इन चुनाव में एक बार फिर वही ‘गुजरात वाला फॉर्मूला’ अपना रहे पीएम मोदी
Narendra Modi Secret for Winning Elections: राष्ट्र एक बार फिर आम चुनावों की ओर धीरे- धीरे आगे बढ़ रहा है। इन चुनावों से पहले प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा आत्मविश्वास से चूर है। उसने इस बार- 400 पार का नया नारा भी बुलंद कर दिया है, जो अभी से उसकी जनसभाओं में गूंजने लगा है। भाजपा का यह कॉन्फिडेंस प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी भी सभाओं में भी नजर आता है, जिसमें वे अगले टर्म में किए जाने वाले कामों की रूपरेखा देशवासियों के सामने पेश करते हैं। यह राष्ट्र की जनता पर उनके भरोसे को दर्शाता है कि आने वाले चुनाव में फिर से उन्हीं की गवर्नमेंट रिपीट होने जा रही है।
बिखर गया विपक्षी गठबंधन
वहीं प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी को लगातार तीसरी बार सत्ता में आने से रोकने के लिए बना I.N.D.I. गठबंधन बनाया था, फरवरी आते-आते बिखराव की दहलीज पर पहुंच गया है। राहुल गांधी जहां पूरब से पश्चिम तक हिंदुस्तान जोड़ो इन्साफ यात्रा निकाल रहे हैं। वहीं अब ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल जैसे क्षत्रप उनके कुनबे से बाहर निकलकर अपने दम पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं। जबकि नीतीश कुमार तो भाजपा के साथ गठबंधन गवर्नमेंट ही बना चुके हैं।
पीएम मोदी की पिच पर नाच रहा विपक्ष
राजनीतिक पंडितों का बोलना कि विपक्षी दल चाहे कुछ भी कर लें, भाजपा को लगातार तीसरी बार सत्ता में आने से रोकना उनके लिए बहुत कठिन है। असल में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले 5 वर्षों में राजनीतिक पिच इस हिसाब से सेट कर दी है कि विपक्ष के पास करने के लिए कुछ बचा ही नहीं है। राष्ट्र में चर्चा उन्हीं मुद्दों की हो रही है, जो प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी उठा रहे हैं और जो बातें विपक्षी नेता कह रहे हैं, उन पर जनता भरोसा नहीं कर पा रही है।
इस फॉर्मूले से अजेय बने हुए हैं पीएम मोदी
सबसे बड़ी बात, प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी इन चुनाव में एक बार फिर वही ‘गुजरात वाला फॉर्मूला’ अपना रहे हैं, जिसने उन्हें लगातार 15 वर्षों तक गुजरात की सत्ता का सरताज बनाए रखा। उसके बाद जब वे केंद्र में आए तो उसी अजेय फॉर्मूले पर काम करते हुए पीएम बन गए। अब वे पिछले 10 वर्ष से केंद्र की सत्ता में बने हुए हैं। विपक्ष आशा करता है कि 5 वर्ष बाद चुनाव आने पर उसे एंटी इनकम्बेंसी से सहायता मिलेगी लेकिन प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी फिर अपने उसी ‘ब्रह्मास्त्र’ को बाहर निकालते हैं और विपक्ष धराशयी हो जाता है।
विपक्ष आज तक नहीं ढूंढ पाया है काट
आखिर वह कौन सा फॉर्मूला है, जिसकी विपक्ष आज तक काट नहीं ढूंढ पाया है और नरेंद्र मोदी ‘अजेय बादशाह’ बने हुए हैं। वह फॉर्मूला है- ‘आस्था और विकास’ यानी सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के साथ कल्याणकारी योजनाओं की झड़ी लगा देना। यह फॉर्मूला उन्होंने गुजरात की सत्ता में आने पर स्वयं ईजाद किया था। इसके अनुसार हिंदू आस्थाओं से जुड़े प्राचीन गौरव को राष्ट्र में पुनर्स्थापित करने पर बल है तो तेज विकास के जरिए राष्ट्र का कायाकल्प करने का प्रण है।
आप इसे इसी बात से समझ सकते हैं कि प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी जहां केदारनाथ, बद्रीनाथ जाते हैं तो चारधाम कनेक्टिविटी के लिए चौड़ी रोड का काम भी प्रारम्भ करवाते हैं। वे राम मंदिर का उद्घाटन करते हैं तो वंदे भारत, चौड़े हाईवे, समेत कई योजनाओं को राष्ट्र को समर्पित भी करते हैं। वे सोमवार को उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि धाम के शिलान्यास में गए तो दोपहर में लखनऊ में जाकर 10 लाख करोड़ रुपये की निवेश योजनाओं का भूमि पूजन भी किया। वे इन दोनों कामों में बराबर सामंजस्य बनाए रखते हैं, जिससे राष्ट्र की जनता को संतुष्टि और गौरव का अहसास होता है।
बहुसंख्यक जनता में लौट रहा आत्मविश्वास
पीएम मोदी के इसी फॉर्मूले का कमाल है कि जहां राष्ट्र की बहुसंख्यक जनता में बरसों से दबा आत्मविश्वास और गौरव लौट रहा है, वहीं विकास कार्यों की वजह से उनकी जीवन पहले से काफी सरल भी हो गई है। लोगों को लगता है कि यह उनका समय है और अब इसे खोना नहीं है। जब वे प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी को वोट करते हैं तो ऐसा करके वे कांग्रेस पार्टी के प्रति अपना गुस्सा भी दिखाते हैं, जिसने 70 वर्ष तक राष्ट्र पर राज करने के बावजूद तुष्टिकरण नीति की वजह से कभी राष्ट्रवाद पर ध्यान ही नहीं दिया।
कांग्रेस की नीतियों से लोग बुरी तरह निराश
लोगों को लगता है कि यदि कांग्रेस पार्टी एक बार फिर राष्ट्र में वापस आ गई तो तुष्टिकरण का राज लौट आएगा और बहुसंख्यक लोगों को फिर से दबकर रहना होगा। उनकी कहीं पर सुनवाई नहीं होगी और सारे कानून उनके विरुद्ध बनाए जाएंगे। उनमें यह भी डर है कि कांग्रेस पार्टी का राज आने पर दुनिया में हिंदुस्तान का बज रहा डंका बंद हो जाएगा और वह फिर से पश्चिमी राष्ट्रों का पिछलग्गू बनने को विवश हो जाएगा। कांग्रेस पार्टी के प्रति ये विचार लोगों को प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ जुड़ने के लिए और अधिक प्रेरित करते हैं।
400 से अधिक सीटें आ जाएं तो कोई आश्चर्य नहीं
यही वजह है कि प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी का गुजराती फॉर्मूला इस बार भी निशाने पर लगता दिख रहा है। भाजपा के अबकी बार 400 पार के नारे पर विपक्षी दल भले ही अभी मजाक उड़ा रहे हैं, लेकिन पूरे राष्ट्र में अभी प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा के प्रति जैसा अंडर करंट दौड़ रहा है, ऐसे में यदि वह नारे को अमलीजामा पहना देती है तो कोई आश्चर्य नहीं होनी चाहिए। देखने वाली खास बात ये है कि कांग्रेस पार्टी अपनी गलतियों से कुछ सीखने को तैयार है भी नहीं या फिर वह पहले की तरह अपनी नीतियां अपनाकर भाजपा को वॉकओवर दे देगी।