पीएम मोदी से लोगों की मांग: लक्षदीप की तरह करें गंगासागर का प्रचार
गंगासागर के लोगों ने पीएम नरेंद्र मोदी से मांग की है कि उन्होंने बीते दिनों जिस तरह लक्षद्वीप का प्रचार किया, उसी तरह सागरद्वीप के बारे में भी कहें। क्षेत्रीय लोगों को भरोसा है कि पीएम मोदी सागरद्वीप का उल्लेख करेंगे तो पूरी दुनिया का ध्यान इस पर जाने वाला है। इससे यहां विकास की राहें खुलने वाली है। बता दें कि गंगासागर का ही दूसरा नाम सागरद्वीप है। रूद्रनगर क्षेत्र की रहने वाली सहेली ताला ने बोला कि पीएम मोदी बहुत प्रभावशाली चरित्र वाले हैं। देश-दुनिया में उनके करोड़ों फॉलोअर्स हैं। पीएम मोदी के लक्षद्वीप प्रवास का वीडियो सामने आने के उपरांत वहां पर्यटन तेजी से बढ़ गया है। लोग मालदीव जाना भूल गए हैं। वे यदि सागरद्वीप के बारे में कहेंगे तो इस क्षेत्र और यहां के लोगों का भी बहुत भला हो जाएगा।
गंगासागर में पर्याप्त विकास कार्य नहीं: मध्य प्रदेश के सागर क्षेत्र मे स्थित स्वामी विवेकानंद यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाली सहेली ने आगे कहा है कि राष्ट्र का जरूरी तीर्थस्थल होने के बावजूद गंगासागर में उद्योग नहीं हैं। रोजगार की भी बहुत ही अधिक कमी है। अच्छे शिक्षण संस्थान नहीं हैं। स्वास्थ्य प्रबंध उन्नत नहीं है। क्षेत्रीय युवकों को कार्य के लिए दूसरे राज्यों का रूख करना पड़ जाता है। मकर संक्रांति पर गंगासागर मेला लगने के वक़्त ही यहां इतना ताम-झाम देखने को मिलता है और लाखों तीर्थयात्रियों की भीड़ उमड़ती हुई दिखाई देती है। बाकी वक़्त कुछ ही पर्यटक आते हैं। उनके ठहरने के लिए यहां अच्छे होटल भी नहीं हैं।
गंगासागर पर भी दें ध्यान: स्थानीय दुकानदार बलराम दास कहा है कि प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए बहुत कुछ किया है। गंगासागर हिंदुओं के सबसे प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है इसलिए उन्हें इसपर विशेष ध्यान देना चाहिए। लक्ष्मीबाजार क्षेत्र के निवासी है गोपीनाथ दास का बोलना है कि सागरद्वीप के पर्याप्त रूप से विकसित नहीं हो पाने का एक प्रमुख कारण इसका मेनलैंड से भू-संपर्क नहीं होना है। दशकों पिछले जाने पर भी मूड़ी गंगा नदी में पुल का निर्माण नहीं हो पाया है।
कोलकाता से 100 किमी दूर गंगासागर: खबरों का बोलना है कि सागरद्वीप कोलकाता से लगभग 100 किलोमीटर दूर दक्षिण 24 परगना जिले में चारों ओर से पानी से घिरा प्राकृतिक तौर पर निर्मित द्वीप है। यह दुनिया के सबसे बड़े मैंग्रोव फारेस्ट सुंदरवन का ही एक भाग है। यहां की जनसंख्या 2 लाख से कुछ अधिक है। सागरद्वीप की जीविका मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है। अधिकांश लोग पान की खेती करते हैं। यहां के पान का राष्ट्र के विभिन्न भागों में निर्यात होता है। इसके अतिरिक्त धान और विभिन्न सब्जियों की भी खेती होती है। कुछ लोग मत्स्य पालन से जुड़े हुए हैं। यहां बड़े कल-कारखाने नहीं हैं। छोटे कुटीर उद्योग भी चल रहे है।