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Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 में महराष्ट्र पर क्यों टिकी हैं पूरे देश की नजरें…

Lok Sabha Election 2024 Maharashtra Politics: लोकसभा चुनाव 2024 में महराष्ट्र पर पूरे राष्ट्र की नजरें टिकी हैं, क्योंकि बीते 5 वर्ष में जितना सियासी उलटफेर इस राज्य में हुआ है, उतना किसी और स्थान देखने को नहीं मिला है वर्ष 2019 में बीजेपी के साथ लड़ी शिवसेना अब दोफाड़ हो चुकी है विद्रोही शिंदे गुट को चुनाव आयोग ने वास्तविक शिवसेना का दर्जा दे दिया है

यही हाल NCP का है, जहां इस दल के विद्रोही अजित पवार को वास्तविक NCP का दर्ज मिल चुका है इस तरह शिवसेना के संस्थापक बाल साहब ठाकरे के पुत्र उद्धव और NCP के संस्थापक शरद पवार दूसरी पार्टी और निशान पर अगला चुनाव लड़ने वाले हैं NCP और शिवसेना के विद्रोही गुट राज्य गवर्नमेंट में भागीदार हैं और किंग मेकर की किरदार में बीजेपी और उसके नेता हैं

राज्य में मोदी नहीं, कोई और फैक्टर काम करेगा

महाराष्ट्र में लोकसभा की कुल 48 सीटें हैं पिछले चुनाव में भाजपा-शिवसेना ने एक साथ चुनाव लड़ा और विरोधी दलों को इकाई में समेट दिया दोनों दलों ने मिलाकर 39 सीटों पर विजय हासिल की थी ऐसे में भले ही राष्ट्र के बड़े हिस्से में मोदी फैक्टर काम करेगा, लेकिन लोगों को संदेह है कि यहां वह खास फैक्टर बहुत तेज काम करेगा कारण यह है कि जब से उद्धव ठाकरे सीएम पद से हटे हैं और उनकी ही पार्टी के नेता एकनाथ शिंदे ने उपद्रव करके बीजेपी के साथ मिलकर गवर्नमेंट बना ली है, तब से शिवसेना उद्धव के पक्ष में एक अलग ही भावना बह रही है

टकराव के बावजूद दोनों गुट चुनाव मैदान में डटेंगे

आम जनता और शिव सैनिकों ने मान लिया है कि चुनाव आयोग और विधानसभा अध्यक्ष, दोनों ने ही उनके दल के साथ अन्याय किया है कुछ ऐसी ही स्थिति शरद पवार की है उनके द्वारा स्थापित दल NCP में भी ठीक वैसा ही हुआ, जैसा उद्धव ठाकरे के साथ हुआ यहां उनके अपने भतीजे अजीत पवार बीजेपी गवर्नमेंट में डिप्टी सीएम हैं और उनके कई समर्थक विधायक मंत्री हैं आयोग ने यहां भी शरद पवार के विरुद्ध निर्णय दिया इन सभी बदलावों के बीच शिवसेना उद्धव ठाकरे, NCP शरद पवार और कांग्रेस पार्टी एक साथ चुनाव मैदान में आने वाले हैं

NDA को महाराष्ट्र में तगड़ा झटका लग सकता

बेशक INDIA गठबंधन की हवा देशभर में खराब हो, लेकिन महाराष्ट्र में स्थिति उलट है यहां शिवसेना उद्धव और NCP शरद पवार की किरदार अलग ही दिखाई दे रही है कारण यह है कि दोनों दल अपने-अपने असर वाले क्षेत्र में जनता के बीच यह स्थापित करने के कोशिश में काफी हद तक सफल होते हुए दिखाई दे रहे हैं कि उनके साथ विश्वासघात हुआ है इसलिए जनता अपनी वोटों के सहारे धोखेबाजों को सजा दे यदि वाकई ऐसा हुआ तो बीजेपी या यूं कहें कि NDA को महाराष्ट्र लोकसभा चुनाव में तगड़ा झटका लग सकता है, क्योंकि NCP और शिवसेना में तोड़-फोड़ के पीछे बीजेपी मुख्य किरदार में है, यह बात किसी से छिपी नहीं है

जनता NDA या INDIA चुनेगी, यह समय बताएगा

वरिष्ठ पत्रकार विजय सिंह कहते हैं कि राष्ट्र के चुनाव से इतर यहां के हालत हैं मूल रूप से शिवसेना के कार्यकर्ता और शरद पवार के समर्थक बीजेपी को खलनायक के रूप में देख रहे हैं उनके सामने अब जो भी चुनाव आएगा, वे सजा देने का पूरा कोशिश करेंगे यही कारण हैं कि इस तोड़-फोड़ के बीच गवर्नमेंट होने के बावजूद उपचुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है वे कहते हैं कि आज भी शिवसेना मतलब ठाकरे परिवार सारी निष्ठा मातोश्री के प्रति ही है

कार्यकर्ताओं की भावनाएं उद्धव ठाकरे के साथ जुड़ी हैं शिंदे बेशक मुश्यमंत्री हैं, लेकिन आज भी शिवसेना नेता के रूप में उनकी वह स्वीकार्यता नहीं है, जो उद्धव की है भले ही आयोग ने उन्हें वास्तविक शिवसेना मान लिया है, लेकिन अब यह देखना रोचक होगा कि महाराष्ट्र की जनता लोकसभा चुनाव में NDA गठबंधन के साथ जाती है या शरद-उद्धव-कांग्रेस के साथ बताया जा रहा है कि जनता उनके नेताओं की पार्टियों को खंड-खंड करने वालों को अपने वोट से सजा देगी

महाराष्ट्र में सम्मानजनक सीटें जीतना बीजेपी की चुनौती

उधर, तीनों विपक्षी स्तम्भ उद्धव-शरद पवार-कांग्रेस जनता के बीच पीड़ित के रूप में जा रहे हैं पहले बीजेपी ने इनकी गवर्नमेंट गिरा दी फिर शिवसेना और NCP में तोड़-फोड़ कर गवर्नमेंट में शामिल कर दिया इसके लिए कुर्बानी भी दी विपक्ष यह साबित कर रहा है कि विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद बीजेपी नेता डिप्टी सीएम बने बैठे हैं यह सिर्फ़ और सिर्फ़ महाराष्ट्र को कमजोर करने की षड्यंत्र है इसी गुणा-गणित को लेकर विपक्ष के तीनों दल सीटों के बंटवारे पर लगभग सहमत हो चुके हैं इसमें सिर्फ़ जीत को आधार बनाकर सीटें दी गई गईं इसमें 18-20 सीटें शिवसेना उद्धव, 20-22 सीटें कांग्रेस पार्टी और बची हुई सीटें शरद पवार की NCP को जा रही हैं

उधर NDA गठबंधन के सामने यूं तो कोई चुनौती नहीं है, लेकिन सीट शेयरिंग में शिंदे गुट और अजित पवार गुट को भी सम्मानजनक सीटें चाहिए बीजेपी इनकी इसलिए भी सुनेगी, क्योंकि वर्ष 2024 में ही यहां विधानसभा चुनाव भी हैं ऐसे में 23 सीटें जीतने वाली बीजेपी के सामने लाख टके का प्रश्न यह है कि वह शिंदे और अजित पवार के दल को कितनी सीटें देगी? यह देखना रोचक होगा

 

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