राष्ट्रीय

इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम रद्द किए जाने के बाद शिवसेना ने भाजपा पर बोला हमला

Electoral Bond बीजेपी News: इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम रद्द किए जाने के बाद उद्धव ठाकरे के गुट वाली शिवसेना ने बीजेपी पर धावा कहा है पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ ने संपादकीय में लिखा कि ‘EVM’ और ‘इलेक्टोरल बॉन्ड’ हमारी लोकतांत्रिक प्रबंध के सबसे बड़े घोटाले माने जाते हैं आगे संपादकीय में दानदाताओं के रूप में दाऊद इब्राहिम और इकबाल मिर्ची जैसे नाम लेते हुए गंभीर प्रश्न खड़े किए गए बोला गया कि ‘ईवीएम’ से किसी को दिया गया वोट ‘कमल’ को जाता है और इस समय ईवीएम के विरुद्ध देशव्यापी आंदोलन चल रहा है, जबकि इलेक्टोरल बॉन्ड बीजेपी के खजाने में पैसा इकट्ठा करने का एक साधन बन गया था

लेख में बोला गया कि चुनावी चंदा इकट्ठा करने के लिए मोदी गवर्नमेंट ने ‘इलेक्टोरल बॉन्ड’ योजना प्रारम्भ की थी अब उच्चतम न्यायालय ने निर्णय सुनाया कि यह पूरी योजना गैरकानूनी है चुनावी फंड के तौर पर इस योजना के जरिए बीजेपी ने अब तक 7 से 8 हजार करोड़ रुपए जुटाए हैं और यह पैसा इन्हें किसने और किन कारणों से दिया? इसके बदले उन सभी दानदाताओं को बीजेपी से क्या लाभ मिला, यह सीक्रेट है

आगे पढ़िए सामना का संपादकीय 

‘जिन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए पैसे दिए, उनके नाम गुप्त रखे गए, यह तो एक बड़ा भ्रष्टाचार है फिर उन दानदाताओं में कोई दाऊद इब्राहिम, छोटा शकील, नीरव मोदी, इकबाल मिर्ची, चीनी कंपनियां आदि हैं या अडानी आदि का पैसा परोक्ष रूप से बीजेपी की तिजोरी में जमा हो रहा है इसका पता नहीं चलता कुल मिलाकर इलेक्टोरल बॉन्ड का मतलब काले पैसे को सफेद कर फिर से बीजेपी की तिजोरी में पहुंचाने का मुद्दा है और उसे पीएमएलए कानून के भीतर ‘मनी लॉन्ड्रिंग’ बोला जाता है

अब उच्चतम न्यायालय ने कहा, ‘इस तरह की लीपापोती का धंधा ठीक नहीं है पारदर्शिता के नाम पर जनता के साथ इस तरह की लीपापोती ठीक नहीं है’ इसका मतलब यह है कि इस लेनदेन में बीजेपी ने उद्योगपतियों, व्यापारियों, ठेकेदारों के काले धन को चुनाव फंड के नाम पर अपनी तिजोरी में भर लिया है मोदी के पास असीमित शक्ति है लोकतंत्र वगैरह जैसी चीजें उन्हें स्वीकार नहीं पैसे से सत्ता और सत्ता से पैसा और उसी पैसे से फिर से सत्ता खरीदना, यही उनके लोकतंत्र की व्याख्या है इस पैसे को इकट्ठा करने के लिए उन्होंने आतंक का सहारा लिया, केंद्रीय जांच ब्यूरो के हंटर का इस्तेमाल किया राष्ट्र के सारे उद्योग, संसाधन, सार्वजनिक संपत्ति एक ही मित्र के नाम करनेवाली मोदी गवर्नमेंट पर इलेक्टोरल बॉन्ड के मुद्दे में कैसे भरोसा किया जाए? मोदी गवर्नमेंट की नीति सारा पैसा अपने पास रखना और अपने सियासी विरोधियों की तिजोरी में छेद करना है

