कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार ने चुनाव आयोग के पत्र का दिया जवाब, कहा- नियम का…
कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी। के। शिवकुमार (DK Shivkumar) ने मंगलवार को बोला कि चुनावी राज्य तेलंगाना (Telangana Assembly Election 2023) के अखबारों में अपने काम के बारे में राज्य (कर्नाटक) गवर्नमेंट (Karnataka Government) के विज्ञापन किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं करते हैं, क्योंकि उन्होंने वोट नहीं मांगे हैं। शिवकुमार ने बोला कि राज्य गवर्नमेंट इस बारे में निर्वाचन आयोग (Election Commission) के पत्र का उत्तर देगी। बीजेपी (BJP) ने सोमवार को इस मुद्दे में निर्वाचन आयोग (EC) से एक कम्पलेन की थी।
शिकायत में इल्जाम लगाया गया था कि कांग्रेस पार्टी ने तेलंगाना में 30 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले वहां के अखबारों में कर्नाटक की अपनी गवर्नमेंट के बारे में विज्ञापन प्रकाशित कर जन अगुवाई अधिनियम और आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया है। आयोग ने उसी दिन कर्नाटक की कांग्रेस पार्टी गवर्नमेंट को निर्देश दिया था कि वह तेलंगाना के अखबारों में अपने काम के बारे में विज्ञापन प्रकाशित करना बंद कर दे।
इतना ही नहीं आयोग ने आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) के अनुसार पूर्वानुमति नहीं लेने के लिए उससे स्पष्टीकरण भी मांगा। शिवकुमार ने यहां पत्रकारों से बोला कि इन विज्ञापनों का उद्देश्य सिर्फ़ कर्नाटक गवर्नमेंट द्वारा किए गए कार्यों को दर्शाना है और ऐसा विपक्षी दलों के उन आरोपों के कारण किया गया है, जिसमें बोला गया है कि कर्नाटक की कांग्रेस पार्टी गवर्नमेंट ने अपनी कोई भी ‘गारंटी योजना’ लागू नहीं की है। आयोग के निर्देशों के बारे में पूछे गये एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने पूछा, ‘‘हमने कोई उल्लंघन नहीं किया है; कर्नाटक गवर्नमेंट ने किसी से वोट नहीं मांगा है…हमने क्या उल्लंघन किया है?”
उन्होंने बल देकर कहा, “हमने जो भी काम किया है, उसे हमने विभिन्न राज्यों के सामने पेश किया है- अखबार के पाठकों के सामने, भले ही वह कर्नाटक में हो, तमिलनाडु में हो अथवा तेलंगाना में… कोई परेशानी नहीं है।” उन्होंने एक बार फिर बोला कि ये विज्ञापन कर्नाटक गवर्नमेंट के बारे में विपक्ष के दावों के कारण प्रकाशित किये गये, न कि मतों के लिए। उन्होंने कहा, “वे (विपक्षी दल) यह प्रचार करने की प्रयास कर रहे थे कि हमने (गारंटी योजनाएं) लागू नहीं की हैं – हमने केवल (विज्ञापनों में गारंटी के कार्यान्वयन के बारे में) कहा है, हमने कोई वोट नहीं मांगा है।”
शिवकुमार ने कहा, ‘‘यदि हमने कोई वोट मांगा होता तो (सवाल करना) ठीक था, लेकिन हमने किसी से वोट नहीं मांगा है; हमने यह नहीं बोला है कि कांग्रेस पार्टी या ‘एक्स’ या ‘वाई’ के लिए वोट करें।” तेलंगाना की सत्तारूढ़ हिंदुस्तान देश समिति (बीआरएस) ने भी इस मामले पर निर्वाचन आयोग से संपर्क किया था। कर्नाटक के मुख्य सचिव को लिखे एक पत्र में, आयोग ने बोला कि राज्य गवर्नमेंट ने विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए उससे पूर्व स्वीकृति नहीं ली थी, और उसका कृत्य केंद्र और राज्य सरकारों के लिए सालों पहले जारी किए गए आदर्श चुनाव आचार संहिता के निर्देशों का उल्लंघन था।
आयोग ने कर्नाटक गवर्नमेंट को यह भी निर्देश दिया कि वह जरूरी स्वीकृति मिलने तक तेलंगाना में ऐसे किसी भी विज्ञापन का प्रकाशन तुरन्त असर से बंद कर दे। चुनाव आयोग ने उन परिस्थितियों पर मंगलवार शाम पांच बजे तक स्पष्टीकरण मांगा है, जिनके कारण आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) का उल्लंघन हुआ। अपने पत्र में, आयोग ने यह भी पूछा कि एमसीसी निर्देशों के अनुसार उल्लिखित प्रक्रिया के उल्लंघन के लिए सूचना और जनसंपर्क विभाग के प्रभारी सचिव के विरुद्ध क्यों नहीं अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए। तेलंगाना विधानसभा चुनाव 30 नवंबर को होंगे। मतों की गिनती तीन दिसंबर को होगी। (एजेंसी)