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एस जयशंकर ने सदस्य देशों द्वारा अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों का पालन करने के महत्व पर दिया जोर

नई दिल्ली: किर्गिस्तान के बिश्केक में शंघाई योगदान संगठन (एससीओ) के शासनाध्यक्षों की परिषद के 22वें सत्र में एक संबोधन में, हिंदुस्तान के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सदस्य राष्ट्रों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय सिद्धांतों का पालन करने के महत्व पर बल दिया. कानून, संप्रभुता का सम्मान करना और आर्थिक योगदान को प्रोत्साहित करना. हालांकि उन्होंने नाम तो नहीं लिया, लेकिन उनकी टिप्पणी चीन पर परोक्ष रूप से कटाक्ष करती हुई प्रतीत हुई.

जयशंकर ने एससीओ से क्षेत्रीय स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए सहयोगात्मक रूप से काम करने का आह्वान किया. उन्होंने इस बात पर बल दिया कि मध्य एशियाई राज्यों के भलाई इस संदर्भ में जरूरी किरदार निभाते हैं. पाकिस्तान में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) में चीन का भारी निवेश, विशेष रूप से पाक के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के माध्यम से, लंबे समय से हिंदुस्तान के साथ टकराव का विषय रहा है. जयशंकर ने इस चिंता को सूक्ष्मता से रेखांकित करते हुए इस बात पर बल दिया कि आर्थिक पहल को सभी राष्ट्रों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना चाहिए.

एससीओ राष्ट्रों के साथ हिंदुस्तान के गहरे सभ्यतागत संबंधों पर प्रकाश डालते हुए, जयशंकर ने साझा सांस्कृतिक आदान-प्रदान की बात की जिसने रीति-रिवाजों, परंपराओं, भाषा और व्यंजनों को प्रभावित किया है. उन्होंने प्रस्तावित किया कि इन ऐतिहासिक संबंधों को संवर्धित आर्थिक योगदान के लिए एक खाका के रूप में काम करना चाहिए.

इसके अलावा, उन्होंने क्षेत्र के भीतर व्यापार में सुधार के लिए मजबूत कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे की वकालत की. चीन के एक अन्य अप्रत्यक्ष संदर्भ में, उन्होंने चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव से जुड़े कर्ज जाल और क्षेत्रीय आधिपत्य की चिंताओं का जिक्र करते हुए, अपारदर्शी पहल के माध्यम से ग्लोबल साउथ पर अव्यवहार्य कर्ज थोपने के विरुद्ध चेतावनी दी.

जयशंकर ने भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईसी) और तरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (आईएनएसटीसी) का भी संभावित “समृद्धि प्रदायक” के रूप में उल्लेख किया. चीन की बेल्ट एंड रोड पहल के विकल्प के रूप में अमेरिका, हिंदुस्तान और अन्य राष्ट्रों द्वारा संयुक्त रूप से आईएमईसी की घोषणा की गई थी. दूसरी ओर, INSTC, 7,200 किमी से अधिक तक फैले परिवहन मार्गों का एक बहु-मोड नेटवर्क है. आर्थिक योगदान को बढ़ावा देते हुए अंतर्राष्ट्रीय कानून के पालन और संप्रभुता के सम्मान का आह्वान उत्तरदायी अंतरराष्ट्रीय जुड़ाव पर हिंदुस्तान के रुख को दर्शाता है.

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