
पीठ ने इस मुद्दे में सुनवाई करते हुए बोला कि वह डेटा की उपलब्धता को लेकर अधिक चिंतित है। गवर्नमेंट किस हद तक डेटा को रोक सकती है। न्यायालय ने बिहार गवर्नमेंट से बोला कि पूरे विवरण और आंकड़े पूरा सार्वजनिक डोमन में डालने चाहिए ताकि उसके निष्कर्ष को यदि कोई चाहे तो चुनौती दे सके। जब तक इसे सार्वजनिक डोमन में नहीं डाला जाएगा कोई चुनौती नहीं दे सकता।