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लैंडर और रोवर फिर सक्रिय,15 दिन तक देंगे चांद से जुड़ी जानकारियां

Lunar Mission of China: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को चांद पर दिन होने के बाद फिर से सक्रिय करने की प्रयास में जुट गया है दोनों को चंद्रमा के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र में सफल लैंडिंग के कुछ दिन बाद 4 सितंबर 2023 की सुबह स्लीप मोड में डाल दिया गया था साथ ही इसके सभी पेलोड निष्क्रिय कर दिए गए थे इस दौरान केवल इसके रिसीवर चलते रहे इसरो के मुताबिक, मॉड्यूल को रीबूट करने की प्रयास की जाएगी, क्योंकि सूर्य की रोशनी में दोनों की बैटरी फुल चार्ज हैं इसरो को आशा है कि यदि लैंडर और रोवर फिर एक्टिव हो गए तो अगले 15 दिन तक चांद से जुड़ी जानकारियां देते रहेंगे

भारत बेशक चांद के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र में लैंड करने वाला दुनिया का पहला राष्ट्र है लेकिन, इससे पहले चीन का चंद्र अभियान भी सफल रहा है चीन के चांग’ई-4 लैंडर और युतु-2 चांद की सतह पर बीते चार वर्ष से काम कर रहे हैं वहीं, इसरो प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर को फिर से एक्टिव करने की कोशिशों में जुटा है जानते हैं कि चीन के रोवर और लैंडर इतने लंबे समय तक चांद की सतह पर एक्टिव रहकर काम कैसे कर पा रहे हैं? दोनों को किस तकनीक से बनाया गया है कि वे चार से चांद की कड़ाके की ठंड बर्दाश्‍त कर पा रहे हैं?

 

सौर ऊर्जा से ही संचालित हैं चीन के युतु-2 और चांग’ई-4
चीन के वैज्ञानिकों ने युतु-2 रोवर से मिले डेटा का प्रयोग करके चंद्रमा के दूर की सतह के नीचे की परतों की छवि तैयार की है चांग’ई-4 लैंडर और रोवर चंद्रमा के सुदूर हिस्से पर 2 जनवरी 2019 को उतरे थे चीन का चंद्र अभियान चांद के उस सुदूर क्षेत्र में सॉफ्ट-लैंडिंग करने वाला पहला अंतरिक्ष यान बन गया था, जो कभी पृथ्वी के सामने नहीं आता है बता दें कि हिंदुस्तान के रोवर प्रज्ञान की ही तरह चीन का युतु-2 भी सौर ऊर्जा से संचालित है युतु-2 रोवर 186 किलोमीटर चौड़े वॉन कार्मन क्रेटर की सतह की खोज कर रहा है इसके दो-चैनल ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार से सतह के नीचे खोजबीन की जा रही है इससे भूवैज्ञानिक इतिहास की झलक मिलती है

युतु-2 ने चांद की सतह पर क्‍या-क्‍या खोजा?
युतु-2 ने 130 फीट गहराई तक चैनल स्कैनिंग का प्रयोग करके चट्टान के मलबे और मिट्टी की भिन्न-भिन्न परतों की पड़ताल की है जर्नल ऑफ जियोफिजिकल रिसर्च: प्‍लेनेट्स में 7 अगस्‍त को प्रकाशित पेपर के मुताबिक, लो-फ्रीक्‍वेंसी चैनल ने सतह के नीचे ऊपरी 1,000 फीट में कई परतों की खोज की है, जो अरबों वर्ष पहले हुई बेसाल्ट विस्फोटों की सीरीज का संकेत देती है शोध का नेतृत्व एरिजोना के टक्सन में प्‍लेनेटरी साइंस इंस्‍टीट्यूट के जियानकिंग फेंग ने किया था उन्‍होंने नए और पुराने अध्ययनों को मिलकर चंद्रमा की ऊपरी परतों की छवि तैयार की है ये अध्‍ययन पांच मुख्य परतों के सबूत पेश करता है, जिनमें कम से कम तीन मुख्य रूप से बेसाल्ट से बने हैं

 

अभियान के दौरान युतु-2 ने कितनी दूरी तय की?
शोधकर्ताओं ने पाया कि कम गहराई पर परतें उतनी मोटी नहीं हैं, जितनी गहराई में हैं इसे संकेत मिलता है कि ज्वालामुखीय गतिविधि के कारण समय के साथ प्रवाह कम हो गया, क्योंकि चंद्रमा की आंतरिक तापीय ऊर्जा समाप्त हो गई, जो ज्वालामुखी को प्रेरित करती थी अध्‍ययन के लिए प्रयोग डेटा जनवरी 2019 और जनवरी 2022 के बीच जुटाया गया था इस दौरान युतु-2 रोवर ने चंद्र सतह पर करीब 3,280 फीट की दूरी तय की थी चीन अपने चंद्र अभियान की जानकारी अमूमन सार्वजनिक नहीं करता है हालांकि, जनवरी 2023 में रोवर और लैंडर की लैंडिंग की चौथी वर्षगांठ मनाई गई तो कई जानकारियां सामने आईं इसी से पता चला कि ये दोनों चांद पर अब भी एक्टिव हैं

 

