जब कोई नियम के विरुद्ध या अनैतिक काम कर रहा होता है तो हड़बड़ाता है, दिखावा करता है, झेंपता है, उसका मन काम से अधिक इधर-उधर लगता है कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा। चंडीगढ़ मेयर चुनाव के निर्वाचन अधिकारी अनील मसीह के वायरल वीडियो देखकर शायद उच्चतम न्यायालय को भी ऐसा ही लगा। उच्चतम न्यायालय ने इस अधिकारी को न केवल फटकार लगाई बल्कि यहां तक बोला कि यह साफ है कि उन्होंने मतपत्रों को खराब किया और इसके लिए उन पर केस चलाया जाना चाहिए। उनका कृत्य ‘लोकतंत्र की हत्या’ है। ऐसे में लोग जानना चाहते हैं कि मतपत्रों की जांच करते इधर-उधर, ऊपर-नीचे देखने वाले चुनाव अधिकारी कौन हैं?
वास्तव में चंडीगढ़ मेयर चुनाव के नतीजे दंग करने वाले रहे। नंबर होने के बावजूद कांग्रेस पार्टी और आम आदमी पार्टी के संयुक्त उम्मीदवार हार गए। वजह वो 8 वोट थे जिसे गैरकानूनी घोषित कर दिया गया। कई वीडियो आए। दोनों खेमे अपने-अपने ढंग से वीडियो में दिखाई दे रहे निर्वाचन अधिकारी के क्रियाकलाप की व्याख्या कर रहे थे। 30 जनवरी को चंडीगढ़ महापौर चुनाव में बीजेपी ने जीत हासिल की। बीजेपी के मनोज सोनकर को 16, जबकि आप के कुलदीप कुमार को 12 वोट मिले थे।
निर्वाचन अधिकारी है या भगोड़ा…
चुनाव में गड़बड़ी से नाराज चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने बोला कि वह इस प्रकार से लोकतंत्र की मर्डर नहीं करने देगी। न्यायालय ने पूछा कि निर्वाचन अधिकारी एक अधिकारी है या भगोड़ा। 19 फरवरी को अनिल मसीह को स्वयं पेश होने का निर्देश दिया गया है। महापौर का चुनाव हारने वाले AAP के पार्षद कुलदीप कुमार की याचिका में इल्जाम लगाया गया था कि निर्वाचन अधिकारी ने कांग्रेस-आप गठबंधन के पार्षदों के आठ मत पत्रों पर निशान लगाते हुए उन्हें अमान्य करार दिया।
विपक्षी दलों की चिंता यह है कि यदि अधिकारी का कारनामा वीडियो में न आया होता तो क्या होता? CJI चंद्रचूड़ ने साफ कहा, ‘देखिये, वह कैमरे की ओर क्यों देख रहे हैं? श्रीमान सॉलिसिटर (जनरल), यह लोकतंत्र का माखौल है और लोकतंत्र की मर्डर है, हम स्तब्ध हैं। क्या यह एक निर्वाचन अधिकारी का आचरण है।’ न्यायालय ने बोला कि यह शख्स मतपत्र को खराब कर देता है और कैमरे की ओर देखता है।
वो अधिकारी कौन हैं?
- 53 वर्ष के अनिल मसीह करीब एक दशक से बीजेपी की चंडीगढ़ यूनिट के सदस्य रहे हैं।
- वह 2015 से बीजेपी में हैं और पार्टी के लगभग सभी कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। मसीह बीजेपी में अल्पसंख्यक मोर्चे का अगुवाई भी कर चुके हैं।
- उनके सरेंडर रेट और कर्मठता को देखते हुए बीजेपी ने अक्टूबर 2022 में उन्हें चंडीगढ़ नगर निगम में पार्षद मनोनीत किया गया था।
- इससे पहले 2021 में उन्हें बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा का महासचिव नियुक्त किया गया था।
- वह पहले भी विवादों में रहे हैं। 2018 में नॉर्थ इण्डिया चर्च (सीएनआई) ने उन्हें चर्च से जुड़ी सभी गतिविधियों में हिस्सा लेने से रोक दिया था। इल्जाम था कि उन्होंने एक कमेटी मीटिंग में अमर्यादित भाषा बोली थी। दो वर्ष बाद रोक हटी।
- मसीह सेक्टर 11 के सरकारी विद्यालय से पढ़े हैं। बाद में सेक्टर 10 स्थित डीएवी कॉलेज से स्नातक किया। उनकी पत्नी पंजाब इंजीनियरिंग हॉस्टल, सेक्टर 12 में एक गर्ल्स हॉस्टल की मैनेजर हैं।
- मसीह ने काफी समय एक प्राइवेट फर्म में काम किया लेकिन कई वर्ष से किसी जॉब में नहीं हैं। कहते हैं कि पूरी तरह से राजनीति में समर्पित हूं।
- मेयर चुनाव में वह उन 9 लोगों में थे जिन्हें वोटिंग का अधिकार नहीं था। इससे पहले अनिल मसीह के ही 18 जनवरी को बीमार होने के कारण मेयर चुनाव स्थगित हो गया था।
- बाद में फिर से इन्हें ही मेयर चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया गया।
- 35 सदस्यों वाले दन में आप और कांग्रेस पार्टी के पास कुल 20 वोट जबकि निगम पर काबिज बीजेपी के पास 15 वोट हैं।