भाजपा का नाड़ा खुल गया…

भाजपा छोड़कर यदि कोई विपक्ष की सहायता करता है तो उन्हें धमकाया जाएगा, उनके चारों ओर जांच का फंदा बनाया जाएगा, छापे मारे जाएंगे, पैसे बरामद किए जाएंगे लोकतंत्र में विपक्ष को टिकने ही नहीं देना है सभी मामलों में उनको फंसाना है इसमें आर्थिक सूत्रों को घेरना भी है अब इस मुद्दे में उच्चतम न्यायालय ने कठोर निर्णय सुनाया है न्यायालय ने इलेक्टोरल बॉन्ड के लेनदेन और बिक्री रोकने, अगले तीन हफ्ते के भीतर इस मामले में सारी जानकारी घोषित करने का आदेश दिया यानी न्यायालय ने बीजेपी के गले से पेट में हाथ डाल दिया है दूसरी अहम बात यह है कि जिन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे हैं न्यायालय ने उस आदमी और कंपनियों को बॉन्ड की धनराशि लौटाने का साफ आदेश दिया है यानी बीजेपी का नाड़ा ही खुल गया

भाजपा की तिजोरी भरती गई और…

चुनावी फंड को लेकर पारदर्शिता लाने के नाम पर इलेक्टोरल बॉन्ड का मामला प्रारम्भ किया गया, लेकिन पारदर्शिता दिखावा साबित हुई और बीजेपी ने ‘काले को सफेद’ करने का धंधा प्रारम्भ कर दिया इससे असमानता और असंतुलन पैदा हुआ बीजेपी जैसी पार्टी की तिजोरी में धन की बाढ़ आ गई, लेकिन अन्य लोगों के हिस्से आया ठन-ठन गोपाल प्रशांत भूषण, सीपीआई (एम) जैसे आदमी और पार्टियां इस बॉन्ड घोटाले के विरुद्ध न्यायालय में गईं बॉन्ड के विरुद्ध 2018 में याचिका दाखिल की गई और इसकी सुनवाई आते-आते 2023 भी बीत गया इस दौरान बीजेपी ने उद्योगपतियों को भारी पैमाने पर लूटकर अपनी तिजोरी भरी अब 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले उच्चतम न्यायालय ने एक खरा निर्णय सुनाकर बीजेपी का मुखौटा उतार दिया

इलेक्टोरल बॉन्ड का लेनदेन स्टेट बैंक के माध्यम से किया जा रहा था और स्टेट बैंक का लेनदेन पारदर्शी नहीं था इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वालों के मामले में गोपनीयता के नाम पर सूचना के अधिकार में भी नागरिकों को सच्चाई समझ में नहीं आएगी, लेकिन वैसे स्टेट बैंक सरकारी है, इसलिए गवर्नमेंट के उच्च पदस्थ ऑफिसरों को यह जानकारी सरलता से मिल सकती है यानी… मंडली को समझ आ जाएगा कि उनके सियासी विरोधियों को ‘बॉन्ड’ के जरिए किसने कितनी आर्थिक सहायता दी है और वे उन सभी को परेशान करेंगे और अब तक यही हुआ है

भाजपा के विरोधियों को आर्थिक फायदा कानूनी तौर पर भी नहीं मिलने दिया जाए, यह इलेक्टोरल बॉन्ड प्रबंध में होता रहा है बीजेपी इलेक्टोरल बॉन्ड्स के जरिए मालामाल हो गई यह सभी माल ‘ब्लैक मनी’ था और है यह योजना यानी सीधे-सीधे करप्शन का पैसा राजनीति में लाने का मौका रहा, लेकिन यह अवसर सिर्फ़ बीजेपी के लिए था दूसरों के लिए यह धन प्राप्त करना एक क्राइम और मनी लॉन्ड्रिंग था इस क्राइम को लेकर ‘ईडी’ जैसी जांच एजेंसियां अब क्या कार्रवाई करनेवाली हैं? क्राइम स्वरूपी आय और उससे प्राप्त की गई संपत्ति बरामद करने का अधिकार प्रवर्तन निदेशालय के पास है क्राइम की आय को बरामद करने की शक्ति है प्रवर्तन निदेशालय बीजेपी के आलीशान कार्यालय और संपत्ति बरामद करेगी क्या?’

Related Articles

Back to top button