ठंड से क्‍यों खराब नहीं हुए चीन के रोवर-लैंडर?
चांद पर दिन और रात धरती के 14-14 दिन के बराबर होता है दिन में चांद पर तापमान 100 डिग्री सेल्सिय से अधिक पहुंच जाता है वहीं, रात में तापमान माइनस 120 डिग्री से नीचे चला जाता है इससे किसी भी मशीन की बैट्री पूरी तरह समाप्त हो सकती है ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्‍या चीन के रोवर युतु-2 पर भयंकर ठंड का कोई असर नहीं होता है? दरअसल, चांद पर रात होते ही यह स्लीप मोड में चला जाता है इस दौरान इसके अंदर उपस्थित रेडियो आइसोटोप हीटर यूनिट इसे कड़ाके की ठंड में खराब होने से बचाता है इसमें प्लुटोनियम 238 का इस्तेमाल किया गया है फिर जब चांद पर दिन होता है तो इसकी बैट्री सौर ऊर्जा से चार्ज हो जाती है इससे ये दोबारा एक्टिव होकर अपना काम प्रारम्भ कर देता है

चांग’ई-4 के साथ गए हैं कौन-कौन से पेलोड?
अगर चांग’ई-4 के पेलोड की बात की जाए तो इसमें लैंडिंग कैमरा अंतरिक्ष यान के तल पर लगा हुआ है, जिसने चंद्र सतह से 12 किमी की ऊंचाई पर एक वीडियो स्ट्रीम बनाना प्रारम्भ कर दिया था टेरेन कैमरा लैंडर के शीर्ष पर लगा है और 360 डिग्री घूमने में सक्षम है इसका प्रयोग चंद्र सतह और रोवर की हाई-डेफिनीशन इमेज लेने के लिए किया जा रहा है लो-फ्रीक्‍वेंसी स्पेक्ट्रोमीटर 0.1 और 40 मेगाहर्ट्ज के बीच आवृत्तियों पर सौर रेडियो ब्‍लॉस्‍ट्स पर अध्ययन करने और चंद्र आयनमंडल का शोध करने के लिए है

 

क्‍या है इसके साथ गया बायोस्‍फीयर सिलेंडर?
लैंडर में जर्मनी की कील यूनिवर्सिटी का बनाया एक न्यूट्रॉन डोसीमीटर है, जो चंद्रमा के भविष्य के मानव अन्वेषण के लिए विकिरण डोसिमेट्री की जानकारी जुटा रहा है ये सौर पवन शोध में भी सहायता कर रहा है लूनर माइक्रो इकोसिस्टम 18 सेमी लंबा और 16 सेमी व्यास का एक 3 किग्रा वजनी सीलबंद बायोस्फीयर सिलेंडर है, जिसमें बीज और कीड़ों के अंडों के साथ ये परीक्षण किया जाता है कि क्‍या चांद पर पौधे और कीड़े एक साथ विकसित हो सकते हैं? इस प्रयोग में बिनौला, आलू, रेपसीड, अरेबिडोप्सिस थालियाना, खमीर और फल मक्खी के अंडे शामिल हैं चीन ने 15 जनवरी 2019 को कहा कि बिनौला, रेपसीड और आलू के बीज अंकुरित हो गए हैं हालांकि, 16 जनवरी को कहा गया कि चंद्रमा की रात प्रारम्भ होते ही प्रयोग खत्‍म हो गया

 

युतु-2 में किस तकनीक का किया है इस्‍तेमाल?
युतु-2 रोवर में पैनोरमिक कैमरा रोवर के मास्‍टहेड पर लगाया गया है और ये 360 डिग्री घूम सकता है इसकी स्‍पेक्‍ट्रल रेंज 420 एनएम से लेकर 700 एनएम है यह दूरबीन स्टीरियोविजन के जरिये 3डी छवियां हासिल करता है लूनर पेनेट्रेटिंग रडार 30 सेमी ऊर्ध्वाधर रिजॉल्यूशन के साथ लगभग 30 मीटर गहराई तक जांच कर सकता है वहीं, 10 मीटर ऊर्ध्वाधर रिजॉल्यूशन के साथ 100 मीटर से ज्‍यादा गहराई तक जांच कर सकता है इमेजिंग स्पेक्ट्रोस्कोपी के लिए विजिवल एंड नीयर-इंफ्रारेड इमेजिंग स्‍पेक्‍टोमीटर का प्रयोग किया गया है ये चांद की सतह की सामग्री और वायुमंडलीय ट्रेस गैसों की पहचान करता है

चांद पर रात होने पर युतु-2 का क्‍या हुआ?
लैंडिंग के कुछ दिनों बाद युतु-2 अपनी पहली चंद्र रात के लिए हाइबरनेशन में चला गया इसने 29 जनवरी 2019 को सभी उपकरणों के हल्की संचालन के साथ गतिविधियां फिर से प्रारम्भ कर दीं अपने पहले पूर्ण चंद्र दिवस के दौरान रोवर ने 120 मीटर की यात्रा की यह 11 फरवरी 2019 को अपनी दूसरी चंद्र रात के लिए बंद हो गया चीन ने कहा कि चांग’ई-4 ने सतह पर मेंटल चट्टानों की पहचान की, जो इसका प्राथमिक उद्देश्य है जनवरी 2020 में चीन ने मिशन लैंडर और रोवर से बड़ी मात्रा में डेटा और हाई-रिजॉल्यूशन इमेजेज जारी कीं फरवरी 2020 में चीनी खगोलविदों ने पहली बार चंद्र इजेक्टा अनुक्रम की एक हाई-रिजॉल्यूशन इमेज की सूचना दी साथ ही, इसकी आंतरिक संरचना का विश्लेषण भी किया

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