अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद से ही पूरे राष्ट्र में रामलहर की चर्चा है। यूपी, बिहार, राजस्थान, एमपी, छत्तीसगढ़, झारखंड, हिमाचल, दिल्ली समेत उत्तर हिंदुस्तान के कई राज्यों में राम मंदिर की चर्चा जोरों पर है। यही नहीं दक्षिण और पश्चिम हिंदुस्तान के राज्यों में भी इसका असर देखा जा रहा है। अब स्वयं पीएम नरेंद्र मोदी इस लहर को मजबूत करने के लिए रैलियां करने जा रहे हैं। इसकी आरंभ भी राम मंदिर के राज्य उत्तर प्रदेश से ही होगी। पीएम नरेंद्र मोदी 25 जनवरी को उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में एक बड़ी रैली करने वाले हैं।
इस रैली में 5 लाख लोगों के जुटने का प्लान है। रैली में पास के जिलों मेरठ, गाजियाबाद, नोएडा और मुरादाबाद के लोग भी बड़ी संख्या में पहुंचने वाले हैं। इस रैली को बीजेपी के लोकसभा चुनाव के कैंपेन का आगाज बताया जा रहा है। खासतौर पर प्राण प्रतिष्ठा के तीन दिन बाद ही होने वाली यह रैली अर्थ रखती है। यह रैली इसलिए भी अर्थ रखती है क्योंकि 2019 के चुनाव में बीजेपी को पश्चिम उत्तर प्रदेश की 14 में से 8 सीटें ही मिल पाई थीं। बीजेपी को मुरादाबाद, संभल, अमरोहा, बिजनौर, नगीना, सहारनपुर में हार झेलनी पड़ी थी।
ऐसे में बीजेपी का प्लान है कि इस बार इन सीटों पर भी फोकस किया जाए। यहां बीजेपी को समाजवादी पार्टी से अधिक बीएसपी की चुनौती का सामना करना पड़ा था। तब समाजवादी पार्टी और बीएसपी मिलकर लड़े थे और कुल 10 सीटें मायावती को मिल गई थीं। अखिलेश की पार्टी 5 ही जीत सकी थी। इस बार दोनों में गठबंधन की आसार नहीं दिख रही है और बीएसपी पहले के मुकाबले कमजोर है। पश्चिम उत्तर प्रदेश के जिलों में समाजवादी पार्टी का बहुत अधिक असर नहीं रहा है। ऐसी स्थिति में बीजेपी यहां जीत हासिल करना चाहेगी।
बता दें कि बंगाल में ममता बनर्जी ने अलग राह अपना ली है। उत्तर प्रदेश में भी कमोबेश यही स्थिति बनती दिख रही है। अखिलेश यादव ने जयंत चौधरी को 7 सीटें देने पर सहमति जता दी है। वहीं कांग्रेस पार्टी 20 सीटों पर दावा कर रही है। अखिलेश यादव कांग्रेस पार्टी से इतनी महंगी डील करने के मूड में नहीं हैं। वह मानते हैं कि बीजेपी से सीधे मुकाबले में कांग्रेस पार्टी कमजोर है। ऐसे में उसे अधिक सीटें देना हानिकारक होगा।