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जानिए तेलंगाना और मिजोरम में बीते पांच साल में हुए सियासी घटनाक्रमों के बारे में…

तेलंगाना और मिजोरम समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव का घोषणा कर दिया गया चुनाव आयोग के मुताबिक, मिजोरम में सात नवंबर और तेलंगाना में 30 नवंबर को वोट डाले जाएंगे दोनों राज्यों के नतीजे बाकी तीन राज्यों के साथ तीन दिसंबर को आएंगे

 

तेलंगाना में के चंद्रशेखर राव के नेतृत्व में हिंदुस्तान राष्ट्रीय समिति (बीआरएस) की गवर्नमेंट है तो मिजोरम में जोरमथंगा के नेतृत्व वाली मिजो नेशनल फ्रंट सत्ता में है 2018 में आए चुनाव नतीजों के बाद तेलंगाना में तत्कालीन तेलंगाना राष्ट्रीय समिति (टीआरएस) ने गवर्नमेंट बनाई के चंद्रशेखर राव राज्य के सीएम बने वहीं पूर्वोत्तर राज्य में मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट की पूर्ण बहुमत की गवर्नमेंट बनी, जिसके मुखिया जोरमथंगा बने आइए जानते हैं तेलंगाना और मिजोरम में बीते पांच वर्ष में हुए राजनीतिक घटनाक्रमों के बारे में…

शुरुआत तेलंगाना से करते हैं…

2018 में तय समय से छह महीने पहले भंग की गई विधानसभा

राज्य विधानसभा का पिछला चुनाव लोकसभा चुनाव 2019 के साथ कराया जाना था हालांकि, टीआरएस (अब बीआरएस यानी हिंदुस्तान देश समिति) गवर्नमेंट की सिफारिश के अनुसार विधानसभा को भंग कर दिया गया, जिसके कारण निर्धारित समय से पूर्व चुनाव कराया गया ये चुनाव दिसंबर 2018 में चार राज्यों- मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मिजोरम के विधानसभा चुनाव के साथ ही हुए थे

2018 में नतीजे क्या रहे थे?

तेलंगाना में पिछले विधानसभा चुनाव में आंदोलन से उभरी हिंदुस्तान देश समिति ने एकतरफा जीत दर्ज की थी 119 सदस्यीय विधानसभा में केसीआर के नेतृत्व वाली बीआरएस को 88 सीटें मिलीं थीं इसके अतिरिक्त कांग्रेस पार्टी ने 19, आईएमआईएम ने सात, टीडीपी ने दो और बीजेपी और ऑल इण्डिया फॉरवर्ड ब्लॉक (एआईएफबी) के एक-एक सीटें जीती थीं वहीं एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी को जीत मिली थी नतीजों के बाद बीआरएस ने गवर्नमेंट बनाई इस तरह से राज्य के गठन के बाद लगातार दूसरी बार प्रचंड बहुमत से बीआरएस ने गवर्नमेंट बनी और के चंद्रशेखर राव राज्य के सीएम बने

कितनी सीटों पर उपचुनाव हुआ?

राज्य में विधानसभा चुनाव के बाद चार सीटों पर उपचुनाव हुए पहला उपचुनाव हुजूरनगर विधानसभा क्षेत्र के लिए 21 अक्तूबर 2019 को हुआ था मौजूदा विधायक और तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस पार्टी कमेटी (टीपीसीसी) के अध्यक्ष एन उत्तम कुमार रेड्डी के त्याग-पत्र देने के बाद हुजूरनगर उपचुनाव महत्वपूर्ण हो गया था रेड्डी ने 2019 के आम चुनावों के दौरान नलगोंडा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी यहां हुए चुनाव में बीआरएस प्रत्याशी सैदिरेड्डी ने कांग्रेस पार्टी प्रत्याशी पद्मावती रेड्डी को हराया

तीन नवंबर 2020 को दुब्बक सीट को भरने के लिए उपचुनाव कराया गया इस चुनाव में भाजपा के एम रघुनंदन राव ने बीआरएस के सोलीपेटा सुजाता के विरुद्ध जीत दर्ज की इस विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव बीआरएस विधायक रामलिंगा रेड्डी के मृत्यु के कारण महत्वपूर्ण हो गया था

नागार्जुन सागर सीट के लिए 17 अप्रैल 2021 को मतदान हुआ था इस उपचुनाव में बीआरएस प्रत्याशी नोमुला भगत ने कांग्रेस पार्टी के जाना रेड्डी को हराकर जीत का परचम लहराया था इस सीट पर उपचुनाव बीआरएस के मौजूदा विधायक नोमूला नरसिम्हैया के मृत्यु के चलते जरूरी हो गया था

मुनुगोडे विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बीआरएस ने जीत दर्ज की इस सीट में बीआरएस उम्मीदवार कूसुकुंतला प्रभाकर रेड्डीने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बीजेपी के कोमातीरेड्डी को पराजित किया इस सीट में उपचुनाव के लिए तीन नवंबर 2022 को मतदान हुआ था बता दें कि कांग्रेस पार्टी विधायक कोमातीरेड्डी राज गोपाल रेड्डी के पार्टी से इस्तीफे की वजह से इस सीट पर उपचुनाव कराना पड़ा था

अभी क्या है विधानसभा की स्थिति?

2018 के चुनाव के बाद 119 सदस्यीय विधानसभा में बीआरएस की 88, कांग्रेस पार्टी की 19, आईएमआईएम की सात, टीडीपी की दो, बीजेपी की एक, एआईएफबी की एक सीट थी इसके अतिरिक्त एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी को जीत मिली थी पिछले विधानसभा चुनाव के बाद हुए चार उपचुनावों में से तीन पर सत्ताधारी बीआरएस ने जीत दर्ज की पहले इनमें से तीन सीटें उसके पास थी जबकि बीआरएस ने एक सीट कांग्रेस पार्टी ने छीन ली वहीं, एक सीट बीजेपी ने बीआरएस की कब्जाई इसके अतिरिक्त कांग्रेस पार्टी के 12 विधायकों के बीआरएस में शामिल होने से पार्टी के विधायकों की संख्या बढ़ गई है इस समय 119 सदस्यीय विधानसभा में बीआरएस के 101, एआईएमआईएम के सात, कांग्रेस पार्टी के पांच और बीजेपी के तीन विधायक हैं दो सीट पर निर्दलीय विधायक हैं, जबकि एक सीट अभी खाली है

इस चुनाव में किसकी तैयारी कैसी है?

2018 में तेलंगाना के चुनाव सात दिसंबर को हुए थे ऐसे में चुनावों को अब कुछ ही समय बचा है इस चुनाव में बीआरएस के सामने अपनी सत्ता सुरक्षित रखने की चुनौती होगी वहीं, केंद्र की सत्ताधारी भाजपा, कांग्रेस पार्टी समेत अन्य विपक्षी दल अपने प्रदर्शन को मजबूत करने को देखेंगे


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