MLA Disqualification Case : शिवसेना गुटों की याचिकाओं पर विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने सुनाया अपना फैसला
मुंबई: एक-दूसरे के विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली शिवसेना गुटों की याचिकाओं पर विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने अपना निर्णय सुना दिया है। राहुल नार्वेकर ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समेत अन्य 16 विधायकों को योग्य ठहराया है। स्पीकर का यह निर्णय उद्धव ठाकरे के लिए बहुत बड़ा झटका बताया जा रहा है।
उद्धव गुट की दलील में दम नहीं
फैसले के दौरान महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर ने बोला कि उद्धव गुट की दलील में दम नहीं है। महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष ने बोला कि शिवसेना के 2018 के संविधान पर विचार करने की उद्धव ठाकरे गुट की दलील स्वीकार नहीं की जा सकती। नार्वेकर ने बोला कि याचिकाकर्ता (उद्धव गुट) के इस तर्क को स्वीकार नहीं कर सकते कि 2018 के पार्टी संविधान पर निर्भर किया जाना चाहिए।
शिव सेना के 1999 के संविधान पर भरोसा
विधायकों की अयोग्यता याचिका पर निर्णय सुनाते हुए महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा, ”…शिवसेना के 2018 संशोधित संविधान को वैध नहीं बताया जा सकता क्योंकि यह हिंदुस्तान के चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है। उच्चतम न्यायालय के आदेशों के अनुसार, मैं किसी अन्य कारक पर विचार नहीं कर सकता जिस पर संविधान वैध है। रिकॉर्ड के अनुसार, मैं वैध संविधान के रूप में शिव सेना के 1999 के संविधान पर भरोसा कर रहा हूं।”
इन 16 विधायकों को योग्य ठहराया
नार्वेकर ने जिन 16 विधायकों योग्य ठहराया है। उनके नाम एकनाथ शिंदे, संदिपानराव भुमरे, डाक्टर तानाजी सावंत, अब्दुल सत्तार, भरत गोगावले, संजय शिरसाट, यामिनी जाधव, अनिलभाऊ बाबर, डाक्टर किनिकर बालाजी प्रल्हाद, प्रकाश सुर्वे, महेश शिंदे, लता सोनवणे, चिमणराव रूपचंद पाटिल, रमेश बोरनारे, डाक्टर संजय रायमुलकर और बालाजी कल्याणकर है।
जून 2022 में शिंदे एवं अन्य विधायकों किया था उपद्रव
जून 2022 में शिंदे एवं अन्य विधायकों ने तत्कालीन सीएम उद्धव ठाकरे के विरुद्ध उपद्रव कर दिया था, जिसके बाद शिवसेना दो फाड़ हो गयी थी और ठाकरे की प्रतिनिधित्व वाली महा विकास आघाड़ी गवर्नमेंट का पतन हो गया था, जिसमें कांग्रेस पार्टी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी पार्टी मुख्य घटक थे। शिंदे और ठाकरे गुटों द्वारा दलबदल विरोधी कानूनों के अनुसार एक दूसरे के विरुद्ध कार्रवाई की मांग करते हुए याचिकाएं दाखिल की गई थीं।
SC ने 10 जनवरी तक दिया था समय
शीर्ष न्यायालय ने पिछले वर्ष मई में नार्वेकर को याचिकाओं पर निर्णय करने का निर्देश दिया था और उन्हें अयोग्यता याचिकाओं पर 31 दिसंबर तक अपना निर्णय देने को बोला था। हालांकि, नार्वेकर ने इस समय सीमा को बढ़ाने की मांग की थी। वहीं, 20 दिसंबर को उच्चतम न्यायालय ने निर्णय देने के लिए 10 जनवरी तक 10 दिनों का विस्तार राहुल नार्वेकर को दिया।