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Rajasthan News: किरोड़ीलाल मीणा के इस्तीफे वाले बयान पर बेचैन हुई सियासत…

लोकसभा चुनाव के लिए मतदान समाप्त होने के बाद भी राजनीतिक बयानबाजी की गर्माहट कम नहीं हुई है. प्रदेश गवर्नमेंट के कैबिनेट मंत्री डाक्टर किरोड़ीलाल मीणा के इस्तीफे वाले बयान को लेकर राजनीति की बेचैनी बढ़ रही है. मीणा का हाल ही में दिया यह बयान कि सरकार में होना मेरा माइनस प्वाइंट है, सोशल मीडिया पर बहुत वायरल हो रहा है.

राजस्थान की राजनीति को समझने के लिए पूर्व सीएम अशोक गहलोत का एक बयान बहुत परफेक्ट बैठता है कि जो दिखता है, वो होता नहीं है और जो होता है, वह दिखता नहीं है. ठीक यही स्थिति इस समय राजस्थान की है. यहां भाजपा गवर्नमेंट के कैबिनेट मंत्री डाक्टर किरोड़ीलाल मीणा लगातार बयान दे रहे हैं कि दौसा लोकसभा सीट से भाजपा के प्रत्याशी कन्हैयालाल मीणा यदि चुनाव हार जाते हैं तो वे मंत्री पद से त्याग-पत्र दे देंगे. दरअसल दौसा सीट पर प्रचार की कमान भाजपा ने डाक्टर किरोड़ीलाल को दी थी, यहां पीएम नरेंद्र मोदी का रोड शो भी हुआ था. इसके बावजूद चर्चा है कि दौसा सीट पर पेंच फंसा हुआ है.

चुनाव प्रचार के दौरान भी डाक्टर किरोड़ी मीणा ने अपने समर्थकों के बीच बयान दिया था कि यदि कन्हैयालाल चुनाव हारे तो वे उसी दिन मंत्री पद से त्याग-पत्र दे देंगे. लेकिन उनका यह बयान केवल बयान भर नहीं है तभी तो उनके इस बयान ने राजनीति में बेचैनी पैदा कर रखी है. डाक्टर किरोड़ी का बयान उस राजनीतिक भूकंप की आहट बताया जा रहा है, जिसकी जद में आकर कई नेताओं की कुर्सियां गिर सकती हैं.

देखा जाए तो यहां पहले चरण के चुनावों में भाजपा की कई सीटें फंसी हुई हैं. स्वयं भाजपा भी यह मानकर चल रही है कि इस बार राजस्थान से कुछ सीटों का हानि हो सकता है. हालांकि सट्टा बाजार से लेकर राजनीतिक गलियारों तक हानि वाली सीटों का नंबर कहीं अधिक कहा जा रहा है.

ऐसा मानने के पीछे कारण है कि पहले चरण में राजस्थान में वोटिंग का फीसदी बहुत कम रहा. इसमें भाजपा के कई कद्दावर मंत्रियों की विधानसभाओं में सबसे कम वोटिंग हुई. यदि वोटिंग कम होने की वजह से इन क्षेत्रों में भाजपा को हानि होता है तो डाक्टर किरोड़ीलाल मीणा के इस्तीफे का दबाव वहां तक भी महसूस होगा.

-एक वजह यह भी है कि स्वयं किरोड़ीलाल मीणा अपने मंत्रिमंडल में पोर्टफोलियो को लेकर खुश नहीं थे. ऐसे में उनका यह दांव भजनलाल गवर्नमेंट पर दबाव बनाने का काम भी करेगा.

– यदि डाक्टर किरोड़ीलाल त्याग-पत्र दे देते हैं तो लोकसभा चुनावों के तुरंत बाद आने वाले राजस्थान के बजट सत्र में कांग्रेस पार्टी के लिए यह बड़ा मामला बनेगा और गवर्नमेंट की किरकिरी होगी.

ऐसे में आसार यही है कि रिज़ल्ट चाहे जो भी हों लेकिन भाजपा के नेता डाक्टर किरोड़ीलाल की मनुहार में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे क्योंकि डाक्टर मीणा का ये एक तीर राजनीति में कइयों को घायल कर सकता है.

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