द्वारकाधीश मंदिर में दर्शन कर कृष्ण भक्ति में लीन हुए पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को गुजरात के द्वारका शहर का दौरा किया। इस दौरे में उन्होंने कई जरूरी कार्यक्रमों में भाग लिया, जिनमें सुदर्शन सेतु का उद्घाटन, जलमग्न द्वारका शहर में पूजा और द्वारकाधीश मंदिर में दर्शन शामिल थे।
सुदर्शन सेतु का उद्घाटन:
प्रधानमंत्री मोदी ने ओखा मुख्य भूमि को बेट द्वारका द्वीप से जोड़ने वाले पुल सुदर्शन सेतु का उद्घाटन किया। यह पुल 2.32 किलोमीटर लंबा है और राष्ट्र का सबसे लंबा केबल-सपोर्टेड पुल है। 980 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित, इस पुल में भगवद गीता के श्लोकों और ईश्वर श्रीकृष्ण के चरित्र को दर्शाया गया है। पुल पर सौर पैनल भी लगाए गए हैं जो एक मेगावाट बिजली का उत्पादन करेंगे।
जलमग्न द्वारका में पूजा:
पीएम मोदी गहरे समुद्र में गए और उस जगह पर पूजा की जहां जलमग्न द्वारका शहर माना जाता है। यह एक दुर्लभ और गहरा अनुभव था जो हिंदुस्तान की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक जड़ों से उनका संबंध दर्शाता है। द्वारका शहर ईश्वर श्रीकृष्ण से निकटता से जुड़ा हुआ है और भव्यता और समृद्धि का केंद्र रहा है।
द्वारकाधीश मंदिर में दर्शन:
पीएम मोदी ने द्वारकाधीश मंदिर में दर्शन किए और ईश्वर श्रीकृष्ण की पूजा अर्चना की। उन्होंने मंदिर परिसर में काफी समय बिताया और द्वारका की समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का अनुभव किया।प्रधानमंत्री मोदी का द्वारका दौरा भक्ति, विकास और इतिहास का संगम था। उन्होंने श्रद्धालुओं को सुदर्शन सेतु के रूप में एक बड़ी सौगात दी, हिंदुस्तान की प्राचीन विरासत के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की, और द्वारका की समृद्ध संस्कृति और इतिहास से जुड़े।
इस दौरे के कुछ मुख्य बिंदु:
- सुदर्शन सेतु का उद्घाटन, जो राष्ट्र का सबसे लंबा केबल-सपोर्टेड पुल है।
- जलमग्न द्वारका में पूजा, जो हिंदुस्तान की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक जड़ों से प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी का संबंध दर्शाता है।
- द्वारकाधीश मंदिर में दर्शन और ईश्वर श्रीकृष्ण की पूजा अर्चना।
इसके अलावा:
- सुदर्शन सेतु श्रद्धालुओं के लिए द्वारका यात्रा को सरल और सुविधाजनक बनाएगा।
- जलमग्न द्वारका में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की पूजा हिंदुस्तान की प्राचीन विरासत और संस्कृति के प्रति उनकी श्रद्धा को दर्शाता है।
- द्वारकाधीश मंदिर में दर्शन और पूजा से प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी को द्वारका की समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत से जुड़ने का अवसर मिला।